राजनीति का आकाश और अणुव्रत सांसद संगोष्ठी

  • नई दिल्ली के संसद भवन में अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में अणुव्रत विश्व भारती के तत्वावधान में अणुव्रत संसदीय मंच द्वारा संगोष्ठी का आयोजन अणुव्रत
  • अणुबम से भी ताकतवर,अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी ने नेताओं के लिए ही नहीं आमजन के लिए वर्षों पूर्व आचार संहिता बनाई- अर्जुन राम मेघवाल

नीति गोपेन्द्र भट्ट 

नई दिल्ली : केंद्रीय कानून,संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री एवं अणुव्रत संसदीय मंच के संयोजक अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के लिए चुनाव से कुछ समय पूर्व ही आचार संहिता लागू करता है जबकि अणुव्रत अनुशास्ता महान संत आचार्य तुलसी ने अपनी दूरदर्शी सोच से वर्षों पूर्व स्वयं द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से न केवल नेताओं बल्कि आम व्यक्ति के लिए सटीक आचार संहिता बना दी थी जोकि आज भी सर्वाधिक प्रासंगिक है।

मेघवाल नई दिल्ली में पुराने संसद भवन के संविधान सदन कक्ष में अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में अणुव्रत विश्व भारती के तत्वावधान में साध्वीश्री अणिमाश्री जी के सानिध्य में अणुव्रत संसदीय मंच द्वारा ” राजनीति का आकाश और अणुव्रत” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी में केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतिभा भौमिक,विभिन्न प्रदेशों के सांसद गण,साध्वी वृन्द और अणुव्रत की विभिन्न घटक संस्थाओं के पदाधिकारी एवं प्रतिनिधि गण उपस्थित रहें।

केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि यह सुखद संयोग ही है कि देश की आजादी के साथ ही यह वर्ष अणुव्रत का भी अमृत काल वर्ष है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वयं प्रेक्षाध्यान करते है और अणुव्रत के सिद्धांतों के अनुरूप संकल्प से सिद्धि की भावना से देश की सेवा में जुटे हुए है। इसी प्रकार आरएसएस के सर संघचालक डा मोहन भागवत भी प्रतिवर्ष तीन दिनों तक आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में रह कर और उनसे भेंट कर अणुव्रत को अंगीकार करते हैं। मेघवाल ने कहा कि अणुव्रत अणुबम से भी अधिक ताकतवर है,क्योंकि अणुव्रत रचनात्मकता से भरा हुआ है जबकि अणुबम विध्वंसकारी है। उन्होंने कहा कि अणुव्रत आचार्य महाश्रमण, आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत के छोटे-छोटे लेकिन बड़े उद्देश्य वाले सिद्धांतों को तेजी से आगे बढ़ा रहें है।

मेघवाल ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज के बाद उन्हें अणुव्रत संसदीय मंच के संयोजक का दायित्व मिलना सौभाग्य का विषय है।

भारतीय संस्कृति ऋषि और कृषि प्रधान- साध्वी अणिमाश्री

इस अवसर पर अपने आशिवर्चन में साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सानिध्य में अयोध्या में भगवान राम लला की दिव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होना पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की मर्यादा, सत्य, चरित्र और मर्म के साथ ही हमारे सनातन धर्म के वसुधैव कुटुम्बकम् की भावनाके साथ ही एक विश्व,एक समाज और एक चुनाव का संदेश देने वाला है।

साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि आज दुर्भाग्य से दुनिया आतंकवाद की समस्या के दंश से घिरी हुई है और इससे आचार्य तुलसी द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों से ही उबरा जा सकता है। आज विश्व के सभी देशों को किसी भी निरपराधी की हत्या नही करने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी एक दिव्य पुरुष थे जिन्होंने जीव मात्र के कल्याण के लिए सौ वर्षों से अधिक दूर की सोच रखते हुए मानव निर्माण की शानदार बुनियाद रखी।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ऋषि और कृषि प्रधान है जो एक ओर जीवों की उदर पूर्ति एवं आजीविका के उपक्रमों को दर्शाती है। साथ ही बेजोड़ आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन का संदेश भी देती है। साध्वीश्री ने कहा कि सयंम आत्मानुशासन से ही संभव है और व्रत की चेतना में ही वह ताकत है जो सयंम और साधना का मार्ग प्रशस्त करती है।

उन्होंने सांसदों का आह्वान किया कि जन प्रतिनिधियों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे स्वयं के साथ समाज में नैतिकता और चारित्रिक उन्नयन तथा नैतिकता को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करें तभी समाज में व्याप्त हो रही बुराइयों, नैतिक ह्रास एवं पतन को रोका जा सकेगा। साध्वीश्री ने बताया कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद से लेकर देश के अनेक नेता अणुव्रत के अनुयायी बने हैं । संगोष्ठी में केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतिभा भौमिक ने कहा कि जैन समाज ने देश में ही नही पूरे विश्व में अपने कारोबार, व्यवसाय और उद्योग धंधों आदि से भारत की धाक जमाई है। साथ ही इनका देश की जीडीपी को बढ़ाने में भी अतुलनीय योगदान रहा है।

इस मौके पर इंदौर के सांसद शंकर लाल लालवानी,जम्मू कश्मीर के जुगल किशोर, वडोदरा की रंजना भट्ट,जयपुर के राम चरण बोहरा,सिरसा की सुनीता दुग्गल,मेरठ के राजेन्द्र अग्रवाल, कर्नाटक के लहर सिंह सिरोया, महसाना की शांता बहन आदि ने अणुव्रत संसदीय मंच की सराहना करते हुए संयम, अपरिग्रह, नैतिकता, सत्य, अहिंसा के मूल मंत्रों को अंगीकार करने के साथ ही युवा पीढ़ी में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक प्रयासों पर बल दिया।

समारोह के प्रारंभ में साध्वीश्री सुधा प्रभा जी, साध्वीश्री सम्यक्तव यशा जी एवं समणी स्वर्णप्रज्ञा नें अणुव्रत गीत से मंगलाचरण किया। अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष अविनाश नाहर ने अपने स्वागत भाषण में अणुविभा द्वारा संपादित किये जा रहे विभिन्न प्रकल्पों को सांसदो के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उनसे सक्रिय सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने सांसदों को अणुव्रत के जीवन विज्ञान पाठ्यक्रम की जानकारी भी दी और बताया कि देश की कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थाएं इसे संचालित कर रही है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अणुविभा की संगठन मंत्री डॉ कुसुम लुनिया ने बताया कि अणुव्रत जीवन परिष्कार की भव्य प्रक्रिया है। इसके शाश्वत मूल्यों के साथ ही सांसद राजनीति के आकाश में स्थिर रह सकते हैं। संगोष्ठी के अंत में महामंत्री भीखम सुराणा ने सभी का आभार ज्ञापन किया।

संगोष्ठी में सांसद राहुल कस्वां, रतन सिंह,गीता बेन रतवा,मितेश भाई पटेल के साथ ही अणुव्रत विश्व भारती के ट्रस्टी तेज करण जैन,सलाहकार कैलाश चंद्र जैन, उपाध्यक्ष, राजेश महाचंद सुराणा, जैन तेरापंथ समाज दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया,अणुव्रत इतिहास के संयोजक प्रमोद कुमार जैन,अणुव्रत आर्बिटेटर बोर्ड के सदस्य शांति लाल जैन,जनप्रतिनिधि सम्मेलन के संयोजक बाबूलाल दुग्गड,बीकानेर संभाग के प्रभारी विनोद कुमार बाछावत, पदम चंद दफ्तरी,अणुव्रत समिति दिल्ली के अध्यक्ष मनोज कुमार जैन, सचिव राजेश कुमार जैन, अनुविभा के सलाहकार सुरेश राज जैन,कानूनी सलाहकार नवनीत दुग्गड,नवीन शर्मा, अणुव्रत से जुड़े गोपेन्द्र नाथ भट्ट और अणुव्रत ट्रस्ट के शांति लाल जैन पटावरी आदि भी मौजूद थे।