महंगाई ने रोटी काे भी नहीं छोड़ा, ढाबे से लेकर पांच सितारा होटल ने बढ़ाए दाम

संदीप ठाकुर

मुंबई में गेहूं के आटे का रिटेल प्राइस 49 रुपये प्रति किलोग्राम है।
चेन्नई में इसका दाम 34 रुपये प्रति किलो, कोलकाता में 29 रुपये प्रति
किलो और दिल्ली में यह 27 रुपये प्रति किलोग्राम है। ऑनलाइन से लेकर
ऑफलाइन तक राेटी की कीमत बढ़ गई है। यकीन नहीं आता ताे दिन रात खाने के
सप्लाई में लगी फूड डिलीवरी एप काे ही खंगाल लीजिए। 26 रुपये की एक तवा
रोटी मिल रही है। डबल रोटी,ब्रेड,बन,कुलचे सब की कीमत 5 से लेकर 10 रुपए
प्रति पैकेट बढ़ गई है। बाजार में बिकने वाला पैकेट बंद एक आटा कुलचा 10
रुपए का हो गया है। पिछले साल यह 5 रुपए का और गत महीने 7 रुपए का था।
कारण है आटे की कीमत का बढ़ जाना। ऐटे की कीमत जनवरी, 2010 के बाद से
सबसे अधिक है। गेहूं के आटे की कीमत पिछले एक दशक के अंदर अपने उच्चतम
स्तर पर है। आटा उद्योग के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में कीमतें 10 से
15 फीसद तक और बढ़ सकती हैं। यानी महंगाई की आग अब रोटी काे भी जला कर
मानेगी।

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के
आंकड़ों के अनुसार आटे की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत सात मई को 32.78
रुपये प्रति किलोग्राम थी। यह एक साल पहले की तुलना में 9.15 फीसद अधिक
है। सालभर पहले ही 1 किलो आटे की कीमत 30.03 रुपए प्रति किलो थी और अभी
यह कीमत 32.78 रुपए प्रति किलो है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं के
आटे की सबसे अधिक कीमत पोर्ट ब्लेयर में 59 रुपये प्रति किलोग्राम है ।
वहीं, सबसे सस्ता आटा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में 22 रुपये प्रति
किलोग्राम में मिल रहा है। यदि हम मेट्रो सिटीज की बात करें, तो आटे की
औसत कीमत मुंबई में सबसे अधिक 49 रुपये प्रति किलोग्राम देखने को मिली।
इसके बाद चेन्नई में 34 रुपये प्रति किलोग्राम, कोलकाता में 29 रुपये
प्रति किलोग्राम और दिल्ली में 27 रुपये प्रति किलोग्राम थी। सवाल यह है
कि आटा लगातार महंगा क्यों होता जा रहा है। भारत में गेहूं की खुदरा कीमत
मार्च 2022 में बढ़कर 28.67 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। यह मार्च 2021
में 27.90 रुपये प्रति किलोग्राम थी। अप्रैल 2022 में भारत में आटे की
कीमतों में सबसे अधिक बढ़ोतरी देखी गई है। बताया जा रहा है कि यूक्रेन
दुनिया के बड़े गेहूं निर्यातक देश में एक है। यहां मौजूदा युद्ध के चलते
गेहूं का उत्पादन काफी गिर गया है। इससे दुनियाभर में गेहूं की भारी
किल्लत हो गई है। यूक्रेन दुनिया के उच्च ग्रेड गेहूं का लगभग पांचवां और
कुल गेहूं का 7% उत्पादन करता है। भारत के गेहूं के लिए भी विदेशों से
भारी मांग आ रही है। यही कारण है कि गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं और आटा
महंगा हो गया है। पहली बार तुर्की ने भारत को 50,000 टन गेहूं के आयात का
ऑर्डर दिया है। इससे गेहूं की कीमतों में और वृद्धि होगी। इसमें हाल के
हफ्तों में पहले ही 15 से 20 फीसद तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। दुनियाभर
में गेहूं की आपूर्ति बाधित होने से भारतीय गेहूं की मांग बढ़ रही है।
हालांकि, इससे भारत के किसानों को फायदा होगा।

डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते भी कीमतों पर असर पड़ रहा है। डीजल
के दाम बढ़ने से किसानों के लिए लागत बढ़ रही है और परिवहन महंगा हो गया
है। इससे भी गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी आई है। बढ़ती कीमत काे लेकर
देश का आटा उद्योग काफी चिंता में है। इनका मानना है कि यदि सरकार तेजी
से हो रहे निर्यात पर कोई कदम नहीं उठाती है, तो आटे की कीमतें अगले 2-3
महीनों में 10 से 15 फीसद तक और बढ़ जाएंगी। हालांकि, सरकार कीमतों पर
नजर बनाए हुए है। केंद्र सरकार चालू सीजन में चल रही खरीद के साथ-साथ
गेहूं की घरेलू कीमतों की लगातार निगरानी कर रही है। लेकिन निगरानी का
फायदा आमजन तक नहीं पहुंच पा रहा है।