मुज़फ्फ़र सिद्दीकी
अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी दो समीक्षक’, गूगल मीट पर आयोजित किया गया। इस मौके पर अपने बीज वक्तव्य में वरिष्ठ लेखिका, संस्था की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि,” इन दिनों पाठकों की पसंद कहानी विधा है। यही कारण है कि उपन्यास छोटे और कहानियाँ बड़ी लिखी जा रही हैं। कहानीकार सामाजिक विषयों पर तेजी से कलम चला रहे हैं। उन्हें इस समय समाज के विघटन कारी तत्व विचलित कर रहे हैं।”
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार’ उपन्यासकार श्री राजनारायण बोहरे जी ने अपने सम्बोधन में दोनों कहानियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि, “जहाँ पुरानी पीढ़ी हमेशा नई पीढ़ी को बचाती आई है वहीँ नई पीढ़ी भी पुरानी पीढ़ी को एक नया सन्देश देती आई है। यह क्रम निरंतर चलता रहा है। तभी तो समाज का विकास संभव हुआ है।”
आपने डॉ प्रमिला वर्मा की कहानी, ‘पीला पत्ता’ में की गई युद्ध की विभीषिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बिना उस स्थिति से गुज़रे उन घटनाओं का काल्पनिक चित्रण करना बहुत मुश्किल है। लेकिन कहानीकार ने अपनी लेखनी के माध्यम से उसे वास्तविकता के करीब ला दिया। डॉ. विनीता राहुरीकर की कहानी, “सीट नंबर 37 के सामने” का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह एक पुरुष विमर्श की कहानी है।
मुख्य अतिथि डॉ हिदायत अहमद खान ने उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कथन को कोट करते हुए कहा कि, “कहानी वह ध्रुपद की तान है, जिसमें गायक महफिल शुरू होते ही अपनी संपूर्ण प्रतिभा दिखा देता है, एक क्षण में चित्त को इतने माधुर्य से परिपूर्ण कर देता है, जितना रात भर गाना सुनने से भी नहीं हो सकता।”
डॉ. विनीता रहुरीकर की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। इसकी भाषा शैली बहुत सुन्दर है। इसका शीर्षक,”सीट नंबर 37 के सामने” न होकर “मुठ्ठी भर धूप”, होना चाहिए। क्योंकि आपने कहानी में धूप को लेकर बहुत सुन्दर बिम्ब बनाए हैं और उसके माध्यम से युवाओं को एक सकारात्मक सन्देश भी दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच म प्र इकाई की निदेशक श्रीमती जया केतकी शर्मा ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि, “साहित्य एक साधना है।” आपने सभी का अपने शब्द सुमन से आत्मीय स्वागत किया।
संस्था के महासचिव मुज़फ़्फ़र सिद्दीकी ने सञ्चालन करते हुए आयोजन में निरंतरता बनाए रखी। मंच की मध्यप्रदेश इकाई की अध्यक्ष श्रीमती महिमा वर्मा श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, “बहुमूल्य तो बहुत सारी चीज़ें हो सकती हैं लेकिन समय अमूल्य है। जिसे आज आपने हम सब के साथ बिताया है।”
कार्यक्रम में विभिन्न शहरों से लगभग 30 लोगों की उपस्थिति रही