
सुनील कुमार महला
भारत विश्व का एक बड़ा कृषि प्रधान देश है और यहां की बड़ी आबादी किसानों की है।भारत के लिए जो वास्तव में कृषि और संबद्ध क्षेत्र अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, तथा जिसका वयस्क कार्यबल 60% किसान हैं, और जहां भारत अपने उपयोग से लगभग चार गुना अधिक कीटनाशक का उत्पादन करता है, वहां के किसानों के स्वास्थ्य की रक्षा के संबंध में हाल ही में वैज्ञानिकों ने किसानों को कीटनाशकों के छिड़काव से बचाने के लिए ‘किसान कवच ‘ विकसित किया है, जो निश्चित ही एक बड़ी और शानदार उपलब्धि है। आज बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि योग्य भूमि लगातार कम होती चली जा रही है, कृषि कार्यबल में भी अभूतपूर्व कमी आई है। कृषि उत्पादकता कम होने के कारण खाद्य मांगों को पूरा किया जाना भी अति आवश्यक है, पाठक जानते हैं कि कीट और अन्य रोगजनक प्रमुख फसलों में आज 20 से 25 प्रतिशत तक नुकसान का बड़ा कारण बनते हैं। इसलिए, इन चुनौतियों से निपटने के लिए खेती में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना आवश्यक हैं, लेकिन इसी बीच किसानों के स्वास्थ्य व जीवन की सुरक्षा उससे भी अहम् और महत्वपूर्ण है। कहना ग़लत नहीं होगा कि कीटनाशक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए ही अत्यंत गंभीर जोखिम और खतरा पैदा करते हैं। इसी क्रम में, वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए भारत का पहला कीटनाशक रोधी बॉडीसूट तैयार किया है, जो कृषि के क्षेत्र में एक नवाचार है। हालांकि यह बात अलग है कि आज सरकार खेती से कीटनाशकों, रसायनों आदि के उपयोग को कम करने की ओर भी ध्यान दे रही है, क्यों कि ये हमारे पर्यावरण, हमारी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ ही मानव व जीवों के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। गौरतलब है कि इसी क्रम में कीटनाशकों से संबंधित जोखिमों की गंभीरता 1958 में स्पष्ट हो गई, जब केरल में बड़े पैमाने पर मिथाइल पैराथियान विषाक्तता के कारण कीटनाशक अधिनियम, 1968 और कीटनाशक नियम, 1971 को लागू किया गया। इन कानूनों का उद्देश्य मानव और पशु स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कीटनाशकों का उपयोग आयात, निर्माण और बिक्री उपयोग को विनियमित करना था। आज सरकार लगातार अच्छी कृषि पद्धतियों को देश में लाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। पाठकों को जानकारी के लिए बताता चलूं कि अच्छी कृषि पद्धतियां (जीएपी) में क्रमशः आर्थिक व्यवहार्यता, पर्यावरणीय स्थिरता, सामाजिक स्वीकार्यता, और खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता जैसे प्रमुख स्तंभों को शामिल किया गया है। आज सरकार रसायन-मुक्त खेती के महत्व को लगातार मान्यता दे रही है और सरकार ने जैव कीटनाशकों तथा जैविक खेती के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल शुरू की हैं। इसी क्रम यहां यह उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली एक केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दे दी है, जो कि रसायन मुक्त खेती की ओर एक नायाब शुरूआत और कदम है। बहरहाल, किसान कवच के बारे में स्वयं केंद्रीय मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह जी के शब्दों में -‘किसान कवच सिर्फ एक उत्पाद नहीं है, बल्कि हमारे किसानों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का उनसे एक वादा है, क्योंकि वे देश के लिए अन्न उत्पादन में लगे हुए हैं।’ सभी जानते हैं कि आज खेती में किसानों को अच्छी पैदावार लेने के लिए, खेती-बाड़ी को कीटों और विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशकों, दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है जो बहुत बार किसानों के स्वास्थ्य पर हानिकारक, खतरनाक प्रभाव डालते हैं। दरअसल, हरियाणा में पानीपत के एक किसान प्रीतम सिंह ने भी कई अन्य लोगों की तरह, कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के बारे में चिंता जताई थी और कीटनाशक कंपनियों ने उनकी चिंताओं का समाधान करते हुए किसानों की सुरक्षा के लिए किसान कवच के रूप में एक सुरक्षात्मक सूट लॉन्च किया है। गौरतलब है कि हाल ही में 17 दिसंबर को ही केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह द्वारा भारत के पहले कीटनाशक रोधी बॉडीसूट किसान कवच का अनावरण किया गया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि यह अभूतपूर्व नवाचार किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सच तो यह है कि किसान कवच किसानों के स्वास्थ्य के लिए की गई अभिनव पहल है।उल्लेखनीय है कि सेपियो हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से, बैंगलोर में BRIC-inStem द्वारा विकसित किया गया यह बॉडीसूट कीटनाशक-प्रेरित विषाक्तता के खिलाफ आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है।इस सुरक्षा कवच में एक फुल-बॉडी सूट, मास्क, हेडशील्ड और दस्ताने शामिल हैं, जो किसानों को व्यापक सुरक्षा प्रदान करते हैं। हाल फिलहाल इसका मूल्य 4 हजार रुपए बताया जा रहा है और यह सूट धोने योग्य, पुन: प्रयोज्य है और 150 बार धोने के बाद भी लगभग दो साल तक चल सकता है। जानकारी मिलती है कि इस सूट में उन्नत फैब्रिक तकनीक है जो संपर्क में आने पर हानिकारक कीटनाशकों को निष्क्रिय कर देती है, जिससे किसानों के लिए अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित होती है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इसका कपड़ा एक ऐसे प्रोसेस से काम करता है, जहां एक न्यूक्लियोफाइल कपास के रेशों से सहसंयोजक रूप से जुड़ा होता है, जिससे यह न्यूक्लियोफिलिक-मध्यस्थ हाइड्रोलिसिस के माध्यम से कीटनाशकों को बेअसर करने की अनुमति देता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि यह भारतीय किसानों के लिए एक अभूतपूर्व तकनीक साबित होने जा रही है, क्यों कि अब तक किसानों के लिए कीटनाशकों से सुरक्षा के लिए कोई विशेष उपकरण, तकनीक देश में उपलब्ध नहीं थी। निश्चित ही यह किसानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। वर्तमान में इस कीटनाशक रोधी बॉडीसूट की कीमत चार हजार रुपए है लेकिन अच्छी बात यह है कि सरकार समय के साथ इसकी लागत को कम करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि इसे व्यापक पैमाने पर किसानों के लिए अधिक सुलभ बनाया जा सके और उन्हें इसकी उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। अंत में यही कहूंगा कि किसान कवच किसानों को कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचाने की दिशा में एक उन्नत तकनीक, महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। निश्चित ही यह कृषि के क्षेत्र में एक नवाचार और अभिनव पहल है। कवच किसानों के गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को निश्चित ही कम करेगा।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।