
रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शनिवार को सोशल मीडिया प्रोफाइल ‘एक्स’ पर पर्यावरण से जुड़ी गंभीर चिंताओं को साझा किया और जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और प्रत्येक नागरिक को इस दिशा में अपना योगदान देना चाहिए।
भोजन की बर्बादी पर चिंता: डॉ. सिंह ने चिंता जताई कि वैश्विक स्तर पर उत्पादित कुल भोजन का एक-तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है, जो सालाना लगभग 1.3 अरब टन के बराबर है। भारत में हर साल लगभग 40% भोजन बर्बाद होता है, जो 58 मिलियन टन के बराबर है। उन्होंने कहा कि यह बर्बाद किया गया भोजन उन लाखों जरूरतमंदों का पेट भर सकता है जो हर दिन भूखे सोते हैं। भोजन की बर्बादी को कम करने से न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाया जा सकता है, बल्कि संसाधनों की बचत भी हो सकती है।
ऊर्जा की बर्बादी को रोकने पर बल: सरोजनीनगर विधायक ने बताया कि भारत में ऊर्जा की भारी बर्बादी होती है, जहां लगभग 30% बिजली खराब अवसंरचना के कारण नष्ट हो जाती है। इसके अलावा, 80% भारतीय घर अभी भी गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा-कुशल रोशनी (एलईडी बल्ब) का उपयोग करने और सौर ऊर्जा अपनाने से ऊर्जा खपत और उत्सर्जन को कम किया जा सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलेगी।
प्लास्टिक कचरे पर चिंता: डॉ. सिंह ने आगे जोड़ा कि भारत हर साल 3.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 60% ही पुनर्चक्रित किया जाता है। बाकी कचरा लैंडफिल और महासागरों में चला जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और समुद्री जीवन को गंभीर क्षति पहुँचती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर, हर साल 8 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति होती है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना इस संकट को कम करने के लिए आवश्यक है।
अन्य पर्यावरणीय समस्याओं पर प्रकाश: राजेश्वर सिंह ने चिंता जताई कि भारत हर साल 0.5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक वन खो देता है। मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में वनों की कटाई की दर अधिक है, जिससे जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में 80% से अधिक अपशिष्ट जल बिना उपचार के छोड़ दिया जाता है, जिससे गंगा जैसी नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। वायु प्रदूषण पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं। दिल्ली की वायु गुणवत्ता WHO के सुरक्षित मानकों से 10-20 गुना अधिक खराब हो जाती है, जिससे गंभीर श्वसन (सांस संबंधी) बीमारियाँ होती हैं।
युवाओं और नागरिकों की भूमिका: डॉ. सिंह ने बताया कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपशिष्ट को कम करे और सतत (सस्टेनेबल) प्रथाओं को अपनाकर पर्यावरण की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे कदम जैसे भोजन और प्लास्टिक की बर्बादी को कम करना, ऊर्जा की बचत करना और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं। युवा वर्ग, जो देश का भविष्य हैं, पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए सुझाए गए कदम: डॉ. सिंह ने सुझाव प्रस्तुत किया कि: कागज़ का उपयोग कम करें, पुन: उपयोग करें, पुनर्चक्रित करें (Reduce, Reuse, Recycle): एक टन कागज को रीसायकल करने से 17 पेड़ और 7000 गैलन पानी की बचत होती है।
ऊर्जा बचाएँ: एलईडी बल्बों का उपयोग पारंपरिक बल्बों की तुलना में 80% तक ऊर्जा की बचत कर सकता है। सौर ऊर्जा प्रणाली अपनाने से कार्बन फुटप्रिंट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
भोजन की बर्बादी कम करें: खाद बनाना (कम्पोस्टिंग) और भोजन को सही तरीके से स्टोर करना अपशिष्ट को कम कर सकता है।
वृक्षारोपण करें: एक पेड़ हर साल लगभग 48 पाउंड CO₂ अवशोषित करता है। स्कूलों और सार्वजानिक स्थलों पर पेड़ लगाने से वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
जल संरक्षण करें: वाटर लीकेज को ठीक करना और जल-कुशल उपकरणों (वॉटर-इफिशिएंट अप्लायंसेज) का उपयोग करना लाखों लीटर पानी की बचत कर सकता है।
अंत में, सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे पर्यावरण की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएँ और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित भविष्य का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि अगर हम सभी मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करें, तो यह पृथ्वी को बचाने में एक बड़ा योगदान हो सकता है।