सर्वोच्च न्यायालय ने कवच प्रणाली पर रेलवे द्वारा निर्णय की प्रसंसा किया

Supreme Court praised the decision by Railways on Kavach system

विनोद तकियावाला

भारतीय रेलवे अपनी सेवाओं व नवीन तकनीक के लिए विश्व भर जाना जाता है।तभी तो भारत में रेल का जाल बिछाया गया है।आये दिनों भारतीय रेलवे अपने यात्रियो को ना केवल एक जगह से दुसरे पर पहुंचता है।बल्कि यात्रा की अन्य मार्गो से सस्ती व सुरक्षित मानी जाती है।विगत दिनों रेलवे द्वारा सुरक्षा के मामलों के ध्यान में रखते हुए कवच प्रणाली लागु किया है।भारतीय रेलवे द्वारा उठाए गए इस कदमों को सर्वोच्च न्यायालय ने सराहा है।सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल को स्वदेशी टक्कर-रोधी प्रणाली कवच के कार्यान्वयन सहित ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे द्वारा उठाए गए इस कदमों को दर्ज किया और मंत्रालय द्वारा किए गए उपायों की सराहना की।

रेल दुर्घटनाओं को कम करने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा किए गए उपायों के बारे में सुप्रीम कोर्ट की हालिया सराहना रेलवे सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम को रेखांकित करती है। सर्व विदित रहे कि यह सराहना जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के॰ वी॰ विश्वनाथन की अध्यक्षता में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर॰ वेंकटरमणी द्वारा स्थिति-रिपोर्ट की गहन समीक्षा के बाद की गई है। माननीय न्यायालय ने सुनवाई के दौरान,पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा,”हम भारतीय रेलवे द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हैं।हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जनहित में इन कार्यवाहियों की शुरुआत को भारत सरकार और भारतीय रेल द्वारा पर्याप्त रूप से ध्यान दिया गया है।”आपको बता दे कि यह सुनवाई बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस,जो लगभग 2,500 यात्रियों को ले जा रही थी,और पिछले साल जून में ओडिशा के बालासोर जिले में बहनागा के पास बाजार स्टेशन पर एक मालगाड़ी की दुर्घटना के कुछ दिनों बाद दायर एक याचिका पर आधारित थी।फरवरी में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से कवच प्रणाली समेत रेल सुरक्षा उपायों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। कवच प्रणाली को 2002 में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएस ओ)द्वारा तीन भारतीय वेंडरों के सहयोग से विकसित किया गया।

न्यायमूर्ति के.वी.विश्वनाथन ने उन समाचार रिपोर्टों के बारे में सरकार से पूछताछ की थी कि कवच को “कुछ क्षेत्रों में आंशिक रूप से लागू किया गया था “।इस पर श्री वेंकटरमणी ने कहा कि इसमें “बड़ी तकनीकी चुनौतियाँ शामिल थीं,और उन्होने स्थिति- रिपोर्ट में इसे विस्तृत रूप से शामिल करने का वादा किया।इसके अलावा,23 मार्च,2022 को स्वदेशी स्वचालित रेल सुरक्षा प्रणाली (एटीपी)जिसे कवच कहा जाता है, के विकास के संबंध में रेल मंत्रालय की घोषणा पूरे भारत में रेलगाड़ी संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती है।इस नवोन्मेषी प्रणाली का उद्देश्य उन्नत सुरक्षा उपाय लागू करना है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम हो और यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों की संरक्षा सुनिश्चित हो सके।पीठ ने कहा कि तकनीकी खामियों के बिना सभी रेलवे लाइनों और कैरियरों पर कवच प्रणाली को लागू करने में आवश्यक तात्कालिकता और सटीकता को रेखांकित करना अनिवार्य है।याचिका में देश के रेलवे नेटवर्क में सुरक्षा और विश्वसनीयता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए कवच के त्वरित और व्यापक रोल-आउट की वकालत की गई है।आप को बता दे क्रि कवच एक स्वचालित रेल सुरक्षा प्रणाली है।जिसे भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ)द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।भारतीय रेल के अनुसार यह एक लागत प्रभावी सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4(SIL-4)प्रमाणित तकनीक है।सरल शब्दों में,कवच का उद्देश्य रेलगाड़ियों की टक्कर को रोकना है।यदि रेलगाड़ी की गति निर्धारित सीमा से अधिक हो जाती है और ड्राइवर हस्तक्षेप करने में विफल रहता है,तो यह प्रणाली स्वचालित रूप से रेलगाड़ी के ब्रेकिंग तंत्र को सक्रिय कर देती है।भारतीय रेल का दावा है कि कवच,परिचालन सुरक्षा सुविधा से लैस दो रेलगाड़ियों के बीच टकराव को प्रभावी ढंग से रोकता है।कवच स्थापित करने की भारतीय रेलवे की क्षमता से यात्रियों की संरक्षा बेहतर होगी।सर्व विदित
रहे भारतीय रेलवे अपने यात्रियों की सुख सुविधाओं के उन्हें उनके गण्तव्य स्थान पर सुरक्षित पहुंचाने के लिए हमेशा हर सम्भव प्रयासरत है।आये दिनों भारतीय रेल रेलवे की कार्य प्रणाली व विकसित नए तकनीक के साथ नई नई रेल लाइन व स्वदेशी रेल इंजन ‘ कोच विकसित कर बन्दे भारत ‘ अमृत भारत ‘ पुल पुश तकनीक व रेलवे स्टेशन निर्माण कार्य जोरों पर कर रही है।इसके साथ ही बुलेट ट्रेन के सपने साकार करने वाली है।जिसकी चर्चा ना भारत के अलावे विकासित देशों में हो रही है।