गर्मी के मौसम को देखते हुए पशुधन सुरक्षा के लिए गाइडलाइन जारी

Guidelines issued for livestock safety in view of summer season

रविवार दिल्ली नेटवर्क

डूंगरपुर : जिले में आगामी माहों में गर्मी तथा तापघात का प्रभाव तीव्र होने तथा वातावरण के तापमान में निरंतर बढ़ोतरी के साथ-साथ लू के कारण पशुधन की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकती हैं तथा डीहाईड्रेशन, तापघात, बुखार, दस्त एवं गर्भपात इत्यादि से पशुधन हानि की संभावना हैं। कई जगह असामयिक वर्षा एवं ओलावृष्टि के कारण वातावरण में आ रहे उतार-चढ़ाव के कारण पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने से विभिन्न संक्रामक रोग होने की भी संभावना हैं।

प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रभाव से पशुधन को स्वस्थ रखने के लिए जिले के पशुपालकों को सावचेत एवं जागरूक बनाया जाना अति-आवश्यक हैं, ताकि पशुओं के रखरखाव, पोषण एवं स्वास्थ्य रक्षा के लिए उनके द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा सकें एवं सावधानियां बरती जा सकें।

पशुपालन विभाग, डूंगरपुर के संयुक्त निदेशक डॉ. दिनेशचन्द्र बामनिया ने बताया कि पशुओं को प्रातः 9 बजे से सायं 6 बजे तक छायादार यथा पेड़ों के नीचे अथवा पशुबाडो में रखा जाए। पशुबाडों में हवा का पर्याप्त प्रवाह हो तथा विचरण के लिए पर्याप्त स्थान की उपलब्धता हो। अत्याधिक गर्मी की स्थिति में विशेषकर संकर जाति के एवं उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले पशुओं के बाडों में दरवाजों-खिड़कियों पर पाल, टाटी लगाकर दोपहर के समय पानी का छिड़काव कराने से राहत मिलती हैं।

भैसवंशीय पशुओं को शाम के समय नहलाया लाभदायक होता हैं। पशुओं को दिन में कम से कम चार बार ठण्डा, शुद्व एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना जाना चाहिए। सूखे चारे के साथ-साथ कुछ मात्रा हरे चारे की भी दी जाना चाहिए ताकि पशुओं में कब्जी अथवा अन्य पाचन संबंधित व्याधियां उत्पन्न नहीं हो। भारवाहक पशुओं को यथासंभव प्रातः एवं सायंकाल में काम में लिया जाए तथा दोपहर के समय इन्हें आराम दिलाना चाहिए। पशुओं के तापघात की स्थिति होने पर तत्काल उन्हें छायादार स्थान पर ले जाकर पूरे शरीर पर पानी डाला जाए। सिर पर ठंडे पानी से भीगा कपड़ा बारी-बारी से रखा जाए तथा यथाशीघ्र पशु चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए। पशुचारा खाना बंद करे अथवा सुस्त-बीमार दिखाई देवें तो बिना देरी किए निकटतम पशु चिकित्सालय से सम्पर्क स्थापित कर परामर्श एवं पर्याप्त उपचार प्राप्त करें।