नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उनके नए मंत्रि परिषद से हैं राजस्थान वासियों को ढेरों उम्मीदें

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

भारत का भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़ा ऐतिहासिक प्रदेश राजस्थान जिसके पूर्व में बारह मास बहती चंबल नदी, पश्चिम में एशिया के सबसे बड़े मरुस्थल में शुमार पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा थार का रेगिस्तान, उत्तर में विश्व की सबसे बड़ी इंदिरा गांधी नहर परियोजना से लहलहारते खेत और खलियान तथा दक्षिण में स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की प्रेरणास्पद वीर भूमि और खूबसूरत नीली झीलें सदैव देश और दुनिया को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है।

राजस्थान शक्ति और भक्ति, शौर्य, बलिदान और त्याग की भूमि है। राजस्थान का गौरवशाली इतिहास, ऐतिहासिक किले,भव्य महल, सुंदर हवेलियां और अन्य पुरातात्विक एवं धार्मिक स्थल,समृद्धशाली लोक संस्कृति,वेश भूषाएं, रंग बिरंगे तीज त्यौहार,बेजोड़ कला-संस्कृति, हस्त शिल्प, लोक गीत, संगीत एवं साहित्य तथा सबसे बढ़ कर यहां के स्वादिष्ट खान पान और लोगों की सादगी, सहजता,मीठी बोली एवं मनुहार भरी आतिथ्य सेवा पूरे विश्व को चुम्बकीय शक्ति जैसे अपनी ओर खिंचती है।

राजस्थान के लोग देश-दुनिया के हर हिस्से में मौजूद है और अपने देश-प्रदेश के साथ ही उस इलाके के सर्वांगीण विकास में सक्रिय भागीदार बने हुए है। इन प्रवासी राजस्थानियों की पहचान मारवाड़ी के रुप में जग जाहिर है और इनके बारे में यह कहावत भी प्रचलित है कि जहां न पहुंचे बैलगाड़ी या चील गाड़ी ( हवाई जहाज ) वहां पहुंचे मारवाड़ी….राजस्थानियों की उद्यमशीलता और व्यापार करने की क्षमता की सारी दुनिया कायल हैं।भारत के मशहूर अधिकांश उद्योगपति राजस्थान मूल के ही निवासी हैं।

देश की सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा में भी राजस्थानियों का योगदान किसी से कम नहीं है और भारतीय सेना में अधिकांश सैनिक राजस्थान के ही हैं । देश में सबसे अधिक शहीद भी राजस्थान के गांवों के वीर सपूत ही होते है। विशेष कर प्रदेश के शेखावाटी अंचल के कतिपय गांवों और कस्बों के हर घर से एक न एक जवान और शहीद हैं।

भारत की आजादी के आंदोलन से आजाद भारत के 75 वर्षों के सुनहरे इतिहास और देश की प्रगति एवं विकास कार्यों में भी राजस्थान के लोगों और जन प्रतिनिधियों ने अपना अभूतपूर्व तथा उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया है।

विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला अरावली की पहाड़ियां दिल्ली से होकर गुजरात की सीमा तक राजस्थान में से होकर ही गुजरती है और भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान को पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान के रूप में विभाजित करती है। अरावली की इन पहाड़ियों में अनेक खनिजों के अथाह भंडार है। वैसे भी राजस्थान में खनिज संपदाओं की विपुलता है। राजस्थान का करौली, धौलपुर,सिकंदरा,जोधपुर आदि स्थानों का इमारती पत्थर और मकराना, राजसमंद, उदयपुर आदि का मार्बल,ग्रेनाइट आदि जग प्रसिद्ध हैं और देश-दुनिया की मशहूर ईमारते इन्ही पत्थरो से बनी है। अयोद्धा में बन रहा रामलला का विशाल मंदिर भी राजस्थानी पत्थरों से ही बन रहा है।

राजस्थान में जिंक, लाइम स्टोन,जिप्सम, रॉक फॉस्फेट,चुना पत्थर आदि कई माइंस और मिनरल्स मौजूद है। दक्षिणी पूर्वी राजस्थान में मार्बल के साथ सीमेंट उद्योग भी पनपा है। इसके अलावा प्रदेश में तांबा,चांदी के साथ ही सोने के रिजर्व की खोज भी हुई है। इसी प्रकार पश्चिमी राजस्थान में तेल और गैस के साथ ही मीठे पानी के अथाह भंडार मिले है और जौधपुर-बाड़मेर के मध्य 72 हजार करोड़ से भी अधिक की लागत से पचपदरा में बन रही तेल रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स से प्रदेश की आर्थिक प्रगति, हजारों नए रोजगार और समृद्धि के नए द्वार खुलने की उम्मीद है। इसी प्रकार यह पूरा इलाक़ा देश का ही विश्व का भी सबसे बड़ा सोलर हब भी बनने वाला।यहाँ विण्ड एनर्जी के उत्पादन की इकाइयाँ भी लग रही हैं।

राजस्थान संभावनाओं से भरा प्रदेश है ।प्रदेश में पर्यटन उद्योग सबसे बड़ा उद्योग है।राज्य में प्रति वर्ष लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते है। राजस्थान करोड़ों घरेलू पर्यटकों से भी हर वर्ष गुलजार रहता है। धार्मिक पर्यटन में प्रदेश अव्वल है। शाही रेल पैलेस ऑन व्हील्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने झंडे गाड़े हैं।

राजस्थान की इस ऐतिहासिक, भौगोलिक,सामाजिक,सांस्कृतिक, राजनीतिक और पर्यटन पृष्ठभूमि में यदि हम प्रदेश के चहुमुखी विकास की बात करें तो प्रदेश की भौगोलिक विषमताओं, पानी की कमी, प्राकृतिक आपदाओं तथा अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती इलाकों की अनेक चुनौतियों की चर्चा करना बैमानी नही कहा जा सकता।

राजस्थान में हाल ही भाजपा के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में नई सरकार बनी है। नई सरकार के सामने कई राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियां हो सकती है लेकिन सरकार को वर्ष 2024 में नए वर्ष में नए संकल्प लेने की प्रतिबद्धता भी दर्शानी होंगी।

प्रायः पानी की कमी और प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहें राजस्थान के लोगों और किसानों से जुड़ी परियोजनाओं को सिरे पर चढ़ाना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रदेश में फ्लोराइड युक्त पानी से होने वाली बीमारियों का निराकरण होना भी बहुत जरूरी है। भजन सरकार को सबसे पहले अति महत्वपूर्ण पूर्वी राजस्थान के तेरह जिलों के नागरिकों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति करने वाली 40 हजार करोड़ रु से भी अधिक की लागत वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ( ईआरसीपी ) को हर हालत में शुरू कराना चाहिए। मुख्यमंत्री शर्मा स्वयं पूर्वी राजस्थान से है और केंद्र में जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी राजस्थान से है। शेखावत ने हाल ही पहल कर राजस्थान,मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार के अधिकारियों की बैठक भी कराई है।

इसी प्रकार मुख्यमंत्री शर्मा को राजस्थान की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों और प्रायः आने वाली प्राकृतिक आपदाओं तथा पश्चिम राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पड़ने वाली विकास कार्यों की लागत तथा इन इलाकों में लोगों को आवश्यक सेवाओं सड़क,पानी और बिजली आदि मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने में अन्य प्रदेशों के मुकाबले आने वाली अधिक सेवा लागत सम्बन्धी समस्या का हल निकालने के लिए केंद्र सरकार से राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के प्रयासों को भी तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए।

इसके अलावा रावी-व्यास नदी के जल में पंजाब द्वारा राजस्थान के हक की शेष हिस्सेदारी 0.60 एमएएफ पानी अभी तक नही छोड़ने तथा भाखड़ा-व्यास नियंत्रण प्रबन्धन बोर्ड में राजस्थान का पूर्ण कालीन स्थाई सदस्य और सचिव बनाने तथा भरतपुर को कम यमुना जल मिलने सहित अन्य अंतर राज्जीय जल और बिजली समझौतों के अनुरूप प्रदेश के हिस्से का पानी और बिजली को हासिल करने में भी प्राथमिकता से आगे बढ़ने की जरूरत है।

उत्तरी राजस्थान के श्रीगंगानगर से गुजरात से सटे बाड़मेर की पाकिस्तान से लगी लंबी अंतर राष्ट्रीय सीमाओं को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार से सीमा विकास कार्यक्रमों के तहत सड़को के विकास एवं सीमापार से होने वाली घुसपैठ,अवैध हथियारों और मादक द्रव्यों की आवाजाही को रोकने के लिए राज्य पुलिस को अधिक केंद्रीय सहायता, सांस्कृतिक प्रदूषण को रोकने के लिए वहाँ उच्च क्षमता के टीवी टावर लगाने आदि के लिए भी प्रयास भी करने चाहिए।

भजन लाल मंत्रिपरिषद की प्राथमिकताओं में महत्वाकांक्षी पचपदरा बाड़मेर तेल रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स परियोजना को अतिशीग्र शुरू कराना भी शामिल किया जाना चाहिए। इससे प्रदेश के हजारों युवकों और अन्य काम धंधे करने वाले लोगों को रोजगार मिल सकेगा तथा प्रदेश के खजाने में मोटी आमदनी आने का मार्ग भी प्रशस्त होंगा।

वैसे तो प्रदेश में पिछले वर्षो में प्रदेश की रेल और सड़क परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया गया है फिर भी आदिवासी इलाकों रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर की बहु प्रतीक्षित रेल परियोजना,अजमेर-सवाई माधोपुर-टोंक तथा पुष्कर-मेड़ता ,मेवाड़-मारवाड़ आदि कई रेल परियोजनाओं का काम पूरी गति से सिरे चढ़ाना अभी शेष है। साथ ही नेशनल हाई वे मार्गों के शेष कार्यों को भी तेजी से पूरा कराना आवश्यक है। इस विषय पर भी भजन सरकार को अपने प्रयास तेज करने की जरूरत है।

राजस्थान के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने और प्रदेश की प्राचीन विरासतों को बचाने के लिए केन्द्र सरकार से राजस्थान को हेरिटेज स्टेट घोषित करा कर केंद्र म से अधिक धन राशि ली जानी चाहिए। साथ ही धार्मिक पर्यटन सर्किट के विकास की परियोजनाएं बना कर वाराणसी तथा उज्जैन आदि धार्मिक आस्थाओं के स्थानों की तरह ही राजस्थान में भी विशेष कोरिडोर विकसित कराए जाने चाहिए।

राजस्थानी भाषा को सविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करा संवैधानिक मान्यता दिलाने का मामला कई वर्षों से अटका पड़ा है। विधानसभा में भी सर्व सम्मति से इसका संकल्प पारित किया जा चुका है। राज्य सरकार को नए वर्ष में इस संवेदनशील और प्रदेश के नागरिकों की भावनाओं से जुड़े मसले को गम्भीरता के साथ प्राथमिकता से हल कराने की पहल करनी चाहिए। साथ ही भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश के स्कूलों में तुरंत राजस्थानी भाषा में पढ़ाई शुरू करवानी चाहिए।

भजन लाल सरकार को राजस्थान के हितों से जुड़े और केन्द्र सरकार के स्तर पर पेंडिंग विभिन्न मामलो को संसद में प्रभावी ढंग से उठाने के लिए नई दिल्ली के बीकानेर हाउस स्थित राज्य सरकार के आवासीय आयुक्त कार्यालय में निष्क्रिय से पड़े सांसद-प्रकोष्ठ को फिर से पुनर्जीवित कर प्रदेश के सांसदों की नियमित बैठके और राज्य सरकार के साथ समुचित समन्वय की प्रक्रिया को भी बहाल कराना चाहिए।साथ ही प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली में प्रवासी राजस्थानियों के लिए एक विशेष सैल भी स्थापित किया जाना चाहिए तथा समय-समय पर देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी राजस्थानियों को आमंत्रित कर उनसे प्रदेश के विकास रोडमैप को साकार करने संबंधी सुझाव भी लेने चाहिए।

नए साल में इन नए संकल्पों के लागू होने से यकीनन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भावनाओं के अनुरूप राजस्थान में भी सही अर्थों में डबल इंजन की सरकार सार्थक हो सकेगी।

देखना है कि नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा नए वर्ष में प्रदेशवासियों के लिए और कौन-कौन से नए कार्यों का श्रीगणेश कर राजस्थान को देश के अग्रणी प्रदेश की पंक्ति में शामिल कराएंगे।