बिहार की राजनीति में बाहुबली और परिवारवाद के आगे राष्ट्रवाद ने किया आत्मसमर्पण

डा. संजय कुमार श्रीवास्तव

15 अगस्त के दिन लाल किले से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर कड़ा प्रहार किया और कहा ’’भ्रष्टाचारियों द्वारा जितना देश को लूटा गया है उसे देश को वापस करना पड़ेगा आगे उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों के प्रति उदारता बरती जा रही है। कई लोग तो इतनी बेशर्मी तक चले जाते हैं कि कोर्ट में सजा हो चुकी हो, भ्रटाचारी सिद्ध हो चुका हो, जेल जाना तय हो चुका हो उसके वावजूद भी उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान -शौकत में लगे रहते हैं उनकी प्रतिष्ठा बनाने में लगे रहते हैं। दूसरी तरफ परिवारवाद ने इस देश को खोखला कर दिया। परिवारवाद की राजनीति सिर्फ परिवार की भलाई के लिए होता है देष की भलाई के लिए नहीं होता। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से राजनीति के शुद्धिकरण का आहवाहन किया।
कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि देश में जिस तरह परिवारवाद की राजनीति पनपती जा रहीे उससे भ्रष्टाचार तो बढ़ा ही साथ देश में अपराध को भी बढावा मिल रहा है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण बिहार में नईनवेली बनी नीतीश की सरकार में देखने को मिला। जब नीतीश सरकार ने मंत्रीयों को शपथ दिलाई तो उसमें कुछ ऐसे भी निकले जिसे कोर्ट ने गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। कानून के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाय कानून ने ही बाहुबली के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यही तो प्रधानमंत्री देशवासियों को सन्देश दे रहे थे। जो उन्होंने सन्देश दिया वो पूरी तरह सही साबित हुआ। अब आपको पूरा वाक्या बताते हैं।

बिहार में महागठबंधन सरकार की मंत्रिमंडल गठन के एक दिन बाद ही एक बड़ा खुलासा हुआ । बिहार की नई सरकार में जिसे कानून मंत्री बनाया गया उनका नाम है कार्तिकेय सिंह। उनपर अपहरण का केस चल रहा है। इससे भी बड़ी रोचक बात यह है कि जिस दिन इस केस में बिहार के नए कानून मंत्री को कोर्ट में सरेंडर करना था, उसी दिन उन्होंने राज्य में कानून मंत्री की शपथ ली। बिहार की नई सरकार में राजद के खेमे से कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाया गया है। जिनपर अपहरण का मामला चल रहा है।
कार्तिकेय सिंह बिहार में छोटे सरकार के नाम से मशहूर बाहुबली नेता हैं और राजद के पूर्व विधायक अनंत सिंह के करीबी है। उनके ऊपर आरोप है कि 2014 में राजीव रंजन नामक शख्स का अपहरण कांड हुआ था उस किडनैपिंग मामले में बिहार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को भी आरोपी बनाया गया और जिनके खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया हुआ है। राजीव रंजन के अपहरण केस में कार्तिकेय सिंह ने ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया और ना ही जमानत के लिए अर्जी दी। इस केस में कार्तिकेय सिंह को कोर्ट में 16 अगस्त को पेश होना था। लेकिन पुलिस स्टेशन जाने के बजाय वो पटना में मंत्री पद की शपथ लेने पहुंच गयेे। कार्तिकेय सिंह के बारे में हुए इस खुलासे के बाद भारतीय जनता पार्टी महागठबंधन सरकार पर आक्रमक हो गई। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।

अब सवाल ये उठता है कि अगर कोई पार्टी किसी राज्य या केन्द्र में सरकार बनाती है तो क्या उसके मुखीया को अपने मंत्री मंडल में शामिल किये जा रहे नेताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी। ये तो बहुत आष्चर्यजनक बात होगी। ऐसा ही वाक्या दिल्ली में भी हुआ। केजरीवाल ने कहा ’’हम तो कट्टर इमानदार हैं। हमारी पार्टी में जिसे भी शामिल किया जाता है पहले उसके बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाती है। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के बहुत से नेताओं के ऊपर भ्रष्टाचार का केस चल रहा है।

दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव ने भी तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को भी नीतीश सरकार के मंत्रीमंडल में शामिल करवा दिया। इसके अतिरिक्त बहुत से ऐसे नेताओं को मंत्री पद से सुशोभित किया गया जिनके या तो पिता विधायक थे या चाचा विधाक थे या परिवार का कोई सदस्य नेता था। नीतीश सरकार जिन्हे लोगों ने आज पलटू चाचा का नाम दिया है मुख्यमंत्री पद का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री शायद इस बात का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि सरकार तो उन्होंने बना ली, मुख्यमंत्री भी बन गये परन्तु क्या किसी भी चीज़ का निर्णय स्वतंत्ररूप से ले सकते हैं। नीतीश सरकार का रिमोट तो तेजस्वी यादव ने अपने हाथ में ले रखा है और शायद यही कारण था कि नीतीश कुमार को ये नहीं मालूम था कि कानूनमंत्री किसे बनाया जा रहा है।

ये भी हो सकता है कि बिहार में जब राजनीति का खेला चल रहा था इस बात का पता कार्तिकेय सिंह को लग गया था या उन्हें बता दिया गया था अब तेजस्वी यादव की सरकार बनने वाली है और ये भी हो सकता है कि र्कािर्तकेय को आत्मसमर्पण न करने के लिए भी कहा गया हो और ये भी बता दिया गया हो कि उन्हें ही कानून मंत्री बनाया जायेगा। ये भविष्यदृष्टा इस तरह की योजना बहुत पहले से चल रही हो क्योंकि सरकार गिरने के तुरंत बाद तो किसी को भी अचानक षपथग्रहण समारोह में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया नहीं जायेगा या कोई भविष्यदृष्टा तो है नहीं कि भविष्य में झांक कर दे लिया कि उसे की कानून मंत्री बनाया जा रहा है। तो कहीं न कहीं राजनीति पर भ्रष्टाचार हावी है। क्या पता कानून मंत्री बनने के लिए खरीद-फरोख्त भी हुई हो। अंदरखाते में क्या चल रहा है आम जनता को कुछ नहीं पता। इसलिए आज बिहार की राजनीति में बाहुबली और परिवारवाद के आगे राष्ट्रवाद ने आत्मसमर्पण कर दिया।

आम जनता तो बेचारी है जिसे जो बताया जाता है वो मान लेती है। पंचमेवा यानी पांच पार्टियों से मिलकर बनी सरकार ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने का सपना दिखाया। अब नीतीश कुमार को कौन समझाये कि प्रधानमंत्री के कुर्सी की दौड़ में राहुल गांधी सबसे आगे होंगे। बेचारे राहुल गांधी सदियों से प्रधानमत्री बनने का सपना संजोये हुए हैं ऐसे में सवाल उठता है कि इतने दिनों का सपना जिस समय साकार होगा उस वक्त क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार के लिए छोड़ देंगे। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव डिप्टी चीफ मीनिस्टर इसलिए बने कि 2024 में जब नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के दावेदारी के लिए लोकसभा का चुनाव लडवायेंगे तो मुख्यमंत्री का कुर्सी वैसे ही खाली हो जायेगा। ऐसे में बिना मेहनत किये तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का कुर्सी मिल जायेगा। इस खेल को शायद नीतीश कुमार नहीं समझ पाये हैं और जैसे ही मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बनेंगे वैसे ही उनके अन्य भाई-बहन में से मत्री बना दिखाई देगा। यही तो है परिवारवाद है और फिर खेला शुरू होगा भ्रष्टाचार। इसलिए तो मैं कह रहा हूॅं कि बिहार की राजनीति में बाहुबली और प्रिवारवाद के आगे राष्ट्रवाद ने आत्मसमर्पण कर दिया है।