मायावती का प्रचार के लिये अम्बेडकरनगर नहीं आने के सियासी मायने

Political meaning of Mayawati not coming to Ambedkar Nagar for campaigning

अजय कुमार

उत्तर प्रदेश में अवध और पूर्वांचल के मुहाने पर अम्बेडकरनगर जिला पड़ता है। यह लोकसभा क्षेत्र अयोध्या से सटा हुआ है। जिले का निर्माण ही अयोध्या जिले का बंटवारा करके हुआ था। अम्बेडकर नगर को जिले का रूतबा मायावती की सरकार में हासिल हुआ था। यहां से मायावती सांसद भी रह चुकी है। सरयू नदी से सटे अम्बेडकरनगर की पहचान पूर्वांचल के गांधी के रूप में मशहूर जयराम वर्मा और समाजवाद के पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया की जन्मस्थली के रूप में भी है। उत्तर प्रदेश की अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है। प्रचार के लिए सभी दलों के नेता यहां ताल ठोक रहे हैं,लेकिन चर्चा बसपा सुप्रीमों मायावती की गैर-मौजूदगी की अधिक हो रही है।

करीब तीन दशक की राजनीति में यह पहला मौका है जब बसपा प्रमुख मायावती पार्टी के गढ़ रहे अंबेडकरनगर से अभी दूरी बनाई हुई हैं। चुनाव प्रचार करने भी नहीं पहुंचीं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दो सभाएं अपेक्षित थीं, लेकिन आचार संहिता के फेर में उनका भी दौरा नहीं हो पाया। प्रचार खत्म होने के अंतिम दिन 23 मई को गृहमंत्री अमित शाह की सभा है। सियासी रूप से अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के द्वारा 29 सितंबर 1995 को बनाया गया था। सियासत की नजर से देखें तो अम्बेडकरनगर सीट से बसपा सुप्रीमो मायावती भी सांसद रह चुकी हैं। अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट पर सपा, बसपा और भाजपा तीनों का कब्जा रह चुका है।

पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से सपा और बसपा के सयुंक्त उम्मीदवार रितेश पांडे को जीत मिली थी। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रितेश पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया है,जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे। यहां की राजनीति बसपा के इर्द गिर्द घूमती आई है। वर्ष 1995 में बसपा प्रमुख मायावती ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर अंबेडकरनगर नाम से नए जनपद की सौगात दी थी। बसपा उसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनावों में धमाकेदार प्रदर्शन करती रही। मायावती खुद यहां के चुनाव प्रचार की कमान पूरी मजबूती से संभालती रहीं। शुरुआती दौर में तो यहां दो-दो रैली और जनसभा भी होती थी। इस बार भी उम्मीद थी कि वह अंबेडकरनगर में जोरदार प्रचार करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

इस चुनाव में बसपा के लिए काफी कुछ बदल गया है। पिछले पांच वर्ष में पार्टी के कई बड़े नेता सपा और भाजपा में जा चुके हैं। यहां टिकट को लेकर खींचतान भी मची रही। प्रचार के नाम पर राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाए जाने के पहले मायावती के भतीजे आकाश आनंद ही यहां एक रैली कर सके। पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र तक का दौरा यहां नहीं लगा।

इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रितेश पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा से जीतने वाले रितेश इस बार पाला बदलकर बीजेपी से मैदान में हैं। सपा ने लालजी वर्मा को अपना उम्मीदवार बना कर पिछड़ों की राजनीति साधने का प्रयास किया। इस बार सपा ने पूरे चुनाव को ही अगड़ा बनाम पिछड़ा कर दिया है। बसपा इस बार चुनाव में निष्क्रिय है और एक ऐसे मुस्लिम चेहरे को अपना उम्मीदवार बनाया है जो एक दम अनजान है। जिले में इस बार लोकसभा चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है।

अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इसमें अम्बेडकरनगर की चार विधानसभा सीट जलालपुर, अकबरपुर,टांडा और कटेहरी शामिल है,जबकि अयोध्या जिले की एक सीट गोसाईगंज शामिल है। अम्बेडकरनगर में 26444 युवा पहली बार मतदान करेंगे। अम्बेडकरनगर में कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 52 हजार 627 है। जिसमें 9 लाख 64 हजार 663 पुरुष और 8 लाख 87 हजार 946 महिला मतदाता शामिल हैं। चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है।

जातिगत समीकरणों की बात करें तो अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट पर दलित और मुस्लिम वोटों की अधिकता है। इस लोकसभा सीट पर तकरीबन 3 लाख से अधिक दलित और लगभग इतने ही मुस्लिम मतदाता हैं। इस सीट पर कुर्मी मतदाताओं की भी अधिकता है। कुर्मी मतदाताओं की संख्या लगभग 2 लाख है। इस सीट पर तकरीबन 1 लाख ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है। इस सीट पर ठाकुर मतदाताओं की संख्या लगभग एक लाख है।