सत्ता संघर्ष खत्म : अस्तित्व में आ गई शिंदे-फडणवीस सरकार

रविवार दिल्ली नेटवर्क

करीब करीब दस दिनों से सत्ता के लिए चल रहा संघर्ष गुरूवार को कुछ ही घंटों में खत्म हो गया। यह सियासी ड्रामा विधान परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद शुरू हुआ था और पूरे 11 दिन तक चला।

उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद राज्य में एक वैकल्पिक सरकार की जरूरत थी, ऐसे में अगले मुख्यमंत्री का नाम देवेंद्र फडणवीस के रूप में उभरकर आया था। मीडिया और सोशल मीडिया, सब तरफ यही चर्चा थी कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री होंगे। लेकिन अचानक यह बात सामने आई कि एकनाथ शिंदे राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। और फिर तुरंत एकनाथ शिंदे ने शाम 7.30 बजे राजभवन के दरबार हॉल में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एकनाथ शिंदे को पद की शपथ दिलाई।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि राज्य के 38-39 विधायक असम गए थे। उस समय उनकी अगुवाई कर रहे एकनाथ शिंदे ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी उम्मीदें उपमुख्यमंत्री पद से ज्यादा हैं। क्योंकि उन्हें जिनका समर्थन मिलने वाला था उस भाजपा में देवेंद्र फडणवीस जैसे पूर्व मुख्यमंत्री पहले से मौजूद थे। हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने आदेश दिया और मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी एकनाथ शिंदे को दी गई।

‘हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे और धर्मवीर आनंद दिघे के आशीर्वाद से, मैं एकनाथ संभाजी शिंदे…’ इस तरह अप्रत्याशित तौर पर बागी एकनाथ शिंदे ने गोपनीयता की शपथ ली। लेकिन अभी भी सस्पेंस बाकी था। अभी तक बाहर से सपोर्ट की बात करने वाले देवेंद्र फडणवीस ने भी साथ-साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

महाराष्ट्र में अब शिंदे-फडणवीस सरकार अस्तित्व में आ गई है। लेकिन देवेंद्र फडणवीस, जो पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, ने शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद का स्वीकार क्यों किया? यह सवाल अब उपस्थित हो गया है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भी इस पर आश्चर्य जताया कि नई सरकार में फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ क्यों ली। लेकिन पवार का मानना है कि भाजपा में नेतृत्व का आदेश अंतिम होता है। इसलिए फडणवीस ने बिना सोचे-समझे पार्टी के आदेश को स्वीकार कर लिया। इस बात पर शरद पवार ने फडणवीस की सराहना की।

नई सरकार के बनते हुए यह बड़ा ट्विस्ट देखने को मिला। राज्यपाल से मिलने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि वह सत्ता से बाहर रहेंगे और नई सरकार को सहयोग करेंगे। लेकिन इसके तुरंत बाद, भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने फडणवीस को नई सरकार में शामिल होने का आदेश दिया।

असल में दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भविष्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। जेपी नड्डा ने आगे कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने भी बड़े दिल से कैबिनेट में शामिल होने का फैसला किया है, जो महाराष्ट्र के लोगों के लिए उनके स्नेह को दर्शाता है।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें दो बार फोन कर उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल होने के लिए कहा। उसके बाद फडणवीस ने नेतृत्व का आदेश स्वीकार कर लिया।

इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, प्रवीण दारेकर, सुधीर मुनगंटीवार, आशीष शेलार, पंकजा मुंडे और भाजपा के वरिष्ठ नेता और एकनाथ शिंदे के परिवार के सदस्य मौजूद थे।

इस शपथ ग्रहण समारोह के बाद महाराष्ट्र का सियासी संकट खत्म हो गया है। एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र की सियासत में एक नया अध्याय लिखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। अप्रत्याशित तरीके से देवेंद्र फडणवीस ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा है, ‘मैं एकनाथ शिंदेजी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई देना चाहता हूं। वे जमीनी स्तर के नेता हैं, वे अपने साथ समृद्ध राजनीतिक, विधायी और प्रशासनिक अनुभव लेकर आए हैं। मुझे विश्वास है कि वे महाराष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम करेंगे।

एक अलग ट्वीट में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी। मोदी ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा हैं। उनका अनुभव और कौशल सरकार के लिए एक संपत्ति है। मुझे विश्वास है कि वे महाराष्ट्र के विकास की राह को और मजबूत करेंगे। मोदी ने यह ट्वीट महाराष्ट्र में राजनीतिक सत्ता परिवर्तन के बाद किया।