रविवार दिल्ली नेटवर्क
- कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न 105 श्री समर्पणसागर जी महाराज का मिला सानिध्य
- श्रीमती जहान्वी जैन को मिला जिनवाणी समर्पित करने का सौभाग्य
- श्रीजी की रथयात्रा में शामिल हुआ कुलाधिपति परिवार
- जिनालय से रथयात्रा चार घंटे में पहुंची रिद्धि-सिद्धि भवन
- सौधर्म इन्द्र बने अमन जैन तो कुबेर बने अनुएक जैन
- भजनों और गरबा पर भक्ति में लीन हुए हजारों श्रावक-श्राविकाएं
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी कैम्पस में श्रीजी की भव्य रथयात्रा धूमधाम से निकली। इस अविस्मरणीय रथयात्रा महोत्सव में कुलाधिपति परिवार के संग-संग हजारों श्रावक औऱ श्राविकाएं शामिल हुए। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन के संग पूरा परिवार भक्ति के सागर में डूबे नजर आए। बड़ौत से आए पापुलर बैंड के साथ रथयात्रा जिनालय से प्रारम्भ होकर यूनिवर्सिटी कैंपस में मेडिकल हॉस्टल्स, फैकल्टीज रेजीडेंस, संत भवन, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, एफओईसीएस, आर्मी टैंक, क्रिकेट पवेलियन, एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक होते हुए रिद्धि-सिद्धि भवन पहुंची। रथयात्रा को रिद्धि-सिद्धि भवन पहुंचने में करीब चार घंटे का समय लगा। रथयात्रा में कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न 105 श्री समर्पणसागर जी महाराज, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, श्रीमती जहान्वी जैन की गरिमामयी मौजूदगी रही। रथयात्रा में दिगम्बर जैन समाज, महिला दिगम्बर जैन समाज, रामगंगा जैन समाज और शामली जैन समाज के पदाधिकारियों की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। इससे पूर्व ब्रह्मचारी ऋषभ जैन शास्त्री ने विधि-विधान से रथ पूजन कराया। श्रीजी को जिनालय से रथ तक ढोल नगाड़ों के साथ लाया गया। कुलाधिपति परिवार को रथ खींचने का सौभाग्य मिला। इस अवसर पर संपूर्ण धार्मिक क्रियाओं का संचालन प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री ने कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न 105 श्री समर्पणसागर जी महाराज के सानिध्य में किया। रथयात्रा में सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं के संग-संग अमरोहा, संभल, रामपुर, बिजनौर, उधमसिंह नगर ज़िलों से भी जैन समाज के गणमान्य प्रतिनिधियों ने भी शामिल होकर रथयात्रा महोत्सव की शोभा बढ़ाई। अंत में कुलाधिपति आवास- संवृद्धि पर रथयात्रा महोत्सव में भाग लेने वाले समस्त श्रद्धालु वात्सल्य भोज में शामिल हुए।
रथयात्रा में सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री अमन जैन को मिला, जबकि रथ पर चार इन्द्र बनने का पुण्य सहज जैन, पार्थ जैन, रिषभ जैन, तन्मय सेठी ने कमाया। अनुएक जैन कुबेर बने तो सारथी बनने का सौभाग्य श्री तरंग जैन को मिला। बग्गी पर बैठने का सौभाग्य टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन और श्री संजय जैन को मिला। घोड़े पर बैठने का सौभाग्य मानवी जैन डोली जैन, भक्ति जैन, राखी जैन, दीपाली जैन और पारीशा जैन ने प्राप्त किया। मानचित्र वाले श्री नरेन्द्र जैन ने माला की बोली ली।
कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न 105 श्री समर्पणसागर जी महाराज के पाद प्राक्षालन का सौभाग्य कुलाधिपति परिवार को मिला। कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न 105 श्री समर्पणसागर जी महाराज को जिनवाणी समर्पित करने का सौभाग्य श्रीमती जहान्वी जैन को मिला। रथयात्रा में आगे-आगे जैन ध्वजा लिए छात्र और बैंड ने संगीत और भजनों के साथ सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिसर को जैन धर्म की तरंगों से सराबोर कर दिया। कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न 105 श्री समर्पणसागर जी महाराज के सानिध्य में रथयात्रा चल रही थी यात्रा के दौरान भक्तिमय गीतों पर श्राविकाएं आध्यात्म में लीन नजर आईं। उड़ी-उड़ी जाए…, केसरिया केसरिया, आज म्हारो रंग केसरिया…, रंगमा-रंगमा रंग गयो रे…, बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करूं झूम-झूम के…, आदि संगीतमय भजनों पर श्रीमती ऋचा जैन, श्रीमती नीलम जैन, डॉ. अर्चना जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, डॉ. नम्रता जैन, श्रीमती निकिता जैन, डॉ. नीलिमा जैन, श्रीमती शालिनी जैन, डॉ. विनीता जैन आदि गरबा के रंग में रंगी नजर आईं। रथयात्रा के दौरान श्रावक सफ़ेद कुर्ता पजामा औऱ श्राविकाएं सफ़ेद सलवार औऱ केसरिया रंग के दुपट्टे में नजर आए। टिमिट, मेडिकल और सीसीएसआईटी के छात्रों ने कैंपस में जगह-जगह बने विभिन्न स्टॉल्स पर अपनी अद्भुत और मोहक नृत्य प्रस्तुतियां दी। प्रथम इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री सहज जैन, द्वितीय जैन बनने का सौभाग्य श्री पार्थ जैन, तृतीय इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री रिषभ जैन, चतुर्थ इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री तन्मय सेठी को मिला। प्रथम शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री मनोहर लाल जैन, श्री रवि जैन, श्री सचिन जैन को मिला। द्वितीय शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री पवन जैन और श्री अमन जैन को प्राप्त हुआ। टीएमयू परिवार के प्रो. एसके जैन, श्री विपिन जैन, प्रो. विपिन जैन, डॉ. रत्नेश जैन, प्रो. आरके जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. कल्पना जैन आदि की भी रथयात्रा में उल्लेखनीय मौजूदगी रही।