मरुधरा का नया लाल क्या करेगा कमाल ?

गोपेंद्र नाथ भट्ट

भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में शुक्रवार पन्द्रह दिसम्बर का दिन एक विशेष दिवस के रूप में दर्ज हो जायेगा। शुक्रवार को जयपुर के ऐतिहासिक राम निवास बाग के ऐलबर्ट हाल के सामने सांगानेर से चुने गए विधायक 56 वर्षीय भजन लाल शर्मा प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे।यह पहला मौक़ा होंगा कि जब राज्य के किसी मुख्यमंत्री को अपने जन्म दिवस पर यह नायाब तोहफ़ा मिलेगा।

क़रीब 33 वर्षों के बाद राजस्थान को एक बार फिर से एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिल रहा है। इससे पहले मार्च 1990 तक हरिदेव जोशी सीएम रहें थे। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री सहित अब तक राज्य को पाँच ब्राह्मण मुख्यमंत्री जय नारायण व्यास,टीकाराम पालीवाल एवं हरिदेव जोशी मिल चुके है। गैर राजनेता सी एस वेंकटाचारी भी ब्राह्मण ही थे। भजन लाल शर्मा प्रदेश के छठें ब्राह्मण मुख्यमंत्री होंगे। पूर्वी राजस्थान के भरतपुर अंचल से वे जगन्नाथ पहाड़ियाँ के बाद दूसरे मुख्यमंत्री होंगे।

भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज भैरोंसिंह शेखावत के 1993 से 1998 के कार्यकाल के बाद पिछलें तीस वर्षों से कांग्रेस और भाजपा के क्रमशः अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे बारी-बारी से प्रदेश की सत्ता पर शासन करते रहें और उनके इर्द गिर्द ही राजस्थान की सत्ता घूमती रही, लेकिन इस बार 16वीं विधान सभा के लिए दिसम्बर 2023 में हुए चुनाव में भाजपा को एक बार फिर से पूर्ण बहुमत मिला और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी को चौंकातें हुए पहली बार चुनाव जीत कर विधायक बने भजन लाल शर्मा को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री घोषित कराया है ।

यदि हम राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की बात करें और पुराने इतिहास पर नजर डालें तो 1949 से प्रदेश में अब तक 13 मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल रहा है और इसमें अधिक मुख्यमंत्री मेवाड़ और वागड़ अंचल के रहे है। इसके बाद मारवाड़ और हाड़ौती का नम्बर आता है। मुख्यमंत्रियों में सबसे लंबा कार्यकाल उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया का रहा है। सुखाड़िया मात्र 38 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे और करीब 17 वर्षों तक प्रदेश में उनका एक छत्र राज रहा । सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने और सबसे लम्बे समय तक चार बार मुख्यमंत्री रहने के उनके रिकार्ड को आज दिन तक प्रदेश का कोई नेता नही तौड पाया है।

मोहनलाल सुखाड़िया जैन (वैश्य) समाज से थे। वे 13 नवंबर 1954 से 13 मार्च 1967 तक, कुल 12 साल 120 दिन तक निरन्तर राजस्थान मुख्यमंत्री के पद पर रहे और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद एक बार फिर 26 अप्रैल 1967 को राज्य के मुख्यमंत्री बने तथा इस पद पर 9 जुलाई 1971 तक बने रहे।इस दौरान उनका कार्यकाल 4 साल 74 दिन तक रहा। इस प्रकार मोहनलाल सुखाड़िया 16 साल और 194 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।

राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री (सीएम) हीरालाल शास्त्री ब्राह्मण थे। वे 7 अप्रैल 1949 से 6 जनवरी 1951 तक, कुल 1 साल 274 दिन का तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद परम्परा से हट कर प्रशासनिक अधिकारी सीएस वेंकटचारी 6 जनवरी 1951 से लेकर 26 अप्रैल 1951 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे और उनका कार्यकाल मात्र 110 दिन तक रहाँ।

इसके बाद फिर से जोधपुर के ब्राह्मण जय नारायण व्यास 26 अप्रैल 1951 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और इस पद पर 3 मार्च 1952 तक रहे। उनका कार्यकाल एक वर्ष से भी कम सिर्फ़ 312 दिन तक ही रहा। जय नारायण व्यास दूसरी बार 1 नवंबर 1952 से 13 नवंबर 1954 तक 2 वर्ष 12 दिन तक सीएम रहें।इस मध्य ब्राह्मण नेता टीकाराम पालीवाल भी मुख्यमंत्री रहें जो 3 मार्च 19 से 1 नवंबर 1952 तक मात्र 243 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।

सबसे लम्बे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहें मोहनलाल सुखाडिया के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जोधपुर के बरकतुल्लाह खान राजस्थान के पहले मुस्लिम मुख्यमंत्री बने तथा उनका कार्यकाल 9 जुलाई 1971 से 11 अक्टूबर 1973 तक, कुल 2 साल 94 दिन तक रहा।

बरकतुल्लाह खान के निधन के बाद दक्षिणी राजस्थान के वागड़ अंचल के बाँसवाड़ा से हरिदेव जोशी 11 अक्टूबर 1973 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। जोशी भी ब्राह्मण नेता थे और तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहें।अपने प्रथम कार्यकाल वे 3 साल 200 दिनों (29 अप्रैल) 1977 तक सीएम रहे। अपने दूसरे मुख्यमंत्री कार्यकाल में वे 10 मार्च 1985 से 20 जनवरी 1988 तक 2 साल 316 तक और तीसरे कार्यकाल में 4 दिसंबर 1989 से 4 मार्च 1990 तक केवल 90 दिनों तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।

शेखावाटी मूल के पूर्व उप राष्ट्रपति दिवंगत भैरो सिंह शेखावत राजस्थान में पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। 1977 में पूरे देश में जनता पार्टी की अभूतपूर्व विजय के बाद भैरो सिंह शेखावत पहली बार 22 जून 1977 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, उनका ये कार्यकाल 16 फरवरी 1980 तक यानी 2 साल 239 दिनों तक रहा। शेखावत भी तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहें। शेखावत भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 4 मार्च 1990 को दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने, वह इस पद पर 15 दिसंबर 1992 तक, कुल 2 साल 286 दिन तक रहे। इसके बाद 10वीं विधानसभा में बीजेपी की जीत पर शेखावत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। तीसरे टर्म में वो 4 दिसंबर 1993 से 1 दिसंबर 1998 तक कल 4 साल 362 दिन तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे।

जगन्नाथ पहाड़िया प्रदेश के पहले दलित मुख्यमंत्री थे।वे वर्ष 1980 में भरतपुर जिले के वैर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए। पहाड़िया ने 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 तक, कुल 1 साल 38 दिन का मुख्यमंत्री पद पर रहे।

मेवाड़ अंचल के भीलवाड़ा से शिवचरण माथुर (कायस्थ) भी दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहें । पहली बार वे 14 जुलाई 1981 से 23 फरवरी 1985 तक, कुल 3 साल 224 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे और उनका दूसरा कार्यकाल 20 जनवरी 1988 से 4 दिसंबर 1989 तक 1 साल 318 दिन तक रहा।

उदयपुर राजसमन्द के हीरालाल देवपुरा (माहेश्वरी वैश्य) का राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे छोटा कार्यकाल 23 फरवरी 1985 से 10 मार्च 1985 तक मात्र 15 दिन तक ही रहा। राजस्थान में चार बार राष्ट्रपति शासन भी लगें।इसमें पहली बार 13 मार्च 1967से 26अप्रेल1967(44 दिन) दूसरी बार 29 अप्रेल 1977 से 22जून 1977(54 दिन)तक तीसरी बार 16 फ़रवरी 1980 से 06 जून 1980(111 दिन )तक और 15 दिसम्बर1992 से 4दिसंबर 1993(354दिन )तक राष्ट्रपति शासन रहा।

राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में सत्ता का बँटवारा 1998 से अब तक पिछलें तीस वर्षों तक दो ओबीसी नेताओं कांग्रेस के अशोक गहलोत (माली) और भाजपा की ओर वसुंधरा राजे सिंधिया (जाट,राजपूत ,गुर्जर से सम्बद्ध) के मध्य बारी-बारी से होता रहा।

भैरोंसिंह शेखावत के सत्ताच्युत होने के बाद सबसे पहले अशोक गहलोत कांग्रेस की ओर से 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक, कुल 5 साल 7 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद राजस्थान की 12वीं विधानसभा का चुनाव जीतने पर पहली बार 8 दिसंबर 2003 को प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और इस पद पर 12 दिसंबर 2008 तक पूरे 5 साल 4 दिनों तक रहीं। उसके बाद फिर से कांग्रेस की विजय पर अशोक गहलोत दूसरी बार 12 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री बनें तथा अपने दूसरे कार्यकाल में 13 दिसंबर 2013 तक, कुल 5 साल 1 दिन तक सीएम के पद पर रहे। राजस्थान में वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में पुनः बीजेपी की विजय हुई और वसुंधरा राजे दूसरी बार सीएम बनी। उनका दूसरा कार्यकाल 13 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक कुल 5 साल 4 दिन रहा।

राजस्थान में वर्ष 1993 से कायम हुआ सरकार बदलने का रिवाज 2018 में भी कायम रहा तथा 2018 में कांग्रेस की फिर से जीत पर अशोक गहलोत को तीसरी बार प्रदेश का मुखिया बनाया गया। वे इस पद 17 दिसंबर 2018 से 13 दिसंबर 2023 तक पर कुल 4 साल 361 दिन तक बने रहे। इस प्रकार अशोक गहलोत तीन बार और वसुन्धरा राजे दो बार बारी बारी से मुख्यमंत्री रहे लेकिन इस बार 16 वीं विधान सभा के लिए वर्ष 2023 में हुए चुनाव में अशोक गहलोत की रिवाज बदल कर चौथी बार और वसुन्धरा राजे की तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की हसरत पूरी नही हो पाई और प्रदेश में पहली बार विधायक बनने वाले भजन लाल शर्मा शुक्रवार 15 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई विशिष्ट जनों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आरूढ़ होने जा रहें है।

इस प्रकार राजस्थान की राजनीति में अब एक नए सूरज का उदय हो चुका है और यह देखना दिलचस्प होंगा कि क्षीतिज से इसका प्रकाश कब तक रंग रंगीले और रेतीले राजस्थान की धरा को प्रकाशमान करता रहेगा? उम्मीद है कि प्रदेश के नए मुखिया भजन लाल शर्मा राजस्थान की सात करोड़ जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की कसौटी पर खरा उतरेंगे। देखना है मरुधरा का यह नया लाल क्या कमाल करेगा ?