भाजपा-जेडीयू गठबंधन ही नहीं टूटेगा, बिहार में जेडीयू भी होगा दो फाड़ !

संदीप ठाकुर

बिहार में तेजी से घूम रहे सियासी घटनाक्रम को देखते हुए ऐसा लग रहा कि न
सिर्फ भाजपा-जेडीयू गठबंधन टूट की ओर बढ़ रहा है बल्कि जेडीयू भी दो फाड़
हो सकता है। दूसरा गुट आर सी पी सिंह बना सकते हैं जिन पर भ्रष्टाचार के
आरोप खुद उनकी ही पार्टी जेडीयू ने लगाए हैं। जेडीयू ने आरोप लगाया है
कि नौ साल में आर सी पी ने अपनी पत्नी और दोनों बेटियों के नाम से जमीन
के 58 प्लॉट खरीदे हैं। उनके पास सिर्फ दो प्रखंडों- अस्थावां और
इस्लामपुर में 40 बीघा जमीन है, जिसकी 2013 से 2022 के बीच रजिस्ट्री हुई
है। पार्टी उनसे पूछ रहा है कि उनके पास इतना पैसा कहां से आया। इसके
तुरंत बाद आर सी पी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और तत्काल पलटवार
करते हुए नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगा दिए। राज्य में सियासी उठापटक
की शुरुआत यहीं से हुई। अब यह उठा पटक इतनी तेज हो चुकी है कि बिहार की
राजनीति में कुछ भी हाे सकता है। राज्य की राजनीति में सक्रिय सभी दलों
ने अपने अपने विधायकों के साथ विचार विमर्श शुरू कर दिया है। वहीं पूरे
मामले में बीजेपी खेमा पूरी तरह से खामोश दिख रहा है। सवाल यह है कि सूबे
में जारी इस सियासी संकट के चलते हालात बदलते हैं तो कौन-कौन से सीन उभर
सकते हैं ?

बिहार की सियासत में कोई बड़ा खेल होगा इसकी आशंका ताे पहले से ही थी।
आर सी पी सिंह के इस्तीफे के बाद यह आशंका हकीकत में बदल गई। बताया जाता
है कि भाजपा की कथित शह पर आर सी पी सिंह इस खेल काे अंजाम देने में विगत
कई महीने से लगे हुए थे। यहां यह जानना जरूरी है कि भाजपा से नजदीकी और
नीतीश सरकार को अस्थिर करके भाजपा की सरकार बनवाने के कथित प्रयासों की
वजह से ही नीतीश कुमार ने आर सी पी को राज्यसभा की टिकट नहीं दी और उनको
केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था। उस समय भाजपा ने उनकी कोई मदद नहीं
की थी। उन्होंने बहुत हाथ पैर मारे थे कि वे भाजपा में चले जाएं और
पार्टी उनको कहीं से राज्यसभा में भेज दे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनकी इसी
कमजोरी का फायदा भाजपा ने उठाया और पर्दे के पीछे से मिशन बिहार काे
अंजाम दिया जाने लगा। अपनी पार्टी के विधायकों काे तोड़ने का काम शुरू कर
दिया किया। बताया जाता है कि चार से पांच विधायक आर सी पी सिंह के पाले
में आ भी गए हैं। योजना यह बताई जाती है कि भाजपा की शह पर आर सी पी सिंह
ने अपना गुट बनाया और वे नीतीश कुमार काे चुनौती देने के लिए मैदान में
कूद पड़े हैं।वैसे उनके अलग पार्टी बनाने की भी चर्चा है लेकिन यदि भाजपा
और जदयू में टकराव बढ़ता है तो वे भाजपा में भी जा सकते हैं। आर सी पी
सिंह फिलहाल अपने गुट के चंद विधायकों के साथ मिल कर नीतीश कुमार की नाक
में दम करते रहेंगे। उधर भाजपा भी अपना काम करती रहेगी। दरअसल भाजपा हर
हाल में बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने का मंसूबा पाले बैठी है।
फिलहाल बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की सरकार राज्य में है लेकिन बतौर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा काे फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं। इसलिए
वहां भी महाराष्ट्र की तरह जेडीयू काे दाे फाड़ करवाने का खेल चल रहा है।
बिहार में सियासी संकट के बीच अगर एनडीए में टूट होती है तो पहली संभावना
यही है कि नीतीश, आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन संग जाकर सरकार बना
सकते हैं। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि नीतीश कुमार
सीएम के तौर पर सरकार चलाते रहें और आरजेडी-कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां
उन्हें बाहर से समर्थन करे।

जेडीयू और भाजपा में घमासान की शुरुआत आज से नहीं हुई है। कई मौकों पर
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल कानून-व्यवस्था समेत अलग-अलग
मुद्दों को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर वार कर चुके हैं। जिसमें जेडीयू की
ओर से भी करारा जवाब दिया गया। वहीं खुद सीएम नीतीश भी शायद बीजेपी
आलाकमान से खफा बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने पीएम मोदी के
साथ मुख्यमंत्रियों की रविवार को हुई नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं
लिया।