आर.के. सिन्हा
अभी कुछ दिन पहले की एक खबर ने हरेक लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखने वाले इंसान को उदास कर दिया होगा। खबर संभवत: आपने भी पढ़ ली होगी। अगर किसी कारणवश नहीं पढ़ी तो बताना जरूरी है कि मध्य प्रदेश के जिला सीहोर में एक मुस्लिम महिला को उसके ससुराल वालों ने इसलिए बुरी तरह पीटा, क्योंकि; उसने भाजपा को हालिया विधानसभा चुनावों में वोट दिया था। उस महिला को पीटने वालों में उसका अपना देवर भी शामिल था। उसे जब पता चला कि उसके भाई की पत्नी ने भाजपा के हक में वोट किया है तो उसने अपनी भाभी को बुरी तरह से डंडों से मारा। उसका कुछ संबंधियों और पड़ोसियों ने भी साथ दिया। इसके बाद पीड़ित महिला न्याय के लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची और वहां आवेदन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई। अब जरा बताइये कि भाजपा के खिलाफ इतनी नफरत कुछ लोगों के मन में क्यों है। देश का कोई भी नागरिक किसी भी दल के उम्मीदवार को वोट देने के लिए स्वतंत्र है। ये अधिकार देश का संविधान सभी को देता है। तब किसी को भी इस बात के लिए तकलीफ क्यों हो रही है कि उसके परिवार में किसने फलां-फला दल के पक्ष में मतदान क्यों किया। दरअसल भाजपा सरकार से कुछ कठमुल्लों को इसलिए नाराजगी है क्योंकि उसने (भाजपा) ने मुसलमानों में ट्रिपल तलाक और हलाला जैसे अमानवीय परम्परा को खत्म करने के लिए बड़े कदम उठाए। इन कठमुल्लों की घोर महिला विरोधी सोच को जहां से भी ललकारा जाता है, तो ये पागलपन पर उतरने लगते हैं, बेवजह हिंसक हो उठते हैं। मुझे याद आ रहा है जब कुछ समय पहले मुंबई में उन मुस्लिम महिलाओं के साथ भी इसी तरह मारपीट और धक्कामुक्की की गई जो ट्रिपल तलाक के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चला रही थीं। उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं कुछ सड़क छाप मुस्लिम नेताओं और उनके चेलों द्वारा। इन लफंगों ने हस्ताक्षर अभियान चलाने वाली महिलाओं पर इस्लाम विरोधी होने तक का आरोप भी लगा दिया था।
अब मध्य प्रदेश की ताजा घटना को देखिए। हैरानी की बात ये है कि कोई भी मुस्लिम संगठन या अपने को मुसलमानों का नेता कहने वाला उस महिला के साथ खड़ा नहीं हो रहा है जिसके साथ मारपीट की गई है। अपने को मुसलमानों का शुभचिंतक बताने वाली तीस्ता सीतलवाड़ ने उस दीन-हीन महिला के हक में कोई बयान तक नहीं दिया है। वे तमाम लेखक और कैंडल मार्च निकालने वाले बुद्धिजीवी भी नदाराद हैं जो बात-बात पर दीन-हीन मुसलमान औरतें का साथ देने के लिए तैयार रहते हैं।
भाजपा को हर वक्त बुरा-भला कहने वाले यह तो अब जान लें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने अभी तक के शासनकाल में औरतों के हक में तमाम बड़ी योजनाएं लागू की हैं और करते ही चले जा रहे हैं। उनका लाभ मुसलमान औरतों को भी हो रहा है। क्योकिं, मोदी जी के शासन में जाति धर्म के आधार पर कोई भेदभाव तो है ही नहीं। इसलिए मुसलमान औरतें की मोदी सरकार और भाजपा को लेकर राय बदली है। प्रधानमंत्री मोदी अपने अधिकांश संबोधनों में महिलाओं के सशक्तीकरण पर जोर देते हैं। मोदी सरकार युवाओं के साथ-साथ महिलाओं के विकास पर भी जोर दे रही है। उसकी तीन योजनाओं के फलस्वरूप महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूती मिली है। पहले बात की शुरुआत उज्जवला योजना 2023 से ही करते है।
प्रदूषण को कम करने व महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा उज्जवला योजना लॉन्च की गई। इस योजना के माध्यम से देश की महिलाओं को निशुल्क गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाए जाते हैं। इस योजना के अंतर्गत देश के 8.3 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचा है। जाहिर है, इस योजना से जिन औरतों को लाभ हो रहा है उनमें मुसलमान और ईसाई महिलाएं भी हैं। क्या जिन्हें उज्जवला योजना से लाभ होने लगा है वह मोदी सरकार का बिना वजह विरोध करेंगी?
अब बात करें फ्री सिलाई मशीन योजना की। इस योजना के अंतर्गत देश की तमाम महिलाओं को फ्री सिलाई मशीन प्रदान की जाएगी, जिसके जरिए महिलाएं आसानी से घर बैठे रोजगार प्राप्त कर सकती हैं और जीवन का गुजर-बसर कर सकती हैं। अब मोदी सरकार की सुरक्षित मातृत्व आश्वासन “सुमन योजना” की बात कर लें।
सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना की शुरुआत 10 अक्टूबर 2019 को ही की गई थी। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की जीवन सुरक्षा के लिए निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।इस योजना के जरिए सभी गर्भवती महिलाओं के प्रसव से पहले चार बार मुफ्त जांच का अधिकार है। इसके अलावा प्रसव के समय होने वाला सारा खर्च सरकार द्वारा उठाया जाएगा और प्रसव के बाद 6 महीने तक मां और बच्चे को निशुल्क दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाएगी। जाहिर है, इन तमाम युगांतकारी योजनाओं का लाभ मुसलमान औरतों को भी तो हो रहा है।
इसके साथ ही मोदी सरकार की पहल पर मुसलमान औरतों को तीन तलाक से मुक्ति मिली। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी आया। इसने मुसलमान औरतों को तीन तलाक की बर्बर कुप्रथा से मुक्ति दिलवा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने’ इस दौरान तीन तलाक पर रोक लगा दी। कहते हैं कि हैं कि न्याय अंधा होता है। वरना न्याय की देवी की दोनों आंख पर पट्टी नहीं बंधी होती। इसका पता चला गया। हालांकि , कई कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन ट्रिपल तलाक को जारी रखने की पुरज़ोर वकालत भी कर रहे थे, पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुसलमान औरतों को जीवनदान दे ही दिया। इस फैसले के आने से पहले तक यह कहा जा रहा था कि ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही यह तय हो जायेगा कि मानवता जीतती है या मुस्लिम सांप्रदायिकता और अमानवीयता।
एक बात समझ ली जाए कि अब मुस्लिम औरतें भी पढ़-लिख गई हैं और जाग उठी हैं। वे भी अब गुलामी की जंजीर को तोड़ने का मन बना चुकी हैं। अब इन्हें नामंजूर है कि इनके शौहर या परिवार के बाकी सदस्य इन्हें अपना गुलाम बानकर रखें। मध्य प्रदेश की उस बहादुर महिला के जज्बे को सलाम जिसने अपने विवेक से अपने मताधिकार का प्रयोग किया और उन सबकी शिकायत की जिन्होंने उसके साथ मारपीट की थी। देश को इस तरह की महिलाओं के साथ खड़ा होना होगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)