राम मंदिर उद्घाटन स्वतंत्र भारत में मील का पत्थर

प्रो. नीलम महाजन सिंह

मेरी ओर से सभी पाठकों को दिल की गहराई से, ईसा मसीह के जन्मदिन; क्रिसमस व पूर्व प्रधान मंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं। आज का लेख राम जन्मभूमि आन्दोलन व अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन समारोह के प्रणाम पर केंद्रित है। इस समारोह को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाइव प्रसारित किया जाएगा। अयोध्या के इतिहास में, 9 नवंबर 2019 को देश की सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर पर हिन्दुओं के दावे को स्वीकार करते हुए उसे हिन्दूओं के पक्ष को देने वाले फैसले के दूरगामी परिणाम हैं। इसीलिए चार साल बाद जब अयोध्या में राम जन्म भूमि पर रामलला का भव्य मंदिर आकार ले रहा है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को इसका उद्घाटन करेंगें। अनेक गणमान्य व्यक्तियों को विश्व भर से आमंत्रित किया जा रहा है। बाबरी मस्जिद को ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’ के बाद हुए, राजनीतिक कशमाकश अब इतिहास में लुप्त हो गए हैं।

जहां एक और राम रथ यात्रा के दौरान, लाल कृष्ण आडवाणी, राम की तीर कमान लिये हुए, अनेक राज्यों का दौरा कर रहे थे, तो उसी समय नरेंद मोदी, भाजपा जनरल सेक्रेटरी थे, व उन्होंन ही रथ यात्रा की पूर्ण तैयरी और संचालन किया था। हालांकि राजीव गांधी सरकार के गृह मंत्री, मरहूम अरुण नेहरू ने मंदिर के ताले खुलवाने का कार्य किया था। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कैबिनेट की बैठक में, अन्य निर्णयों के साथ एक महत्वपूर्ण निर्णय; ‘अयोध्या तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद’ के गठन का किया है। इस ‘तीर्थक्षेत्र विकास परिषद’ के गठन के साथ न केवल अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न हुआ है, बल्कि पूरे अयोध्या परिक्षेत्र को एक तीर्थक्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस मौके पर नरेंद मोदी ने कहा, “अयोध्या नगरी एक नये युग की ओर जा रही है। पूरी दुनिया आज रामनगरी की ओर आकर्षित हो रही है”। ऐसा माना जाता है कि 1525 में राम जन्मभूमि मंदिर को बाबर के सेनापति ‘मीर बांकी’ ने ध्वस्त करवाया था। बाबरी मस्जिद के तीन गुंबद थे जिसके बाहरी हिस्से में एक चबूतरे में श्रीराम के बाल स्वरूप की पूजा होती थी। इसे ‘राम चबूतरा’ कहते थे। लेकिन 1949 में बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के ठीक नीचे, वही मूर्ति निकली जो सदियों से राम चबूतरे पर विराजमान थी। यह कहना उचित होगा कि जहाँ एक ओर, मुस्लिम समुदाय हज करने, पवित्र स्थान मक्का मदिना जाते हैं, ईसाई समुदाय के लिए, रोम में वैटिकन सिटी है, सिख समुदाय के लिए, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर है, उसी प्रकार हिन्दुओं के लिए, राम भगवान का अयोध्या में राम मंदिर, महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान होगा। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी। जहां अटल बिहारी वाजपेयी तो बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने पर, निराश और व्याकुल हुए, वहीं दूर से, लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, अशोक सिंघल व अनेक कारसेवक खुशी से नाच रहे थे। अब अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, 97 वर्ष और मुरली मनोहर जोशी, 91 वर्ष के हो गए हैं। राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए, राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव, श्री चंपत राय ने मीडिया से कहा, “दोनों नेता परिवार के बड़े हैं परन्त उनकी उम्र को देखते हुए, उनसे समारोह में न आने के के लिए कहा गया है, जिसे दोनों ने स्वीकार भी कर लिया है”। क्योंकि राम मंदिर के उद्घाटन को अत्यंत भव्य स्तर पर किया जा रहा है; ये स्वाभाविक भी है कि, आडवाणी व जोशी के स्वास्थ्य के कारण उनकी रेख देख करना प्रशासन के लिए मुश्किल होगा। वे बाद में भी अयोध्या जा सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि जब से अयोध्या में ‘रामलला टेंट से बाहर’ आये हैं वहां जानेवाले दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है। लंबे समय तक अयोध्या एक उपेक्षित कस्बे के रूप में ही रहा, जहां राम जन्मभूमि विवादों में रही। वैसे भी अयोध्या कोई बड़ा शहर नहीं बल्कि फैज़ाबाद का एक कस्बा है।भारत के अन्य तीर्थक्षेत्रों जैसी इसकी महत्ता ज़रूर है, लेकिन आर्थिक रूप से यह एक विपन्न शहर था। अभी पुलिस प्रशासन की भारी मौजूदगी के कारण लोगों का अयोध्या जाना लगभग बंद है। सिर्फ आसपास के स्थानीय लोग ही हनुमानगढ़ी जाते हैं। जहां तीर्थयात्री आयें तो वहां संपन्नता आयेगी ! 2017 तक कमोबेश की स्थिति बनी रही। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद कुछ हुआ या न हुआ, मगर एक नगर के रूप में अयोध्या का वनवास खत्म हो गया। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, जिनके दादागुरु महंत दिग्विजय नाथ ने ही 1949 में बाबरी मस्जिद के भीतर रामलला विराजमान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वैसे अयोध्या का रामजन्मभूमि मंदिर मात्र राजनीतिक या धार्मिक आस्था का ही विषय नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में प्रदेश सरकार की ओर से हर प्रकार की मांग को पूरा किया गया है; बल्कि अयोध्या के विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है। अयोध्या में दीपावली से एक दिन पहले ‘भव्य दीपोत्सव’ की शुरुआत अयोध्या का प्रमुख आकर्षण बन गया है। घरेलू हों या वैश्विक पर्यटक, अब बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश आते हैं। इसका कारण यहां के धार्मिक स्थल हैं जिसमें काशी, प्रयाग, मथुरा व वृन्दावन आनेवाले पर्यटक हैं। इसके अलावा आगरा का ताजमहल भी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। अब ‘राम की पैड़ी’ व उन मंदिरों का रंग रोगन कराया गया जिन पर दशकों से बदरंग होने की उदासी छायी हुई थी। कोरिया की महारानी, ‘किम जुंग शुक’ भी बतौर अतिथि यहां आ चुकी हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उस राजघराने की पहली महारानी अयोध्या की राजकुमारी थीं। इस समय अयोध्या में 3,000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। अयोध्या कैण्ट (पूर्व फैज़ाबाद) से लता मंगेशकर चौक तक के रामपथ की साज-सज्जा की जा रही है। इसके बाद भक्ति पथ और राम जन्मभूमि पथ को भी न सिर्फ चौड़ा किया गया है बल्कि उन्हें आधुनिक शहर की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, सड़कों और चौक-चौराहों को भव्य बनाने के साथ ही ‘राम की पैड़ी’ को भी नये तरह से सजाया संवारा गया है। आसपास की 8 झीलों का सुन्दरीकरण, चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग का सुन्दरीकरण, सूर्यकुण्ड के सूर्य मंदिर का विकास, गुप्तार घाट के सौंदर्यकरण के साथ ही, अयोध्या के सभी मंदिरों के आसपास यात्री सुविधाओं का विकास शामिल है। नव्य अयोध्या, मंदिर स्थापत्य संग्रहालय, पंच सितारा होटल आदि का विकास, लंबी अवधि में होगा। लेकिन 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर के प्रथम चरण के पूरा होने के साथ ही हिंदू धर्म के भावों को व्यावहारिकता प्राप्त होगी। राम मंदिर के नाम पर राजनीतिक बंटवारा नहीं होना चाहिये। अयोध्या में प्रभु राम का भव्य मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनकर तैयार हो गया है। प्रभु राम को अपने मंदिर में विराजमान होने का उत्साह पूरे देश में देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य नायक हैं। वैसे उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र के साथ, तालमेल कर, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। यह अच्छा निर्णय है। इतिहासकार राम मंदिर के उद्घाटन को ‘एक नए युग का आरंभ’ मान रहें हैं। सभी धर्मों को विशेष रूप से मुस्लिम समाज को स्व-नियंत्रित रखना आवश्यक है। अंततः ये कहना उचित होगा कि मर्यादा-पुरुषोत्तम श्री राम के भव्य राम मंदिर का उद्घाटन, स्वतंत्र भारत में मील का पत्थर है। सभी को सम्मान व उदारतावादी होने से, एक भारत, श्रेष्ठ भारत का संदेश, विश्व में उद्घोषित होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)