
विजय गर्ग
लंदन, पेट ब्रिटेन के इंजीनियरों ने ऐसे छोटे रोबोट बनाए हैं जो लीक हो रहे पानी के पाइपों की मरम्मत करेंगे। इन रोबोटों को पाइपबोट कहा जाता है। ये रोबोट यह पता लगाने में सक्षम हैं कि पाइप में कहां से लीक हो रहा है। रोबोट खुद इनकी मरम्मत भी कर सकते हैं। इससे लीक ठीक करने, महंगे खोदाई के काम से बचने और समय बचाने में मदद मिलेगी। इस समय रिसाव का पता लगाने के लिए खोदाई करनी पड़ती है। ज्यादा खर्चीला होने के साथ ही इसमें कई दिन तक जाते हैं। खोदाई की वजह से सड़कें भी बंद करनी पड़ती है, जिससे आस-पास के निवासी प्रभावित होते हैं। पानी की पाइपों के अलावा, ये रोबोट सीवर, गैस पाइप में काम करने में भी सक्षम हैं जो मनुष्यों के लिए दुर्गम हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, शेफील्ड विश्वविद्यालय के मैकेनिकल, एयरोस्पेस और सिविल इंजीनियरिंग स्कूल के शोधकर्ताओं ने बर्मिंघम, ब्रिस्टल और लीड्स विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर नए सेंसरों से युक्त छोटे रोबोट विकसित किए हैं जो पाइपों के माध्यम से गुजर कर स्वचालित रूप से गड़बड़ी का पता लग सकते हैं।
रोबोट 40 मिमी के हैं जो खिलौना कार के आकार के बराबर है। विश्वविद्यालय ने बयान में कहा कि रोबोट सेंसर और कैमरों से लैस हैं जो उन्हें स्वतंत्र रूप से नेविगेट करने और दोषों का पता लगाने में सक्षम बनाते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया, सड़क या फुटपाथ को बिना खोदे पाइपबोट को हाइड्रेट के माध्यम से पानी के पाइप में उतारा जा सकता है। छोटे गश्ती रोबोट अन्वेषण कर डाटा को ऊपर जमीन पर इंजीनियर को वापस भेजेंगे। पाइपबीट्स किसी भी कठिन रास्ते से गुजर सकते हैं। इसके अलावा, वे एक छोटी सी दूरी के भीतर एक-दूसरे से बात भी कर सकते हैं ताकि वे कार्यों को पूरा करने और समस्याओं को सुलझाने के लिए एक साथ काम कर सकें। शेफील्ड विश्वविद्यालय में कार्यक्रम निदेशक होरोशेनकोव ने कहा, पाइप निरीक्षण प्रौद्योगिकियों में सुधार हुआ है फिर भी पानी के पाइपों की निगरानी और लीक का पता लगाना अभी भी कठिन खासकर जब लीक छोटी हो। उन्होंने बताया कि पाइपबाट्स इंग्लैंड और वेल्स में प्रतिदिन होने वाली अनुमानित तीन अरब लीटर पानी की बर्बादी को कम कर सकते हैं और चार अरब पाउंड का नुकसान बचा सकते हैं।”
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब