‘विकसित भारत बनाने परनये बजट का फोकस’

महाबीर सिंह

नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट एक फरवरी 2024 को पेश होगा। यूं तो यह अंतरिम बजट होगा जिसमें अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले नये वित्त वर्ष के चार महीने के खर्च और प्राप्तियों के लेखानुदान पर संसद की मंजूरी ली जायेगी। लेकिन बजट में सरकार विभिन्न घोषणाओं और योजनाओं के जरिये अपनी मंशा जनता के सामने रख सकती है। बजट में पूरे साल का लेखा जोखा पेश होगा। कितनी प्राप्तियां और कितना पूरे साल के दौरान विभिन्न मदों में खर्च होगा। कितना राजकोषीय घाटा रहेगा और कितनी राशि इस घाटे को पूरा करने के लिये बाजार से जुटाई जायेगी। यह एक प्रकार से आगे पेश होने वाले बजट का ही खाका हो सकता है। आम चुनाव के बाद केन्द्र में बनने वाली नई सरकार फिर पूर्ण बजट पेश करेगी।

इससे पहले कि हम 2024- 25 के बजट की बात करें संक्षेप में चालू वित्त वर्ष यानि 2023-24 के बजट पर एक नजर डालते हैं। सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिये 45 लाख करोड़ रूपये खर्च का बजट पेश किया था। जिसमें बाजार उधारी को छोड़कर कुल 27.2 लाख करोड़ रूपये प्राप्ति का अनुमान था। यानी वर्ष के दौरान सरकार को करीब 18 लाख करोड़ रूपये बाजार उधारी अथवा अन्य स्रोतों से जुटाने थे। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया था। घाटा जितना अनुमानित था उतना रहा या उससे कम अथवा अधिक रहा। बजट अनुमान कहां तक हासिल हो पाये इसके शुरूआती आंकड़े एक फरवरी 2024 को पेश होने वाले अंतरिम बजट में सामने आ जायेंगे। अब तक के रूझानों को देखते हुये यह कहा जा रहा है कि राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के अनुरूप ही रहेगा। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2023- 24 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत रह सकती है जो कि अनुमान से बेहतर है। राजस्व प्राप्ति अनुमान से अधिक रहने, पेट्रोलियम सब्सिडी बोझ कम रहने और पूंजीगत खर्च में कुछ बचत को देखते हुये चालू वित्त वर्ष में घाटा तय दायरे में रहने का अनुमान है।

अब बात करते हैं अगले वित्त वर्ष 2024-25 की। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा और कम होगा, सरकार पहले ही कह चुकी है कि वर्ष 2025- 26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से भी नीचे लाने का लक्ष्य है। इन बातों को ध्यान में रखते हुये बजट तैयार होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि वह देश की प्रगति के लिये चार वर्गों पर ध्यान देंगे — युवा, महिलायें, किसान और गरीब — ये चाहे किसी भी परिवार, जाति, क्षेत्र अथवा धर्म से हों, सरकार इनके लिये काम करेगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि बजट में सरकार युवाओं के लिये रोजगार और स्वरोजगार के क्षेत्र में योजनाओं को नई धार दे सकती है। पिछले बजट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 की घोषणा की गई जिसमें अगले तीन साल के दौरान लाखों युवाओं को उद्योगों की जरूरत के अनुरूप आधुनिक कोर्स जैसे कि कोडिंग, कृत्रिम मेधा, रोबोटिक्स, मेकाट्रोनिक्स, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन और साफ्ट स्किल क्षेत्र में कौशल की घोषणा की गई। युवाओं को अंतरराष्ट्रीय अवसरों के लिये तैयार करने को देशभर में विभिन्न राज्यों में 30 कौशल भारत अंतरराष्ट्रीय केन्द्र स्थापित करने की बात की गई।

महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने पर मोदी सरकार का ध्यान है। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून पहले ही पारित किया जा चुका है, सेना, अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है। उद्यम क्षेत्र, ग्रामीण जीवन में महिलाओं को महत्व दिया जा रहा है। मौजूदा 157 नर्सिंग कालेजों के साथ ही 157 नये नर्सिंग कालेज खोलने की घोषणा की गई। जनजातीय इलाकों में तीन साल के दौरान एकलव्य माडल आवासीय स्कूलों में 38,800 अध्यापक और सहायक स्टाफ की भर्ती की बात कही गई।

किसानों को 6,000 रूपये सालाना सम्मान निधि की शुरूआत मोदी सरकार पहले ही कर चुकी है। माना जा रहा है कि बजट में इस राशि को बढ़ाया जा सकता है। पिछले बजट में पशुपालन, डेयरी और मछली पालन सहित कृषि क्षेत्र में 20 लाख करोड़ रूपये कर्ज देने का लक्ष्य रखा गया। इसके अलावा, मछली पालन क्षेत्र के समग्र विकास को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई। भारत को ‘‘श्री अन्न यानी मोटे अनाज’’ का दुनिया का सबसे बड़ा केन्द्र बनाने के लिये इनकी खेती के बेहतर तौर- तरीकों, शोध और प्रौद्योगिकियों को दुनिया भर में साझा करने के लिये इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद को मुख्य केन्द्र के तौर पर समर्थन की घोषणा की गई। खेती किसानी से जुड़ी और भी कई घोषणायें की गईं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त अनाज देने का निर्णय सरकार पहले ही कर चुकी है। गरीब परिवारों के लिये उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण, पीएम आवास योजना, शहरी अवसंरचना विकास कोष जैसी कई योजनाओं को चलाया जा रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के लिये आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का समय आ गया है। उनकी सरकार ने विकसित भारत के लिये जरूरी बुनियाद तैयार कर ली है और मूलभूत जरूरतों को उपलब्ध कराकर लोगों को सशक्त बनाया जा रहा है। वित्त मंत्री ने विकसित भारत के लिये विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के साथ ही अनुसंधान और विकास पर जोर दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी बजट में इन क्षेत्रों में नई योजनाओं और नीतियों की घोषणा की जा सकती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में पहला पूर्ण बजट पेश किया था। वह अब लगातार छठी बार बजट पेश कर महिला वित्त मंत्री के तौर पर नया रिकार्ड बनाने जा रहीं हैं। अंतरिम बजट के चलते नौकरी पेशा वर्ग के लिये आयकर की दर में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। हालांकि, अनुपालन बोझ को कम करने की दिशा में कुछ घोषणायें की जा सकतीं हैं जो कि आगे के लिये संकेत होगी। मोदी सरकार व्यक्तिगत आयकर की नई व्यवस्था शुरू कर चुकी है जिसमें सात लाख रूपये तक की वार्षिक आय को कर से छूट है। हालांकि, पुरानी व्यवस्था में पांच लाख रूपये तक की व्यक्तिगत आय पर ही कर छूट है। पिछले बजट में नई व्यवस्था में कर स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच कर दी गई। नई कर व्यवस्था में विभिन्न प्रकार के निवेश और बचत पर दी जाने वाली छूट को समाप्त किया गया हैं जबकि पुरानी कर व्यवस्था में कई तरह की छूट का प्रावधान है। बहरहाल, व्यक्तिगत आयकर की नई कर व्यवस्था को ही आगे बढ़ाने पर सरकार का जोर है।