दीपक कुमार त्यागी
बांग्लादेश निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले परिवारों के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण को हटाने की मांग को लेकर के देश के छात्र लंबे समय से सड़कों पर उतर करके हिंसक आंदोलन करके जान गंवा रहे थे। लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने छात्रों की भावनाओं को अनदेखा करते हुए आरक्षण के इस बेहद ज्वलंत बन चुके मुद्दे को कभी हाइकोर्ट व कभी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आड़ में अटकाए व भटकाएं रखा हुआ था। जिसके चलते ही 5 अगस्त 2024 की दोपहर को आरक्षण का यह मुद्दा शेख हसीना की सरकार को आखिरकार ले ही डूबा। छात्रों के आरक्षण विरोध की जबरदस्त आग के चलते बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया है और शेख हसीना सरकार का दुखद अंत हो गया। बड़ी संख्या में हुड़दंगी छात्रों ने संसद, पीएम हाउस आदि तक पर भी अपना कब्जा कर लिया, गुस्से की आग में झुलस रहे छात्रों ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तक को भी नहीं बख्शा है। हालांकि बांग्लादेश देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त की दोपहर को ही अपने पद से इस्तीफा देकर के बंग्लादेश को सुरक्षित रूप से छोड़ दिया है। जबरदस्त हिंसा की आग में झुलसते बांग्लादेश की राजधानी ढाका से पीएम शेख हसीना फिलहाल सुरक्षित भारत की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में बने हिंडन एयरबेस पहुंच गयी हैं। वहीं बांग्लादेश के सेनाध्यक्ष ने हिंसा रोकने के लिए पुलिस को हटाकर के देश को पूरी तरह से सेना के हवाले कर दिया है और उन्होंने छात्रों को उनकी मांग मानने का आश्वासन देते हुए देश में जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन करने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना के कुशल नेतृत्व में भयावह कोविड़ काल में अपनी अर्थव्यवस्था का दुनिया में लोहा मनवाने वाला बांग्लादेश षड्यंत्रकारी लोगों की कृपा से छात्रों के हिसंक आंदोलन की तपन में जल रहा है। अब देश व दुनिया के विशेषज्ञ यह आंकलन करने में लगे हुए हैं कि आखिरकार की बांग्लादेश में यह स्थिति कैसे हो गयी। हालांकि आज की परिस्थिति में विचारणीय तथ्य यह है कि बांग्लादेश में आरक्षण लगाने के विरोध की आग में झुलसते हुए यह आलम कैसे हो गया कि वहां पर हिंसा में सैंकड़ों छात्र व आम लोगों असमय काल का ग्रास अचानक से ही बन गये। लेकिन अब तख्तापलट के बाद भी हिंसा क्यों और कैसे आज भी अनवरत रूप से जारी है, यह तथ्य विचारणीय है। तख्तापलट के बाद भी चल रहे दंगा – फसाद में देश के आम लोगों की मौत होना अब भी जारी है। पूरे देश में अस्थिरता का माहौल होने के चलते जान-माल की भारी क्षति होना निरंतर जारी है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरे देश को सेना के हवाले कर दिया गया है, लेकिन फिर भी स्थिति नियंत्रण से बाहर है। बांग्लादेश में बने बेहद तनावपूर्ण हालात के चलते भारत सरकार ने बांग्लादेश से लगती हुई अपनी पूरी सीमा पर हाईअलर्ट करते हुए एक-एक पल की निगरानी के लिए जांबाज सुरक्षाकर्मियों को आदेश दे दिया है। सीमावर्ती क्षेत्र में स्थिति पर पैनी नज़र बनाए रखने के लिए खुद बीएसएफ के डीजी सीमाओं का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ-साथ एनएसए अजीत डोभाल पूरी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं।
लेकिन भारत की सीमाओं की सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाएं रखने के लिए अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि भारत आज ऐसे पड़ोसी देशों की सीमाओं से घिर गया है, जहां पर विदेशी देशों के षड्यंत्रों से जबरदस्त ढंग से हिंसा व अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। भारत के पड़ोसी बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मालदीव आदि में माहौल बेहद ही अस्थिरता पूर्ण बना हुआ है। इन सभी देशों में भारत के कट्टर दुश्मन चीन की मज़बूत पकड़ तेजी से बनती जा रही है, जो स्थिति भारत के लिए चिंताजनक है। अस्थिर पड़ोसी देशों के दोर में भारत को अब बेहद ही सावधान रहना होगा, अपनी सीमाओं पर होने वाली हर छोटी-बड़ी हलचल पर पैनी नज़र बनाए रखना होगा। सीमा से लगते देशों के बाहरी व अंदरुनी मामलों पर भी हर पल तेज नज़र बनाए रखनी होगी। विशेषकर बांग्लादेश से लगने वाले राज्यों में अब भारत सरकार को बहुत ही ज्यादा ध्यान देना होगा। सरकार को भारत के अंदर भी धार्मिक व जातिगत उन्माद को बनने से रोकना होगा, तब ही भविष्य में भारत भी पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है।