रविवार दिल्ली नेटवर्क
कन्नौज : कन्नौज जिले में मंगलवार को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का नेशनल टीम ने भ्रमण कर जानकारी की। इस दौरान टीम ने क्षेत्र में कार्य कर रहे कर्मियों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर भ्रमण कर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के हेतु दवा सेवन के लिए प्रेरित भी किया।
नेशनल टीम ने ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र के ग्राम जसोदा एवं सीएचसी जलालाबाद में अभियान की जमीनी प्रगति जानी। नेशनल टीम में नेग्लेक्टेड ट्रोपिकल डीजीज (एनटीडी) उन्मूलन कार्यक्रम के डॉ डी.एन गिरी (आरओ), एवं मेडिकल आफिसर डॉ एन केसरी के साथ एसीएमओ डॉ ब्रजेश शुक्ला, जिला मलेरिया अधिकारी यूपी सिंह, पीसीआई इंडिया संस्था के डीएमसी सुनील गुप्ता, जिला संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ आतिफ हसन, पाथ संस्था के जिला समन्वयक नितेश कुमार ,अपर मलेरिया अधिकारी देवेश दीक्षित मौजूद रहे।
सबसे पहले टीम ने सीएचसी जलालाबाद की विजिट की वहां पर फाइलेरिया बूथ में लगी डीए टीम के कार्य का निरीक्षण किया तत्पश्चात जलालाबाद क्षेत्र की ग्राम पंचायत जसोदा में भ्रमण किया और साथ ही इन्कार करने वाले दो परिवारों को अभियान का महत्व समझाकर कर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया। क्षेत्र में काम कर रही डीए टीम के फैमिली रजिस्टर की जांच एवं घरों पर जाकर दवा सेवन करने वाले लोगों से दवा के संबंध में सवाल जबाब किए। तथा डीए टीम को फाइलेरिया उन्मूलन के सफल क्रियान्वयन हेतु दिशा निर्देश भी दिए।
डॉ डी.एन गिरी एवं डॉ श्रीमती एन केसरी जी ने विजिट के दौरान ग्रामीण वासियों को बताया कि फाइलेरिया, एक गंभीर व लाइलाज बीमारी है। इसको हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है। यह हाथ, पैरों, महिलाओं के स्तन और पुरुषों के अंडकोष (हाइड्रोसिल) में होता है। इसका वाहक क्यूलेक्स मादा मच्छर व्यक्ति को जिंदगी भर के लिए विकलांग बना सकता है।
इसके लक्षण 5 से 10 साल बाद दिखाई देते हैं। ऐसे में लक्षण हो या न हों फाइलेरिया रोधी दवा अवश्य खाएं। बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी को खिलाई जा रही है। इस अभियान से जुड़कर फाइलेरिया मुक्त प्रदेश व जनपद बनाने में सरकार का सहयोग करें!