
रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : तालिबान शासन द्वारा अफगानिस्तान में महिलाओं की नर्सिंग शिक्षा पर प्रतिबंध लगाए जाने पर डॉ. राजेश्वर सिंह ने कड़ा विरोध व्यक्त किया है। डॉ. सिंह ने इस कदम को रूढ़िवादी और संकीर्ण विचारधारा को बढ़ाने वाला कदम बताया। विधायक ने लखनऊ के मुस्लिम विद्वानों से तालिबान के कट्टरपंथ को उजागर करने की अपील की है।
सरोजनीनगर विधायक ने शनिवार को सोशल मीडिया पोस्ट कर बताया कि अफगानिस्तान में महिलाओं की आबादी करीब 1.7 करोड़ है, तालिबान के शासन में महिलाओं को लगातार उच्च शिक्षा प्राप्त करने, नौकरी करने, अकेले घर से निकलने आदि बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जाता रहा है, साथ साथ उनके विरुद्ध हिंसा में भी वृद्धि हुई है।
विधायक ने महिला समानता पर चिंता व्यक्त करते हुए आगे लिखा इन प्रतिबंधों के लिए तालिबान ने जो धार्मिक तर्क दिए हैं, वे रूढ़िवादी संकीर्ण विचारों को बढ़ावा देने वाले हैं। जिनका उद्देश्य केवल महिलाओं की स्वतंत्रता प्रतिबंधित करना है। लगातार समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से अफगानिस्तान में महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकिन इस विषय पर लखनऊ के इस्लामिक विद्वानों की चुप्पी अत्यंत दुखद, पीड़ादायक है।
डॉ. सिंह ने लखनऊ के मुस्लिम स्कॉलर्स और धर्म गुरुओं से अपील करते हुए आगे लिखा, लखनऊ का ऐतिहासिक योगदान न्याय, मानवाधिकार और समानता के लिए विख्यात रहा है, किंतु आज जब अफगान महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं, उनके समर्थन में लखनऊ से कोई आवाज नहीं उठ रही है।
अनेक अंतराष्ट्रीय मुद्दों को लेकर लखनऊ में हुए प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए डॉ. सिंह ने आगे लिखा, जहां एक ओर, आज भी लखनऊ में हमास और ईरान के आतंकी संगठनों के समर्थन में जुलूस निकलते हैं, वहीं दूसरी ओर अफगान महिलाओं की पीड़ा पर वही लोग शांत रहते हैं, यह गलत है।उचित तो ये होगा कि, लखनऊ के इस्लामिक विद्वान अफगानिस्तान में महिला अधिकारों के विरुद्ध की जा रही कट्टरपंथी और रूढ़िवादी धार्मिक व्याख्याओं को उजागर करें, सामने लाएं।
अपनी बात को समाप्त करते हुए डॉ. सिंह ने अंत में लिखा अब समय है कि हम अफगान महिलाओं के समर्थन में एक साथ अपनी आवाज उठाएं, लखनऊ के मुस्लिम धर्मगुरु तालिबान के अत्याचारों और संकीर्ण व्याख्याओं के विरुद्ध खुलकर सामने आएं।