- CTI ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
- 116 डाॅलर प्रति बैरल से 77 डाॅलर प्रति बैरल पहुंचा कच्चा तेल
- पिछले 6 महीनों में 58198 करोड़ रुपए के मुनाफे के बावजूद मनमानी कर रही तेल कंपनियां
- 6 अप्रैल 2022 के बाद से तेल कंपनियों ने नहीं घटाई दरें
रविवार दिल्ली नेटवर्क
पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल का भाव गिरने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल रहा है। अब चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पेट्रोल-डीजल की दरों में कमी लाने की गुहार लगाई है। CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि भारत ने दिसंबर में कच्चा तेल 77.14 डॉलर प्रति बैरल खरीदा है, जबकि सितंबर 2023 में यही क्रूड ऑयल 93.54 डॉलर प्रति बैरल खरीदा, जून 2022 में 116 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदा गया, कच्चे तेल में लगातार कमी आ रही है, फिर भी जनता को फायदा नहीं मिल रहा। बृजेश गोयल ने बताया कि पेट्रोल-डीजल के भाव में 22 मई 2022 को बदलाव हुआ था। उस समय केंद्र ने उत्पाद शुल्क में कमी की थी।
पेट्रोलियम कंपनियों ने 6 अप्रैल 2022 के बाद से कटौती नहीं की है। 116 डॉलर प्रति बैरल से कच्चा तेल 77.14 डॉलर तक पहुंच गया है। सरकार कहती है कि तेल कंपनियों को अधिकार है। मगर, केंद्र सरकार पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब तो बना सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 महीने में इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम को संयुक्त तौर पर 58,198 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। सरकार पर इन कंपनियों की माली हालत को लेकर कोई दबाव नहीं है।
सीटीआई ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि इन कंपनियों से पेट्रोल-डीजल के रेट घटाने का दबाव बनाए। पेट्रोल-डीजल पर कम से कम 10 रुपये लीटर कमी की जाए। डीजल का रेट कम होता है, तो महंगाई पर अंकुश लगता है। देश में माल ढुलाई सेक्टर डीजल पर निर्भर है। यदि ये सस्ती होगी, तो उपभोक्ताओं को लाभ होगा। जनता की जेब में पैसा जाएगा, तो मार्केट में दूसरी मदों में खर्चा होगा।