शौर्य और स्याही- शब्द सृजन संस्थान के काव्य समागम में देश प्रेम का संदेश

Bravery and ink- message of patriotism in the poetry gathering of Shabd Srujan Sansthan

दीपक कुमार त्यागी

गाजियाबाद : दिल्ली एन सी आर की साहित्य और संस्कृति की अग्रणी संस्था शब्द सृजन संस्थान (पंजी.) ने भारतीय सैनिकों के शौर्य और पराक्रम को नमन करने के लिये “शौर्य और स्याही” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम गाजियाबाद के पटेल नगर स्थिति अमित्र थियेटर में काव्य सन्ध्या के रूप में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था की कोषाध्यक्ष गार्गी कौशिक ने मां सरस्वती की वंदना के साथ की। तदुपरांत काव्य सन्ध्या अपने शिखर की ओर बढ़ने लगी। संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय संस्था के उद्देश्य पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था साहित्य और संस्कृति के लिये वैश्विक स्तर पर संकल्पित है। जहां स्थापित कवियों के साथ नवोदित कवियों को मंच प्रदान किया जाता है। संस्था के महासचिव डॉ ओंकार त्रिपाठी और संगठन मंत्री रजनीश स्वछंद ने मंचस्थ अतिथियों का पटका पहनाकर स्वागत किया।

“शौर्य और स्याही” कार्यक्रम में ओज की ऐसी धारा प्रवाहित हुई कि शायर और श्रृंगार के कवि भी अंगार पढ़ने लगे। इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे आधुनिक कबीर मासूम गाजियाबादी ने अपने शायराना अंदाज में कमाल की शायरी प्रस्तुत की। श्रोताओं ने खड़े होकर उनका अभिनन्दन किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में देश के प्रख्यात शायर राज कौशिक, शिवकुमार बिलगिरामी, ने अपने गीत ग़ज़लों से मन मोह लिया। गोष्ठी के स्वागताध्यक्ष एवं अमित्र थियेटर के संस्थापक बी एल बत्रा अमित्र ने अपने अलग अंदाज में काव्य पाठ कर भाव विभोर कर दिया।

इस काव्य समारोह में डॉ राजीव पाण्डेय ने संचालन करते हुए एक मुक्तक के माध्यम से कहा –

स्वर्णिम पृष्ठों पर अंकित हो,अद्भुत काम किया है।
शीश उठाने को हम सबको, ये अभिमान दिया है।
बहिन सोफिया और व्योमिका, तुम्हें देख लगता है।
लक्ष्मी बाई , चेनम्मा ने , फिर अवतार लिया है।

राज कौशिक ने कहा –

अगर नांचू नहीं तो पांव मेरे रूठ जाते हैं
अगर नांचू जरा खुलकर तो घुंघरू टूट जाते हैं
ज़माने की अदाएं देखकर ये सोचता हूं मैं
वहां सच क्यों नहीं जाते जहां तक झूठ जाते हैं।

गार्गी कौशिक ने सुमधुर कंठ से गीत पढ़ा –

शूर वीरता के गहनों से भारत माता सजती है
विश्व गुरु है भारत इसका दुनिया वंदन करती है।

डॉ ममता झा रुद्रांशी के तेवर इन पंक्तियों में देखिए

ध्वस्त किया आतंकी अड्डा,
साध निशाना ड्रोन से।
धुआँ- धुआँ हो दुश्मन देखो,
आँसू पोंछे लोन से।।
ग्यारह एयर बेस उड़ाया,
कैराना ख़ैरात में।
राफेल से छूटा मिसाइल,
सूरज निकला रात में।

अनिल कपूर ने कुछ इस तरह पढ़ा –

शौर्य की स्याही से लिख दी है हमने अमिट कहानी
ऑपरेशन सिंदूर से गर्वित है हर हिंदुस्तानी ।

दिल्ली से पधारी कवयित्री पूनम तिवारी ने विषय पर पढ़ते हुए कहा

स्याही की बूँदें छोटी है
पर गाथाएँ रचती बहुत बड़ी
जब झुक जाती रण में तलवारें
स्याही करती उन्हें खड़ी।

डॉ उर्वी ऊदल ने मन के भावों को कुछ इस तरह व्यक्त किया –

ये बता दो मैं प्रणय प्रतिमान कैसे गढ़ सकूंगी
पंथ है दुर्गम तुम्हारे साथ कैसे बढ़ सकूंगी |

डॉ राजेश श्रीवास्तव ने पढ़ा –

सौंप दिया है मौन समर्पण,बस इतनी अभिलाषा है।
उर मेरे आन समाओ,नेह भरी भर यह आशा है।।

कार्यक्रम में दिल्ली एन सी आर के हरीश चन्द्र हरीश, डॉ जयप्रकाश मिश्र, पूनम तिवारी, जगदीश मीणा, अनिल कपूर, हरीश गौड़, डॉ ममता झा रुद्रांशी, डॉ राजेश श्रीवास्तव राज, डॉ ऊषा श्रीवास्तव उषाराज, प्रेमसागर प्रेम, अशोक कश्यप, डॉ उर्वी ऊदल, डॉ सरिता गर्ग सरि, दीपक दीप, योगेश कौशिक, प्रोफेसर कमलेश संजीदा, डॉ अवधेश तिवारी भावुक, डॉ सन्तोष सम्प्रीति, डॉ गीतिका चतुर्वेदी आदि रचनाकारों ने अपनी काव्य प्रस्तुतियों से गोष्ठी को शिखर तक पहुंचाया। अतिथियों ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर मासूम गाजियाबादी ने की।संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।