- आसमान में दिखेगा वायुवीरों का शौर्य
योगेश कुमार गोयल
भारतीय वायुसेना 8 अक्तूबर को अपना 91वां स्थापना दिवस मना रही है और इस खास अवसर पर वायुसेना अपने शौर्य और शक्ति का अभूतपूर्व प्रदर्शन करेगी। वायुसेना के स्थापना दिवस पर इस बार प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर एक घंटे तक भव्य एयर शो का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें वायुसेना के लड़ाकू विमान आसमान में ऐसी कलाबाजियां करेंगे कि देखने वाले दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे। वायुसेना की परेड सुबह के समय और एयर शो दोपहर दो बजे से होगा। इस भव्य एयर शो के दौरान वायुसेना के 100 से भी ज्यादा लड़ाकू विमान आसमान में हैरतअंगेज करतब दिखाएंगे। भारतीय वायुसेना दिवस के अवसर पर हर साल एयर शो आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य न केवल पूरी दुनिया को भारत की वायुशक्ति से रूबरू कराना है बल्कि युवाओं को वायुसेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। भारतीय वायुसेना द्वारा एयर शो के लिए फुल ड्रैस रिहर्सल मध्य वायु कमान मुख्यालय बमरौली में 6 अक्तूबर को आयोजित किया गया था, जिसमें जांबाज वायुवीरों ने अपने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया। फुल ड्रैस रिहर्सल के दौरान 10 स्काई पैराजंपर 8000 फीट की ऊंचाई से ए-32 विमान से 150 किलोमीटर की रफ्तार से नीचे कूदे, उसके बाद ट्रेनी वायु योद्धाओं ने जिप्सी के पुर्जों को खोलकर केवल पांच मिनट में ही उसे जोड़ने का हैरतअंगेज कारनामा दिखाया। विंग कमांडर अशोक ने पैरा हैंग ग्लाइडर से 200 फीट की ऊंचाई से हैरतअंगेज प्रदर्शन किया और फिर पैरा मोटर्स से भी वायुसेना के जाबांजों ने करतब दिखाए। आसमान में वायुवीरों के इन प्रदर्शनों को देखकर हर कोई रोमांच से भर उठा।
अब 8 अक्तूबर के एयर शो में विंटेज विमान टाइगर मॉथ, हार्बट ट्रेनर, ट्रांसपोर्ट जहाज सी वन थर्टी, आईएल 78, चेतक हेलीकॉप्टर, रुद्र हेलीकॉप्टर इत्यादि के जरिये वायुवीर अपने करतब दिखाएंगे। स्वदेशी फाइटर प्लेन तेजस आसमान की ऊंचाईयों पर उड़ान भरेगा जबकि कारगिल की जंग में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाला मिराज 2000 भी हवा से बातें करेगा। एयर शो में इस बार वायुसेना के बेड़े में अपना समय पूरा कर चुके मिग-21 का आखिरी शो भी देखने को मिलेगा और इस प्रदर्शन के बाद प्रयागराज से मिग-21 की विदाई भी होगी। फ्रांस से खरीदे गए राफेल फाइटर प्लेन की ताकत भी लोगों को एयर शो में देखने को मिलेगी, साथ ही कोबरा और सू थर्टी जहाज भी एयर शो में दिखाई देंगे। एयर शो में तेजस जैसे कुल 120 विमान और हेलीकॉप्टर करतब दिखाते नजर आएंगे। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक आकाशगंगा की टीम के स्काई डाईवर्स विमानों से संगम तट पर उतरकर लोगों में रोमांच भरेंगे। भारतीय वायुसेना में इस समय राफेल, सुखोई 30, मिराज 2000, जगुआर, तेजस, आरपीए 50, मिग-27, मिग-29 के अलावा हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, चेतक, चीता, एमआई-8, एमआई-17, एमआई-26, एमआई-25 एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एचएएल रुद्र इत्यादि अत्याधुनिक विमान शामिल हैं, जो किसी भी विकट स्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं। भारतीय वायुसेना को न केवल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना होने का गौरव हासिल है बल्कि इसी वर्ष ग्लोबल एयर पावर रैंकिंग में भारतीय वायुसेना को तीसरा स्थान दिया गया है।
देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती रही है और वायुसेना के बेड़े में दमदार लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जिनके कारण हमारी वायुसेना अब पहले के मुकाबले कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। अब हम हवा में पहले के मुकाबले बहुत मजबूत हो चुके हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हैं। भारत के मुकाबले चीन के पास भले ही दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मजबूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं। भारत के मिराज-2000 और एसयू-30 जैसे जेट विमान ऑल-वेदर मल्टीरोल विमान हैं, जो किसी भी मौसम में और कैसी भी परिस्थितियों में उड़ान भर सकते हैं। मिराज-2000, मिग-29, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस के अलावा सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान करीब पौने चार घंटे तक हवा में रहने और तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम हैं। एक बार में 4200 से 9000 किलोमीटर की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं। चिनूक और अपाचे जैसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना की मजबूत ताकत बने हैं। इनके अलावा भारत के पास दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम 952 मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार वाली ब्रह्मोस मिसाइलों सहित कई अन्य घातक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता से दुश्मन देश थर्राते हैं।
भारतीय वायुसेना की जाबांजी के अनेक किस्से दुनियाभर में विख्यात हैं। हमारी वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है। भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 8 अक्तूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’। 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी ‘वेस्टलैंड’ द्वारा निर्मित ‘वापिती-2ए’ था। बहरहाल, भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से बदलाव किए हैं और काफी हद तक कमियों को दूर भी किया गया है।
(लेखक 33 वर्षों से पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार तथा सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)