गोपेन्द्र नाथ भट्ट
प्रयागराज महाकुंभ मेला-2025 में मौनी अमावस्या पर हुए दर्दनाक हादसे के बाद उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने सेवानिवृत आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की एक जांच समिति का गठन कर दिया है। इस समिति को एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी हैं।
प्रयागराज महाकुंभ मे रोजाना एक करोड़ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है और योगी सरकार का दावा है कि 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे। मौनी अमावस्या पर यहां भारी भीड़ में भगदड़ मची। जिसमें कई लोगों की मृत्यु हो गई और कई घायल हो गए चौंकाने वाली बात यह रही कि हादसे के 12 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी हताहत लोगों की संख्या नहीं बताई जा सकी। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों की संख्या जारी की लेकिन जानकारों का मानना है कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है। हादसे के बाद चारों ओर अफरातफरी का माहौल था और संगम पर स्नान भी बंद कर दिया गया। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के मौके पर दूसरे अमृत स्नान के दौरान महाकुंभ मेला क्षेत्र में यह भगदड़ मची थी। अप्रत्याशित भीड़ के दबाव के कारण अखाड़ा मार्ग की बैरिकेडिंग टूट गई, जिसके बाद जमीन पर लेटे और बैठे श्रद्धालुओं पर बाकी श्रद्धालुओं की भीड़ चढ़ गई। इसके बाद लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने लगे। इस दर्दनाक घटना में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। प्रयाग राज में डीआईजी वैभव कृष्ण और मेलाधिकारी विजय किरन आनंद भारी दवाब में है क्योंकि महाकुंभ में पहली बार ऐसा हादसा नहीं हुआ।
इससे पहले,19 जनवरी को महाकुंभ मेला क्षेत्र में एक और आग लगने की घटना हुई थी। शास्त्री ब्रिज के पास सेक्टर 19 में स्थित गीता प्रेस के कैंप में आग लगी, जिससे करीब 180 कॉटेज जलकर राख हो गए थे। इन कॉटेजों में रखे 13 एलपीजी सिलिंडर भी आग की चपेट में आकर फट गए, जिससे अफरातफरी मच गई थी। इस हादसे में पांच बाइकें और पांच लाख रुपये की नकदी भी जल गई। मेला प्रशासन के अनुसार, आग की चपेट में आने से 40 झोपड़ियां और 6 टेंट भी जलकर नष्ट हो गए थे। इस दुर्घटना के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।
उक्त दो घटनाओं के बाद एक बार फिर से गुरुवार को महाकुंभ के कई टेंट आग के हवाले हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मौके पर 10 से 15 पंडाल थे जो पूरी तरह से जल गए। गनीमत रही कि आज में कोई बड़ी जनहानि की घटना सामने नहीं आई है। झूंसी के छतनाग घाट की तरफ नागेश्वर पंडाल में लगी आग पर अब काबू पा लिया गया है। फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच स्थिति को संभाला हैं। आग जिस जगह पर लगी है, वहां कोई पब्लिक नहीं थी, इसलिए किसी प्रकार की जनहानि की सूचना नहीं है। सीनियर अफसर घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल, आग लगने की वजह का पता नहीं चल पाया है।
प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ नक्षत्रों के अनुसार 144 वर्ष बाद लग रहा है और गिनीज बुक के रिकॉर्ड्स के साथ पूरे देश और दुनिया में महाकुम्भ को लेकर जिस प्रकार का प्रचार प्रसार हुआ है उसके कारण हर कोई प्रयाग राज जाकर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में डुबकी लगाना चाहता है। प्रयाग राज पहुंचने के हर साधन का किराया आसमान छू रहा हैं और वह रहने की अनेक व्यवस्थाएं होने के बावजूद स्थान कम पड़ने लगे है। हालांकि इस बार के महाकुम्भ के इंतजामों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की काफी सराहना भी हुई हैं । अब तक करीब बीस करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने महाकुम्भ में स्नान कर लिया है। इसके बावजूद प्रयाग राज में हुए हादसों को लेकर प्रतिपक्ष सरकार पर हमलावार होकर उनकी आलोचना कर रहा हैं।
जानकारों का कहना है कि मात्र आलोचना के लिए आलोचना करना उचित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि प्रयागराज जैसे हादसे इससे पूर्व भी हरिद्वार आदि स्थानों पर हो चुके हैं। जानकार यह भी कहते है कि अपने घर में छोटा सा कार्यक्रम सकुशल सम्पन्न कराने में लोगों की हवा निकल जाती है जबकि प्रयागराज में तो इन दिनों पूरा विश्व समाया हुआ हैं। ऐसे में इस आध्यात्मिक और धार्मिक समागम की आलोचना नहीं वरन उसकी सफलता के लिए हर संभव सहयोग करने आम आवाम को आगे आना चाहिए। दूसरी ओर यह भी सही है कि महाकुम्भ जैसे विशाल आयोजनों को लेकर केन्द्र राज्य और स्थानीय प्रशासन को बिना किसी दवाब और पूर्वाग्रहों में आए बिना दूरदर्शी अंदाज को ध्यान में रख ऐसे माकूल इंतजाम करने चाहिए कि प्रयाग राज महाकुम्भ जैसी दर्दनाक घटनाएं घटित नहीं हो सकें। देखना है कि प्रयागराज के हादसों से सबक लेकर महाकुंभ प्रशासन शेष दिनों में और भी बेहतर माकूल प्रबंधों की सुनिश्चित कर इस आयोजन को निर्विघ्न बनाएगा। साथ ही प्रयागराज महाकुम्भ के दर्दनाक हादसों को रोकने के लिए सरकार के साथ आम जनता को भी आगे आकर सहयोग करना होगा।