पश्चिम बंगाल कालियागंज कांड : संदेह और सियासत

अमित कुमार अम्बष्ट ‘आमिली’

अपने ही देश में महिलाएँ कितना सुरक्षित हैं , इसे इस बात से समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरों की 2021 की रिपोर्ट कहती है कि विगत वर्ष रोजाना देश में औसतन दुष्कर्म के 86 मामले दर्ज हुए वहीं महिलाओं के संग अपराध के हर घंटे तकरीबन 49 मामले दर्ज हुए । वहीं महिलाओं के संग अपराध के हर घंटे तकरीबन 49 मामले दर्ज हुए ।

इस देश ने दिल्ली की राजधानी में घटित निर्भया कांड तो देखा ही है , इसके बाद भी देश के कई राज्यों में दुष्कर्म की बर्बर घटनाएं लगातार घटती रही है, लेकिन अगर महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो पश्चिम बंगाल बेहद सुरक्षित माना जाता रहा है , राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए देश की राजधानी दिल्ली सबसे ज्यादा असुरक्षित है। दिल्ली में महिलाएं अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक दुष्कर्म की घटनाओं का शिकार होती हैं , आंकड़ों की मानें तो साल 2021 में दिल्ली में 1,226 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए , देश के किसी भी राज्य के थानों में साल 2021 में दर्ज दुष्कर्म के मामलों में ये संख्या सबसे अधिक हैं , वहीं, सबसे कम दुष्कर्म के मामलों की बात की जाए तो राष्ट्रीय अपराध ब्यूरों की सूची में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता सबसे नीचले पायदान पर आता है, यानि कोलकाता में महिलाओं को सबसे कम दुष्कर्म का शिकार होना पड़ता है , लेकिन अगर राज्यों के आंकड़े की बात करें तो अपराध ब्यूरो के 2021 रिपोर्ट के अनुसार देशभर में कुल 31,677 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए , इनमें राजस्थान में सबसे अधिक 6,337 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए, जबकि नागालैंड में सबसे कम चार मामले दर्ज किए गए वहीं, पश्चिम बंगाल में दुष्कर्म के 1,123 मामले दर्ज किए गए ।

ऐसे में हाल ही में पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में घटित घटना कई प्रश्न चिन्ह खड़े करती है , गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के कलियागंज में कथित तौर पर बलात्कार के बाद एक नाबालिग लड़की की हत्या कर दी गई , जिसका शव दूसरे दिन नहर में तैरता मिला, आरोप है कि इस अमानवीय घटना के बाद पुलिस शव को प्रदर्शनकारियों के बीच से घसीटते हुए ले जाती दिखी , जिससे लोग बेहद आक्रोश में हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब पश्चिम बंगाल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है ? पश्चिम बंगाल की पुलिस क्या इतनी अमानवीय और गैरजिम्मेदार है ? क्या पुलिस के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि शव को सही तरीके से ले जाया जाता ? अब तक पुलिस अपराधियों तक क्यों नहीं पहुंच सकी है ? क्या पुलिस अधिकारियों के निलम्बन से जो चुक हुई उसकी भरपाई हो जायगी ? क्योंकि शव घसीटने पर चार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गयी है , लोगों के प्रदर्शन के बीच शव को हटाने के लिए उसे कथित तौर पर घसीटने के आरोप में सहायक उप निरीक्षक रैंक के चार पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है ।लेकिन इन सब सवालों के बीच एक सवाल यह भी है कि क्या सभी राजनीतिक दल इस घटना को सियासी रंग देना चाहते हैं?

परिजन और स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्यूशन पढ़ने जाते समय छात्रा को कुछ लोगों ने पकड़ लिया फिर दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी और शव नहर में फेक दिया जबकि पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट दुष्कर्म की पुष्टि नहीं करते , पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर अपनी बात रखते एसपी उत्तरी दिनाजपुर ने कहा है कि “डॉक्टरों द्वारा दी गई पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि मौत किसी जहरीले पदार्थ के कारण हुई थी, कोई बड़ी चोट नहीं है , हम फिर से डॉक्टरों से स्पष्ट करने के लिए कहेंगे कि क्या कोई यौन चोट है ?

ऐसे में दो बातें हो सकती है कि या तो सरकार और पुलिस इस दुष्कर्म को छुपाना चाहती है या फिर परिजन और विपक्षी दल इस बात को तूल दे रहें हैं , कुल मिलाकर कह सकते है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दल विशेष रूप से भाजपा इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं। इस घटना पर सबसे पहले बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट कर निशाना साधा , उन्होंने एक वीडियो शेयर किया , जिसमें छात्रा के प्रति हुए अपराध को लेकर प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया है और छात्रा के शव को जबरन सड़क पर घसीटते हुए नजर आ रहे हैं , इसी को लेकर किए गए ट्वीट में अमित मालवीय ने कहा, इस वीडियो में पश्चिम बंगाल पुलिस जिस शव को असंवेदनशीलता से घसीट रही है, वह उत्तर दिनाजपुर के कलियागंज में राजबंशी समुदाय की एक नाबालिग बलात्कार और हत्या पीड़िता का शव है , इस मुद्दे पर लोगों में इतना आक्रोश है कि उन्होंने कालियागंज थाने का घेराव कर हंगामा किया. थाने में आग लगा दी , इसमें कई क्वार्टरों और पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचा , इस दौरान जमकर पथराव भी हुआ और कुछ लोग घायल भी हुए , इस मुद्दे को पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी उठाते हुए राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया, विपक्ष के नेता ने ट्वीट किया कि बंगाल में एक और राजवंशी नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी गई , उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह भतीजे की सुरक्षा में व्यस्त है , इसकी कीमत राज्य की महिलाएं कीमत चुका रही हैं. राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण बदमाशों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। ममता बनर्जी ने भी आक्रोशित भीड़ के संबंध में कहा कि यह सब विपक्ष की साजिश है और पुलिस क्या हाथ में चूड़ी पहन कर बैठी है अर्थात उनका इशारा शक्ति से निपटने का है , इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जो लोग थाने पर आगजनी और तोड़ फोड़ में शामिल थे उनकी संपत्ति कुर्क होगी । हालांकि पुलिस ने उक्त व्यक्ति जिस पर इस अपराध का संदेह है उसको और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है फिर जन आक्रोश कम नहीं हो पा रहा है ।

वास्तव में लड़की एक आदिवासी के राजवंशी समुदाय से आती है , 2001 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल में राजवंशियों की जनसंख्या 3,386,617 थी, जो राज्य की कुल अनुसूचित जाति की आबादी का 18.4% थी ,पश्चिम बंगाल में उत्तर प्रदेश के बाद भारत में सबसे अधिक अनुसूचित जाति की आबादी है, बंगाल की 23.5% आबादी अनुसूचित जाति समुदायों से संबंधित है, कई महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का दबदबा है इसलिए यदा -कदा सभी राजनीतिक दल इस समुदाय को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश करते हैं , ऐसे में जब लोकसभा 2024 का चुनाव सर पर है ममता बनर्जी इस समुदाय के लोगों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती क्योंकि राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पहले यह समुदाय तृणमूल कांग्रेस के साथ ही था लेकिन धीरे-धीरे भाजपा के साथ आ गया है । ऐसे में ममता बनर्जी जहाँ इस घटना पर जल्द से जल्द पर्दा डालने की कोशिश कर सकती हैं , वही विपक्षी दल इस मामले का पुरजोर विरोध करने की कोशिश करेंगे । ऐसे सबसे महत्वपूर्ण है कि जो घटना घटित हुई , इससे जुड़े किसी भी अपराधी को कठोर सजा मिलनी चाहिए, जिसके लिए पुलिस की सजगता , सक्रियता और इमानदार जाँच जरूरी है ।

दुष्कर्म के मुद्दे पर किसी तरह की सियासत को तब्बजो नहीं दी जा सकती है, लेकिन एक सत्तरह साल की लड़की घर से ट्यूशन पढने निकलती है , उसका शव नहर में बरामद होता है और फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट किसी जहरीले पदार्थ से मौत की बात का उल्लेख करता है तो इस रिपोर्ट पर संदेह होना लाजिमी है क्योंकि अगर लड़की ने खुद या किसी दूसरे ने भी कोई नशीला पदार्थ मौत के लिए खिलाया तो फिर शव का नहर में पाया जाना संदेह पैदा करता है कि कहीं न कहीं ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है या फिर परिजन कुछ छुपा रहें हैं।