350 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक राजसमंद झील अक्टूबर माह में 50 वर्ष बाद छलकी

गोपेंद्र नाथ भट्ट

झीलों की नगरी उदयपुर से करीब 65 किमी दूर दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ अंचल की करीब 350 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक राजसमंद झील अक्टूबर माह में 50 वर्ष बाद छलकी है।

मानसून विदा होने के बाद भी पानी की आवक बनी रहने से यह ऐतिहासीक राजसमंद झील छलकने लगी है। इससे पहले 44 साल के लंबे इंतजार बाद राजसमंद झील 2017 में छलकी थी। वहीं 50 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब झील अक्टूबर माह में ओवरफ्लो हुई है।

कुछ वर्षों पहले मार्बल माफिया द्वारा झील के पेटे में मार्बल स्लेरी डालने से इसमें पानी की आवक कम होने से इस ऐतिहासिक झील के अस्तित्व पर संकट आ गया था लेकिन कालान्तर में जनता और मीडिया की जागरूकता ने झील के आसपास मार्बल स्लेरी डालने पर रोक लगाने और स्लेरी के डम्पिंग स्थानों की सफ़ाई से झील को पुनर्जन्म मिला और जब झील में पानी की आवक होने लगी तो आज यह नजारा देखना सम्भव हो सका है।

उल्लेखनीय गाई क़ि इस ऐतिहासिक झील का निर्माण सन् 1662-1676में मेवाड़ के राणा राज सिंह प्रथम ने करवाया था। यह 2.82 किलोमीटर (1.75 मील) चौड़ी, 6.4 किलोमीटर (4.0 मील) लम्बी और 18 मीटर (59 फीट) गहरी है। इसे गोमती, केलव और ताली नदी पर बनवाया गया था और इसका जलभराव क्षेत्र 510 वर्ग किलोमीटर (200 वर्ग मील) है।

इस वर्ष राजसमंद झील में नंदसमंद बांध से खारी फीडर होते हुए लगातार पानी की आवक बनी हुई थी। गोमती नदी से भी धीरे धीरे आवक जारी रहने से आखिरकार राजसमंद झील को छलकता हुआ देखने का लोगों का सपना पूरा हुआ है ।

राजसमंद से भाणा-लवाणा रोड पर कमलबुर्ज के पास तीन जगह से पानी की चादर चल रही है। आवक ऐसे ही बनी रही तो जल्द ही चौथे पॉइंट से भी पानी ओवरफ्लो होने लगेगा।

लोगों की उम्मीद हुई पूरी

इस वर्ष मानसून आने से पहले राजसमंद

झील का जलस्तर 9.15 मीटर के मुकाबले 3.57 मीटर था। मानसून के मेवाड़ से विदा होने के समय ( 4 अक्टूबर 2023) को राजसमंद का जलस्तर 8.89 मीटर पर पहुंच गया था। मानसून विदा होने के बाद झील के छलकने की उम्मीद कम हो गई थी, लेकिन दो तरफा पानी की आवक बनी रहने से झील छलक ही गई। पानी की आवक जारी रहने से दो तीन दिन में इसकी चादर और तेज होने की पूरी उम्मीद है। झील पर पानी की चादर को देखने लोगों का बड़ी संख्या में ओवरफ्लो स्थल पर पहुंचने का सिलसिला बना हुआ है।

राजसमंद झील के भरने से एक ओर जहाँ क्षेत्र में किसानों की सिंचाई को लेकर चिंता दूर हुई है, साथ ही राजसमंद में सालभर के लिए पेयजल व्यवस्था भी मजबूत हो गयी है।