पाकिस्तान की कमर तोड़ने से ही आतंकवाद निस्तेज होगा

ललित गर्ग

जी-20 की शानदार एवं ऐतिहासिक सफलता से बौखलाये पाकिस्तान ने एक औछी, अमानवीय एवं अराजक घटना को अंजाम देते हुए अनंतनाग में आतंकवादी घटना में हमारी सेना के दो बड़े अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक उपाधीक्षक के प्राण ले लिये है, यह घटना पडोसी धर्म पर एक बदनुमा दाग ही नहीं, बल्कि हिंसा एवं उन्माद की चरम पराकाष्ठा है। आज पाकिस्तान जिस आर्थिक दुर्दशा एवं बदहाली का शिकार है, उसमें ऐसी अराजक घटनाओं को प्रश्रय देना उसके लिये घोर अंधेरा का सबब ही बनेगा। शायद पाकिस्तान अब भी यह नहीं समझ पाया है कि पड़ोसियों से अच्छे संबंध कितने जरूरी है, इन्हें सुदृढ़ बनाकर ही विश्व राजनीति में अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सकती है। भारत की दुनिया में बढ़ती साख एवं उसकी मजबूत होती आर्थिक स्थितियों में कोई भी समझदार देश उससे दुश्मनी की नहीं सोच सकता। दुनिया के सभी देश, भले ही वे महाशक्तियां ही क्यों न हो, भारत के साथ रहने में ही अपना भला देख रही है, फिर पाकिस्तान क्यों नादानी पर उतरा है। पाकिस्तान की जनता भी यह बात भली भांति समझ रही लेकिन उसके नीति निर्धारकों एवं शासकों को यह बात समझ नहीं आ रही। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कुछ और कठोर उपाय करने होंगे।

निश्चित ही अनंतनाग में आतंकियों से लड़ते हुए सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं बट का बलिदान देश के लिए एक बड़ी एवं अपूरणीय क्षति है। ये तीनों ही अफसर अपनी दिलेरी के लिए जाने जाते थे और उन्होंने अतीत में कई आतंकवाद विरोधी अभियानों को सफलतापूर्वक संचालित किया। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए और आतंकियों का चुन-चुनकर सफाया करने के साथ ही पाकिस्तान को नए सिरे से सबक सिखाया जाना चाहिए, क्योंकि जिस आतंकी गुट के आतंकियों के घात लगाकर किए गए हमले में हमारे बहादुर अफसर वीरगति को प्राप्त हुए, वह भले ही स्वयं को स्थानीय बताता हो, लेकिन उसे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर का हर तरह का सहयोग एवं समर्थन हासिल है। अवश्य ही भारत अपने इन वीर बलिदानियों का बदला अवश्य लेगा और इस बार ऐसा बदला लिया जायेगा कि पाकिस्तान भविष्य में ऐसी गलती करने से पहले लाख बार सोचेंगी। भारत अगर ठान ले तो पाकिस्तान की कमर तोड़ सकता है एवं आतंकवाद पर काबू पा सकता है, जिस तरह मोदी सरकार ने अब तक पाया है।

एक ऐसे समय जब कश्मीर में आतंकवाद अंतिम सांसें लेता दिख रहा है, वहां जनजीवन शांति एवं अमन को महसूस कर रही है, विकास की गंगा वहां प्रवहमान हो रही है, जी-20 का आयोजन भी वहां शांति एवं सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ, तब अनंतनाग की घटना सतर्क एवं सावधान करने वाली है। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद आतंकी घटनाओं को जिस तरह काबू में लाया गया है, उसने क्षेत्र में सक्रिय आतंकियों के पैर उखाड़ दिए हैं। इसी बौखलाहट की यह घटना निष्पत्ति है जो यही बता रही है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी किसी भी तरह कश्मीर को अशांत रखने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। इसी कारण वे उन नये इलाकों में सक्रिय हो रहे हैं, जो लंबे समय से उनकी गतिविधियों से मुक्त थे। वे दक्षिण कश्मीर के साथ जम्मू संभाग में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। इसका पता इससे चलता है कि इस वर्ष अभी तक राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों में लगभग 26 आतंकी मारे जा चुके हैं। आतंकी सीमा पार से घुसपैठ के लिए भी नए रास्ते चुन रहे हैं। स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर के साथ पंजाब से लगती पाकिस्तान सीमा पर और चौकसी बढ़ाने की आवश्यकता है, आतंकमुक्ति के अभियान को और अधिक सशक्त किये जाने एवं सख्ती बरतने की अपेक्षा है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के दबे-छिपे समर्थकों के खिलाफ अभियान भी और तेज किया जाना चाहिए। इस पर भी फिर से ध्यान देना होगा कि आतंकियों के सफाए के किसी अभियान में सुरक्षा बलों को क्षति न उठानी पड़े। निःसंदेह ऐसे अभियान जोखिम भरे होते हैं, लेकिन इस पर और सावधानी बरतनी होगी कि अपने वीर जवानों को खतरों से कैसे बचाया जाए? अतीत में आतंक विरोधी कुछ अभियान ऐसे रहे हैं, जिनमें आतंकियों का शीघ्र सफाया करने के प्रयत्न में हमारे जवानों को क्षति उठानी पड़ी। हमें आतंकियों का खात्मा भी करना है और अपने जवानों की जीवन-सुरक्षा भी करनी है, ऐसा करते हुए हमें ऐसा सुरक्षा चक्र बनाना चाहिए, जिससे वे भविष्य में इस तरह का दुस्साहस न कर सकें। खुफिया रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना की बेचैनी को गंभीरता से समझना होगा। आतंकियों के घटते मनोबल को वापस लाने के लिए पाकिस्तानी सेना लगातार बड़े षड़यंत्र एवं हमले करने का दबाव बना रही है और इसके लिए आतंकियों को विशेष कमांडो ग्रुप समेत हर तरह से मदद दे रही है। पाकिस्तानी सेना ने चीन से प्राप्त हथियार और अन्य सैन्य साधन भी आतंकियों को उपलब्ध कराए हैं, जिनमें नाइट विजन कैमरा भी शामिल हैं। इन साधनों की मदद से ही उन्हें रात के अंधेरे में भी हमला करने और भागने में सहूलियत हुई और हमारे जवानों को शहीद होना पड़ा।

भारत सर्वे भवन्तु सुखिनः में भरोसा करने वाले देश हैं, इसी भारतभूमि से वसुधैव कुटुम्बकम का उद्घोष हुआ, जिसने हाल ही में जी-20 के भारतीय अध्यक्षता के दौरान समूची दुनिया को एक परिवार के रूप में विकसित करने का वातावरण बनाया है। भले ही भारत शांति, सह-जीवन एवं अहिंसा में विश्वास करता है, लेकिन उस पर आघात करने वालों की जब अति हो जाती है तो वह हथियार उठाकर, भीतर घूस कर वार करना एवं बदला लेना भी जानता है। जब कश्मीर में समग्र विकास की धारा चल पड़ी है, तब जो तत्व अमन-चैन एवं विकास को चुनौती दे रहे हैं, उन्हें तो करारा जबाव देना ही चाहिए। यह कश्मीर में बचे हुए शैतानीए उन्मादी एवं आतंकवादी तत्वों के साथ शून्य सहिष्णुता दिखाने का समय है। उन्हें कश्मीर में किसी भी स्थान पर अड्डा बनाने या छिपने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए। आतंकियों ने बहुत साजिश के साथ इस मुठभेड़ को अंजाम दिया है। आमतौर पर सेना की अगर किसी इलाके में सक्रियता बढ़ती है, तो आतंकी इस इलाके को छोड़ देते हैं, लेकिन अगर आतंकियों ने मुठभेड़ की जुर्रत की है, तो इसके पीछे की पूरी साजिश का गंभीर आकलन जरूरी है। तमाम संभावनाओं और आशंकाओं को खंगालना चाहिए। आने वाले चुनाव को देखते हुए आतंकवादी अभी अधिक सक्रिय होकर देश में अराजकता एवं अशांति फैलाना चाहेंगे। कश्मीर में चुनाव की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। ऐसे में, आतंकियों और उनके नापाक आकाओं को जरूर परेशानी हो रही होगी। पड़ोसी देश से आतंकियों को इशारा किया गया होगा कि कुछ ऐसा करो कि जी-20 के समय में पूरी तरह नदारद कश्मीर का मुद्दा वापस चर्चा में आ जाए। आशंका यह भी जताई जा रही है कि ताजा मुठभेड़ में दुस्साहस दिखाने वाले आतंकी विदेशी हैं, अगर ऐसा है, तो प्रमाण के साथ दुश्मनांे को चेतावनी देनी चाहिए। यह एक बड़ा सत्य है कि जैसे शांति-प्रेम खुद नहीं चलते, चलाना पड़ता है, ठीक उसी तरह आतंकवाद भी दूसरों के पैरों से चलता है, जिस दिन उससे पैर ले लिये जायेंगे, वह पंगु हो जायेगा।

आतंकी हमलों से पाकिस्तान का फायदा हो या न हो, लेकिन उसके हमदर्दी चीन इसमें अपना फायदा जरूर देखेगा। ऐसी स्थितियों में भारतीय सेना के लिए हिंसा का जबाव हिंसा ही हो सकता है, सीधा युद्ध ही एकमात्र रास्ता है। सीधे वार से ही आतंकी नेटवर्क की कमर टूटेगी। अब समय आ गया है, जब कश्मीर में बचे हुए आतंकवाद के अंत के लिए सेना और पुलिस बल अपनी कमियों-कमजोरियों पर पूरी तरह से लगाम लगाते हुए अपने सर्वश्रेष्ठ संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए सर्वश्रेष्ठ परिणाम दें।