योगेश कुमार गोयल
टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने के बाद से भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। जुलाई माह में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी होने का तमगा हासिल करने के बाद अब उन्होंने 89.08 मीटर के अपने पहले ही थ्रो के साथ लुसाने डायमंड लीग 2022 जीत ली है और डायमंड लीग जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं। अपने कैरियर के इस सर्वश्रेष्ठ तीसरे प्रयास के साथ ही 7-8 सितंबर को ज्यूरिख में डायमंड लीग फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाले वह पहले भारतीय खिलाड़ी बने हैं और अगले साल बुडापेस्ट (हंगरी) में आयोजित होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए भी 85.20 मीटर क्वालीफाइंग मार्क को तोड़कर क्वालीफाई कर लिया है। लुसाने डायमंड लीग में टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता जैकब वाडलेज्च 85.88 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर जबकि 83.72 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ यूएसए के कर्टिस थॉम्पसन तीसरे स्थान पर रहे। नीरज से पहले डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा डायमंड लीग में शीर्ष तीन में रहने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जो न्यूयॉर्क में 2012 में तथा दोहा में 2014 में दूसरे स्थान और 2015 में शंघाई तथा यूजीन में तीसरे स्थान पर रहे थे और अब लुसाने चरण (डायमंड लीग) में स्वर्ण जीतकर नीरज चोपड़ा डायमंड लीग मीट में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले देश से पहले खिलाड़ी बन गए हैं। लगातार ऐसी ही सफलताएं हासिल करने के कारण ही उन्हें अब भारतीय एथलेटिक्स की अभूतपूर्व सफलता का अग्रदूत भी माना जाने लगा है।
हालांकि लंबी कूद खिलाड़ी मुरली श्रीशंकर तथा 3000 मीटर स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले ने भी डायमंड लीग में भाग लिया था लेकिन वे शीर्ष तीन में जगह बनाने में सफल नहीं हो सके थे। श्रीशंकर अगस्त माह की शुरुआत में मोनाको में छठे स्थान पर रहे थे जबकि साबले जून में मोरक्को के रबात में पांचवें स्थान पर रहे थे। नीरज के लिए डायमंड लीग की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका मानना है कि डायमंड लीग का आयोजन प्रतिवर्ष होता है और डायमंड लीग मीट या महाद्वीपीय टूर जैसी प्रतियोगिताओं में एथलीटों को शानदार अवसर मिलता है, जो उन्हें अच्छा करने का मौका देती हैं। नीरज का मानना है कि हमें केवल ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, विश्व चैंपियनशिप जैसे ऐसे खेल आयोजनों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, जिन्हें दो या चार साल के अंतराल पर खेला जाता है बल्कि डायमंड लीग मीट या महाद्वीपीय टूर जैसी प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि इन प्रतियोगिताओं में विश्वस्तरीय एथलीट हिस्सा लेते है, जिससे प्रमुख टूर्नामेंटों के लिए अच्छी तैयारी करने में बड़ी मदद मिलती है। उनके मुताबिक डायमंड लीग जैसे टूर्नामेंटों में अच्छा प्रदर्शन करने से भारतीय एथलेटिक्स को भी मदद मिलेगी।
नीरज ने इसी साल जुलाई माह में अमेरिका के ओरेगन में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीतकर इतिहास रचा था और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले वह पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। विश्व चैंपियनशिप में भारत अब तक केवल दो पदक ही जीत सका है। पहली बार 2003 की विश्व चैंपियनशिप में लांग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज ने पेरिस में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद 19 वर्षों से भारत विश्व चैंपियनशिप में पदक के लिए तरस रहा था और इस लंबे इंतजार को अपने स्वर्णिम प्रदर्शन से खत्म किया नीरज चोपड़ा ने, जिन्होंने ओरेगन विश्व चैंपियनशिप में क्वालिफिकेशन में 88.39 मीटर के साथ फाइनल में जगह बनाई और पदक राउंड में 88.13 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके रजत पदक जीतकर इतिहास रच डाला था। विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में भारत का यह पहला रजत पदक था। इस चैंपियनशिप के अफाइनल में तीन बार 90 मीटर के मार्क को पार करते हुए 90.54 मीटर की दूरी के साथ एंडरसन पीटर्स स्वर्ण पदक जीतकर विश्व चैंपियन बने। इसी चैंपियनशिप के फाइनल में नीरज की जांघ में लगी चोट के कारण वह राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं ले पाए थे। इन्हीं राष्ट्रमंडल खेलों में इस वर्ष भारतीय खिलाडि़यों ने 61 पदक जीतकर विभिन्न खेलों में भारत के सुधरते प्रदर्शन की सुखद तस्वीर पेश की थी। 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में नीरज भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे थे।
टोक्यो ओलंपिक में तो नीरज ने ऐसा इतिहास रच डाला था, जो उनसे पहले एथलेटिक्स में 121 वर्षों में कोई भी भारतीय एथलीट नहीं कर सका था। एथलेटिक्स किसी भी ओलंपिक का सबसे प्रमुख आकर्षण होते हैं लेकिन 121 सालों में कोई भी भारतीय एथलीट ओलंपिक में पदक नहीं जीत सका था और पिछले साल नीरज भारत के लिए ओलंपिक में एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। 24 वर्षीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा एथलेटिक्स में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी होने के साथ ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले दूसरे खिलाड़ी भी बने थे। वह एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, साउथ एशियन गेम्स तथा विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं। बहरहाल, विश्व चैंपियनशिप के दौरान लगी चोट से बहुत जल्द उबरने के बाद डायमंड लीग में इतिहास रचकर नीरज ने साबित कर दिया है कि आने वाली अनेक स्पर्धाओं में अपने ऐसे ही स्वर्णिम प्रदर्शन से वह भारत को गौरवान्वित करते रहेंगे। टोक्यो ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप तथा अब डायमंड लीग में इतिहास रचने के बाद नीरज की नजरें 2024 के पेरिस ओलम्पिक पर केन्द्रित हैं।
(लेखक 32 वर्षों से पत्रकारिता में निरन्तर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हैं)