गुजरात विधानसभा चुनाव : इस बार भी नरेन्द्र मोदी का चेहरा ही भाजपा का चेहरा

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : गुजरात में 15वीं विधानसभा की 182 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान का काम पूरा हो गया है।पहलें चरण में एक दिसम्बर को 89 सीटों और दूसरे चरण में सोमवार पाँच दिसम्बर को 93 सीटों पर मतदान सम्पन्न हुआ हैं।अब सभी को हिमाचल प्रदेश के साथ आठ दिसम्बर को गुजरात के चुनाव परिणाम घोषित होंने का बेसब्री से इन्तज़ार हैं। एग्जिट पोल के अनुसार गुजरात में भाजपा और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस एवं भाजपाके मध्य कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है।कोई आश्चर्य नही कि हिमाचल का मिज़ाज नही बदलें और वहाँ सत्तापरिवर्तन हो जायें। वहीं दिल्ली नगर निगम में आप की जीत के दावे हैं।

182 विधानसभा सीट वाले गुजरात राज्य में अभी तक हुए सभी चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस का ही मुकाबला होता आया है लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप ) के भी चुनाव मैदान में कूदने सेमुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया। कांग्रेस में बिखराव और आप पार्टी का पंजाब में चुनाव जीतने के बाद उनकाहौसला सातवें आसमान पर है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का दावा है कि गुजरात में उनकीपार्टी का मुकाबला इस बार सीधा बीजेपी के साथ है जबकि कांग्रेस का भी कमोबेश यहीं दावा है और उनकाकहना है कि आप पार्टी का दूर दूर तक कहीं वजूद नहीं है। गुजरात चुनावों में कांग्रेस की कमान इस बारराजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मन्त्री डॉ रघु शर्मा के हाथों में रही हैं। पिछलें चुनावों में भीगहलोत ही प्रभारी थे और उन्होंने भाजपा को यहाँ कड़ी टक्कर दी थी।

गुजरात में पिछले 27 वर्षों से बीजेपी का एक छत्र शासन रहा है। भाजपा का नरेंद्र मोदी ही गुजरात में सबसेबड़ा चुनावी चेहरा है और पार्टी उनके चहेरे से ही हर बार चुनाव जीतती आई है। गुजरात में विकास के मुद्दें केसाथ-साथ हिंदुत्व कार्ड भी भाजपा को चुनाव जिताने में बड़ी भूमिका निभाता आया है। इस बार आप नेताअरविन्द केजरीवाल ने हिन्दुत्व की तोड़ में अपना नया सेक्युलर कार्ड खेलना चाहा और इंडियन करंसी में गणेशऔर लक्ष्मी जी की तस्वीर लगाने की बात उठाई है।

गुजरात में विधानसभा चुनावों के इतिहास पर दृष्टि डालें तों 1995 से पहले कांग्रेस यहाँ “खाम”(क्षत्रिय, हरिजन,आदिवासी और मुस्लिम) थ्यौरी पर चुनाव लड़ती थी और इस फ़ार्मूला पर चुनाव भी जीतजाती थी लेकिन गोधरा कांड के बाद गुजरात में बीजेपी को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया हैक्योंकि बीजेपी हमेशा हिंदुत्व के आधार पर चुनाव लड़चुनाव जीतती है जिसकी कोई तौड विरोधियों के पासनही हैं। नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री रहने और उसके बाद 2014 में प्रधान मंत्री बनने से किसी भी पार्टीके लिए गुजरात में चुनाव जीतना और भी कठिन पहेली बन गई हैं।हालाँकि पिछलें कुछ वर्षों से भाजपा केहालात भी ठीक नही कहें जा सकते। पिछलें सालों में यहाँ भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री बदल दिए हैं जिनमें आनंदीबेन पटेल, विजय रुपाणी और भूपेंद्र पटेल के नाम शामिल हैं। हालाँकि नरेंद्र मोदी की तुलना में यें मुख्यमंत्रीजनता पर कुछ खास प्रभाव छोड़ नहीं पाए है। हालाँकि आनन्दी बेन ने मोदी के नक्षे कदम चलने का थोड़ा बहुतप्रयास किया था।

गुजरात , प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का अपना गृह प्रदेश है इसलिए इन दोनों केलिए उस वार भी गुजरात विधान सभा का चुनाव जितना प्रतिष्ठा का एक बड़ा सवाल है। यदि हम गुजरात केविगत 2017 में हुए विधानसभा चुनाव पर नज़र डाले तो उन चुनावों में बीजेपी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहीथी क्योंकि तब बीजेपी को 99 सीटें पर ही चुनाव जीत पाई थी और कांग्रेस को 77 सीटों पर विजयश्री मिलीथी। यदि इन चुनावों को वोट प्रतिशत के हिसाब से देखे तो बीजेपी को तब 49.5 प्रतिशत वोट मिले थे जबकिकांग्रेस को 41.44 प्रतिशत वोट मिलें थे। इस प्रकार बीजेपी बहुत ही कम मार्जिन के साथ सत्ता में आई थी।वर्ष 2017 के चुनाव में गुजरात में ऐसी काफी सीटें थी जिसमे बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार 500 से1000 से भी कम वोटो से चुनाव जीते थे।

बीजेपी पिछले 27 सालों से लगातार गुजरात में शासन कर रही है इसलिए इस बार सरकार के काम काज कोलेकर लोगों में काफी नाराजगी भी दिखी है। पिछलें दिनों मोरबी पुल का टूटना और उसमें 145 लोगो की जानजाने के मुद्दें कोचुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने काफी भुनाने का प्रयास किया है।

गुजरात के चुनाव की जातिगत राजनीति में पाटीदार बिरादरी महत्वपूर्ण रहीं हैं ।इन्हें साधने के लिए बीजेपी नेइस बार कांग्रेस के हार्दिक पटेल को अपने खेमे में शामिल कर लिया है, जिससे माना जा रहा है कि पाटीदारपटेलों का अधिकांश वोट बीजेपी को मिलेगा, हालाँकि हार्दिक के भाजपा में आने से कई पाटीदार नाराज भीबताए जा रहें है। इसके अलावा नितिन पटेल जैसे पटेल नेताओं और अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं की टिकिटकटने से भाजपा के सामने बाग़ियों और भीतरघात का खतरा भी रहा है।

राज्य में ओबीसी का अच्छा ख़ासा 52 प्रतिशत वोट है, वही क्षत्रिय वोट 6 प्रतिशत, पाटीदार 16, दलित 7, आदिवासी 11 और मुस्लिम मतदाताओं के 9 प्रतिशत वोट है। इनके अलावा ब्राह्मण, बनिया और अन्यजातियों को मिलाकर पाँच प्रतिशत मतदाता है।

बीजेपी ने इस बार पाटीदार और ओबीसी वोटो पर अधिक जोर रखा है जबकि कांग्रेस अभी भी आदिवासी औरमुस्लिम वोटरों पर ही निर्भर है जबकि आम आदमी पार्टी ने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली के साथ 1000 रुपयों का महिला अलाउंस और 3000 रुपये बेरोजगार भत्ता देने का नया दाँव खेला है ।

इस बार गुजरात के चुनाव मैदान में बीजेपी और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी के जोर शोर से चुनाव मैदानमें मज़बूती से कूदने से चुनाव अधिक दिलचस्प हो गया है। अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ पंजाब केमुख्यमंत्री भगवत मान ने भी पूरी ताकत से यहाँ चुनाव प्रचार किया हैं। केजरीवाल ने तो गुजराती भाषा मेंवीडियो बना मतदाताओं को लुभाने की कौशिश की है और स्वयं को गुजरातियों का भाई भी कहा है, लेकिनविपक्षी दलों आप और कांग्रेस दोनों पार्टियों के पास कोई गुजराती लोकल चेहरा नहीं होना इस बार सबसे बड़ीकमजोरी रही है।वैसे तो बीजेपी के पास भी मोदी के नाम के जादू के अलावा पहलें जैसा अनुकूल वातावरणनहीं रहा हैं। महँगाई और बेरोज़गारी के साथ कारोबारियों एवं जनता में जीएसटी आदि मुद्दों को लेकरमतदाताओं में कुछ नाराज़गी भी रहीं है लेकिन फिर भी गुजरात में नरेन्द्र मोदी के नाम और प्रभुत्व तथा हिन्दुत्वएवं सुरक्षा के आगे सभी बातें गौण ही कहीं जा सकती है इसलिए इसमें कोई संशय नहीं है कि गुजरात मेंबीजेपी सरकर बना लेगी है। विरोधियों का मानना हैकि बीजेपी के लिए इस बार गुजरात का चुनाव पहलेंजितना इतना आसान नहीं होगा पर आम मतदाताओं की राय के अनुसार भाजपा गुजरात में आसानी से सरकारबना लेगी। गुजरात में बीजेपी की इज्जत नरेन्द्र मोदी के हाथ में ही है। 14वीं गुजरात विधानसभा का कार्यकाल18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है।

गुजरात को हिंदुत्व की लेबोरटरी कहा जाता है, अतः इस बार भी किसी अन्य दल का यहाँ चुनाव जितना इतनाआसान नहीं होगा। हालाँकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि बेरोजगारी और बढ़ती हुए महंगाई भी एक बड़ाचुनावी मुद्दा है फिर भी बीजेपी विकास और हिंदुत्व के नाम पर अधिकांश सीट ले जा सकती है।

गुजरात के चुनाव परिणाम हिमाचल प्रदेश के साथ ही आठ दिसम्बर को आने हैं। राजनीतिक पण्डितों काअनुमान है कि गुजरात में बीजेपी 100 से 110 सीटों पर, कांग्रेस 50 के आसपास और आम आदमी पार्टी 8 से10 सीटों पर चुनाव जीत सकती है। हालाँकि हिमाचल प्रदेश को लेकर राजनीतिक जानकारों और दलों कीराय अलग है।