अडाणी समूह में LIC के निवेश से व्यापारी चिंतित – बृजेश गोयल

  • बैंकों में भी अरबों रुपए के लोन से व्यापारियों को पैसे डूबने का डर
  • सीटीआई ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा पत्र
  • LIC और बैंकों में लगे पैसों को लेकर व्यापारियों को आश्वासन दे सरकार

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली : अमेरिकी शार्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों पर सड़क से संसद तक हंगामा मचा है। अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL ) के बोर्ड ने पूरी तरह से सब्सक्राइब किए 20 हजार करोड़ के फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को वापस ले लिया है। इससे मार्केट में घमासान मचा हुआ है।

अदाणी ग्रुप की कंपनियों में जिन लोगों ने पैसा लगा रखा है, उनकी चिंता बढ़ गई है।

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस मुद्दे पर पत्र लिखा है।

सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने निर्मला सीतारमण से गुहार लगाई है कि देश के समक्ष स्थिति स्पष्ट करें, आम जनता से लेकर व्यापारियों और निवेशकों को भरोसा दें कि उनका पैसा सुरक्षित है और डरने की जरूरत नहीं है , तभी व्यापारी निडर होकर काम कर सकेगा।

फरवरी-मार्च में काफी लोग अपना पैसा इन्वेस्ट करते हैं।

बृजेश गोयल ने बताया कि पिछले दिनों AEL ने एफपीओ वापस ले लिया , 31 दिसंबर 2022 के अनुसार इक्यूटी और ऋण के तहत भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अडाणी समूह की कंपनियों में कुल शेयर पूंजी 35,917.31 करोड़ रुपये लगाई है। अडाणी समूह की सभी कंपनियों में पिछले कई सालों में खरीदी गई इक्विटी का कुल क्रय मूल्य 30,127 करोड़ रुपये है। 27 जनवरी 2023 को बाजार बंद होने तक मार्केट वेल्यू 56,142 करोड़ रुपये था। अडाणी समूह में निवेश की गई कुल राशि वर्तमान में 36,474.78 करोड़ रुपये है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नैशनल बैंक का मिलाकर अदाणी ग्रुप पर 40 हजार करोड़ का लोन है। ये पैसा अलग-अलग कंपनियों में लगा है।

दिल्ली में करीब 20 लाख और देश में करीब 6 करोड़ कारोबारी हैं। लाखों व्यापारियों ने अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा एलआईसी में निवेश किया है।

अब व्यापारी इधर-उधर संपर्क कर रहे हैं , सभी में भय है कि यह पैसा डूब तो नहीं जाएगा।

इसीलिए सरकार से स्पष्टीकरण चाहते हैं , इसलिए भारत सरकार को एक बयान जारी करके व्यापारियों को आश्वासन देकर विश्वास में लिया जाए ।