पीकू और गंगरेल की कहानी

Story of Piku and Gangrel

  • आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं
  • आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं

रविवार दिल्ली नेटवर्क

रायपुर : आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं/ आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं/ आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं

धमतरी जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सार्थक पहल की गई है नवाचार के माध्यम से पीकू और गंगरेल की कहानी को आकर्षक रूप से दर्शाया गया है आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं के तहत लोगों से अपील की जा रही है कि पानी को व्यर्थ खर्च न करें पानी को सहेज कर रखें “जल है तो कल है” किसान भाईयों को गर्मी के सीजन में धान का फसल न लेकर दलहन और तिलहन की फसल लेने और मिट्टी उर्वरता शक्ति को बना कर रखने का आग्रह किया गया है।

पीकू – आप कौन है आप दुःखी क्यों है।

गंगरेल – मैं……मैं गंगरेल हूं, लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाला, लाखों खेतों में हरियाली लाने वाला, अब मैं पल-पल सूख रहा हूं अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा हूं।
पीकू – ये तो बहुत बड़ी समस्या है।
गंगरेल- मुझे अपनी नहीं धमतरी वालों की चिंता है, मेरे बाद न जाने उनका क्या होगा, खेतों को पानी कहां से मिलेगा, लोगों की प्यास कैसे बुझेगी।
पीकू- ऐसा क्यों हो रहा है।
गंगरेल- लोगों की नादानी मुझ पर पड़ रही भारी, लोग ट्यूबवेल चलाकर छोड़ देते है जितना उपयोग करते है उससे ज्यादा बहा देते है हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
पीकू- आप चिंता न करें हम जल जगार मनाएंगे, गांव वालों को बताएंगे, मिलकर पानी बचाएंगे।
आइए जल जगार मनाएं
गंगरेल बचाएं……..