गोपेंद्र नाथ भट्ट
राजस्थान में मंत्रिपरिषद के विस्तार के बाद मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सबसे पहली प्राथमिकता राज्य के नए मुख्य सचिव की नियुक्ति और प्रदेश की नौकरशाही में बड़े पैमाने पर बदलाव करना रहेंगी।अब यक्ष प्रश्न यह है कि नए वर्ष 2024 में कौन बनेगा राजस्थान का अगला मुख्य सचिव ?
राजनीतिक क्षेत्रों में इन दिनों मज़ाक़िया ढंग से एक बात कही जा रही है कि वर्तमान में राजस्थान में ब्राह्मण राज चल रहा है चूँकि प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी, मुख्य सचिव उषा शर्मा और डीजी पुलिस उमेश मिश्र आदि राज्य के संविधानिक,राजनीतिक और प्रशासनिक सभी शीर्ष स्थानों पर ब्राह्मण ही काबिज हैं।
प्रदेश की मुख्य सचिव उषा शर्मा इस माह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हों जायेंगी।उषा शर्मा वैसे तों पिछलें वर्ष जून में ही सेवानिवृत्त होने वाली थी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत की सरकार की अनुशंसा पर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए केन्द्र सरकार ने उन्हें छह महीनों का एक्सटेंशन दिया था जिसकी अवधि कुछ दिनों बाद 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। उषा शर्मा के पति बी एन शर्मा भी आईएएस रहें है और केन्द्र सरकार में रहने से उनके ऊपर तक काफ़ी अच्छे रसूख़ात है। बी एन शर्मा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ सी पी जोशी की पत्नी के सगे भाई है।
देखा जायें तों सेवा विस्तार के बाद मुख्य सचिव उषा शर्मा के फिर से इसी पद पर नियुक्त होने की सम्भावनाएँ बहुत कम लगती है। इस लिहाज़ से प्रदेश को नए वर्ष 2024 में कोई नया मुख्य सचिव मिलना तय लगता है।प्रदेश के प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा भी ज़ोरों से चल रही थी कि गुजरात केडर से कोई अधिकारी इस पद पर लगाया जा सकता है लेकिन बताया जा रहा है कि अब यह खुलासा हो गया है कि गुजरात से किसी अधिकारी को इस पद पर नही भेजा जा रहा है। प्रदेश में वसुन्धरा राजे के पहले मुख्यमंत्रित्व काल में सिक्किम केडर के आईएएस गोविन्द मोहन को उनका मुख्य सचिव बना राजस्थान लाया गया था।
प्रदेश के नए मुख्य सचिव का फैसला मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को ही करना है और वे चाहेंगे कि इस पद पर ऐसे अधिकारी की नियुक्ति हो जो पाँच साल तक उनके साथ काम करें, हालाँकि इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि इस पद पर केन्द्र की नरेन्द्रमोदी सरकार की राय और सहमति से ही प्रदेश के इस शीर्ष प्रशासनिक पद पर किसी अधिकारी की नियुक्ति होंगी।भाजपा के प्रदेश चुनाव संकल्प पत्र की घोषणाओं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटियों को अमलीजामा पहनाने की दृष्टि से इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है,फिर लोकसभा आम चुनाव होने में अब कुछ ही महीने शेष है ।ऐसे में प्रदेश का प्रशासनिक मुखिया उसे बनाने को वरियता दी जायेंगी जो तेजी से राज्य और केन्द्र सरकार की योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक क्रियान्वित करायें ताकि प्रदेश की भजन लाल सरकार के बारे में लोगों की अच्छी धारणा बने तथा जनता के मन और मस्तिष्क तक एक अच्छा संदेश जायें।
राजस्थान केडर के आईएएस अधिकारियों की वरिष्ठता के हिसाब से देखा जायें तों 1988 बैच के डॉ सुभाष अग्रवाल अभी सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश मूल के अग्रवाल दिसंबर 2025 में रिटायर्ड होंगे। उनके बाद वरिष्ठता में विशाखपत्तनम मूल के वी.श्रीनिवास,मेरठ (यूपी) मूल की शुभ्रा सिंह ,वाराणसी (यूपी) मूल के राजेश्वर सिंह और उत्तर प्रदेश मूल के रोहित कुमार सिंह है । यें सभी 1989 बैच के आईएएस हैं। वी.श्रीनिवास अभी केन्द्र सरकार के डीओपी और पेन्शन विभाग के सचिव है, जबकि शुभ्रा सिंह राज्य की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव है। उनके पास आवासीय आयुक्त कार्यालय,नई दिल्ली के अतिरिक्त मुख्य सचिव का कार्यभार भी है।इसी प्रकार राजेश्वर सिंह अभी रेवेन्यू बोर्ड,अजमेर के अध्यक्ष है।इनके अलावा रोहित कुमार सिंह भारत सरकार के उपभोक्ता मामले,खाद्य और जन आपूर्ति मंत्रालय नई दिल्ली के सचिव पद पर सेवाएँ दे रहें है।
आईएएस वी.श्रीनिवास सितम्बर 2026, शुभ्रा सिंह 28 फरवरी 2026, राजेश्वर सिंह 31 जुलाई 2024 और रोहित कुमार सिंह 31 मार्च 2024 में सेवा निवृत्त होने वाले हैं।
इन अधिकारियों से जूनियर 1990 बैच के दो और अधिकारी बीकानेर (राजस्थान) मूल के संजय मल्होत्रा भी नई दिल्ली में केन्द्र सरकार के वित्त मन्त्रालय में रेवेन्यू सेक्टरी के पद पर सेवारत है। इनके अलावा लखनऊ मूल के 1991 बैच के सुधांशु पन्त अभी भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मन्त्रालय में सचिव है। संजय मल्होत्रा फरवरी 2028 और सुधांशु पन्त फरवरी 2027 में सेवानिवृत्त होंगे।
वैसे पूर्व में ऐसे कई उदाहरण भी मिलते है जिसमें कई कनिष्ठ अधिकारियों को वरिष्ठ अधिकारियों पर वरियता देकर प्रदेश का चीफ़ सेक्रेटरी बनाया जा चुका है। केन्द्र में नियुक्त आईएएस अधिकारियों को राज्य सरकार में लाने के लिए भारत सरकार को विशेष आग्रह भेजना होता है।हरिदेव जोशी के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में रीज़र्व बैंक से डी आर मेहता को राजस्थान बुलाया गया था।
यदि सरकार राजस्थान केडर के किसी अधिकारी को ही मुख्य सचिव का दायित्व देती है तों अनुमान है कि प्रदेश का अगला मुख्य सचिव उक्त उल्लेखित अधिकारियों में से बनने वाला है अथवा उनका कोई कनिष्ठ भी बन सकता हैं।
राजनीतिक पण्डितों का यह भी अनुमान है कि भजन लाल सरकार प्रदेश के पुलिस मुखिया के साथ-साथ प्रदेश के पुलिस प्रशासन और जिला कलेक्टर्स आदि में भी बड़े स्तर पर बदलाव हों सकते हैं।
देखना है क़ि इस माह के अन्त में निकलने वाले भजन लाल शर्मा सरकार के सबसे अहम आदेश में राजस्थान के प्रशासनिक मुखिया के रूप में किस ख़ुशक़िस्मत अधिकारी के नाम लोटरी निकलती है?