भविष्यवक्ताओं का अनुमान: 2045 तक मशीनें मानव बुद्धिमत्ता से आगे निकल जाएंगी : डॉ. राजेश्वर सिंह

Predictions of the prophets: Machines will surpass human intelligence by 2045: Dr. Rajeshwar Singh

रक्षा-राजनीति नेटवर्क

लखनऊ : सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शनिवार को मोहनलालगंज स्थित अंबालिका इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस में आयोजित “कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में चुनौतियाँ और अवसर” विषय पर 8वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया। उन्होंने बड़ी संख्या में उपस्थित इंजीनियरिंग छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि AI आने वाले समय में दुनिया को बदलने वाली सबसे महत्वपूर्ण तकनीक है, और युवाओं को इस क्षेत्र में दक्षता हासिल करनी चाहिए।

डॉ. सिंह ने बताया कि 1950 में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” शब्द गढ़े जाने के बाद से AI ने अभूतपूर्व प्रगति की है, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2045 तक मशीनें मानव बुद्धि से आगे निकल सकती हैं। उन्होंने कहा कि AI का विकास इंटरनेट की तुलना में कहीं अधिक तेज गति से हो रहा है। अमेरिका और भारत सहित कई बड़े देश AI अनुसंधान और विकास में भारी निवेश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने AI परियोजनाओं के लिए ₹10,371 करोड़ आवंटित किए हैं, ताकि देश इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बना रहे।

उत्तर प्रदेश में AI के विकास पर चर्चा करते हुए, डॉ. सिंह ने बताया कि सरोजिनी नगर के नादरगंज में एक AI इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित किया जा रहा है, जो फोरेंसिक साइंस, मशीन लर्निंग और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश तेजी से डिजिटल बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

डॉ. सिंह ने बताया कि AI शासन, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त और परिवहन सहित कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कुंभ मेले में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ प्रबंधन में AI का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिससे यातायात, सुरक्षा और प्रशासनिक कार्यों में अभूतपूर्व सफलता मिली। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी की रोकथाम, स्वास्थ्य क्षेत्र में रोगों की पहचान और परिवहन में मार्ग अनुकूलन में AI की भूमिका को भी रेखांकित किया।

डॉ. सिंह ने डिजिटल साक्षरता को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि AI को समझना अब एक विकल्प नहीं, बल्कि सफलता की कुंजी है। उन्होंने चेताया कि यदि भारत डिजिटल डिवाइड (डिजिटल अंतराल) को दूर नहीं करता, तो देश वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है।

उन्होंने AI से जुड़े नैतिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में AI का उपयोग किस हद तक होना चाहिए, इस पर गंभीर विचार होना चाहिए। उन्होंने युद्ध और सैन्य अभियानों में AI की भूमिका को लेकर चिंता जताई और कहा कि मशीनें कब और कैसे निर्णय लेंगी, यह एक संवेदनशील विषय है, इसलिए AI के उपयोग की सीमाएँ तय करना आवश्यक है।

डॉ. सिंह ने भारत में साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 2018 में जहां साइबर अपराध के 26,000 मामले सामने आए थे, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 26 लाख तक पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि देश को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में कुशल इंजीनियरों और विशेषज्ञों की आवश्यकता है, ताकि डिजिटल खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।

डॉ. सिंह ने उपस्थित छात्रों से आग्रह किया कि वे AI अनुसंधान, कौशल विकास और नवाचार में सक्रिय रूप से भाग लें, ताकि डिजिटल इंडिया मिशन और AI स्टार्टअप्स के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई ₹10,371 करोड़ की निधि का अधिकतम लाभ उठाया जा सके।

इस दौरान विधायक ने सम्बंधित विषय पर आर्टिकल प्रस्तुत करने वाले विजेताओं को ट्राफी भी प्रदान की। कार्यक्रम में संस्थान के चेयरमैन अंबिका मिश्रा, निदेशक डॉ. अशुतोष द्विवेदी, अतिरिक्त निदेशक डॉ. श्वेता मिश्रा, पूर्व IRS अधिकारी रामेश्वर सिंह, KSG (सेंटर फॉर क्वालिटी माइंड्स, बेंगलुरु) के निदेशक प्रो. के. एस. गुप्ता, अकादमिक विशेषज्ञ कर्नल डॉ. समीर मिश्रा, ब्रिगेडियर आर. के. सिंह, और लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. पुनीत मिश्रा मौजूद रहे थे।