- प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी सरकार के साथ इमरजेंसी मीटिंग बुलाए केन्द्र सरकार
- प्रदूषण के कारण दिल्ली के व्यापार में आ रही कमी
- दिल्ली के बाजारों में भीड़ घटी, एनसीआर से भी फुटफाल घटा
- सरकार कहेगी तो बाजारों को अलग अलग समय खोलने को तैयार व्यापारी
- शादियों का सीजन हो रहा शुरू – लोग कैसे निकलेंगे घर से बाहर ?
दीपक कुमार त्यागी
दिल्ली एनसीआर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण का असर दिल्ली के रिटेल बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी में हवा की क्वालिटी ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है। इसकी खबरें टीवी, अखबार और सोशल मीडिया के जरिए हर इंसान तक पहुंच रही है। अब अधिकतर लोग खरीदारी के लिए बाजारों में आने से परहेज कर रहे हैं , जहां रोजाना एनसीआर से 3 से 4 लाख लोग खरीददारी के लिए दिल्ली आते थे , प्रदूषण के कारण इनकी संख्या घटकर 1 लाख रह गई है ।
व्यापारी संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) चेयरमैन बृजेश गोयल ने एयर पलूशन पर चिंता जताई है और इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है । सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि अब शादी-ब्याह का सीजन करीब है , मार्केट में फुटफॉल अच्छा होता है। दिल्ली में दूसरे शहरों से भी ग्राहक आते हैं। अब प्रदूषण की वजह से लोग आना नहीं चाहते हैं। बहुत से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। श्वास संबंधी खरीददार तो बिल्कुल घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
सीटीआई का कहना है कि प्रदूषण ना केवल दिल्ली की समस्या है बल्कि नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव, सोनीपत जैसे एनसीआर के शहरों में भी AQI लेवल गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है और इसका समाधान केन्द्र सरकार ही निकाल सकती है ,
इसलिए सीटीआई ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग की है जिसमें कि दिल्ली सरकार, हरियाणा सरकार, पंजाब सरकार, यूपी सरकार के मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री शामिल हों ।
केंद्र सरकार से आग्रह है कि सभी सरकारों के साथ मिलकर एयर पलूशन के खिलाफ सख्ती से ठोस कदम उठाए ,वरना कारोबार को नुकसान पहुंचना तय है क्योंकि दिल्ली में आवश्यक सामग्री को छोड़कर डीजल ट्रकों की एंट्री बैन होने से माल की आवाजाही बंद होने से कारोबारियों पर माल की कमी शुरू हो गई है , इसके अलावा पीएनजी को छोड़कर अन्य सभी तरह की फैक्ट्रियां भी बंद होने से माल की समस्या आ रही है ।
दिल्ली के 20 लाख व्यापारी पूरी तरह से सरकार के साथ हैं और अगर सरकार बाजारों को खोलने का समय अलग अलग करती है तो दिल्ली के सभी मार्केट एसोसिएशन्स सरकार को सहयोग करेंगे ।