
अजय कुमार
महाराष्ट्र के संभाजीनगर जिले में स्थित क्रूर मुगल शासक औरंगजेब के मकबरे को लेकर इलाके में विवाद गहराता जा रहा है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) मकबरे को हटाने की मांग को लेकर आक्रामक रुख अपनाये हुए है। इन संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे मकबरा हटाने के लिये कारसेवा करेंगे। इन चेतावनियों के बीच पुलिस ने शहर में अलर्ट जारी कर दिया है और मकबरे के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
बता दें औरंगाबाद के खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब का यह मकबरा दिखने में साधारण और सामान्य सा है और एक सफेद चादर से ढका हुआ है। इसके ऊपर एक सुंदर सा पौधा उगा दिखाई देता है। यह कब्र बहुत साधारण तरीके से बनाई गई है, परंतु इसके पीछे एक बड़ा ऐतिहासिक महत्व छिपा हुआ है। औरंगजेब, जो दिल्ली और आगरा पर शासन करने वाले मुग़ल सम्राट था, उनकी मृत्यु 1707 में हुई थी और उनका पार्थिव शरीर औरंगाबाद के खुल्दाबाद में दफनाया गया। यह प्रश्न अब भी लोगों के मन में उठता है कि मुग़ल सम्राट होने के बावजूद औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के इस क्षेत्र में क्यों स्थित है।
हिंदू संगठनों का यह मानना है कि औरंगजेब का मकबरा एक विभाजनकारी प्रतीक है और इसे हटाना चाहिए, क्योंकि यह सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। ये संगठन इस मकबरे को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और उनकी मांग है कि इसे पूरी तरह से नष्ट किया जाए। गत दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज चौक, कोल्हापुर में हिंदू संगठनों ने एक विशाल प्रदर्शन आयोजित किया, जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे थे। इस प्रदर्शन में तीन नाबालिग युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिन्होंने वाट्सएप पर इस मुद्दे को लेकर आपत्तिजनक स्टेटस डाला था। इसके परिणामस्वरूप पत्थरबाजी, दुकानों में तोड़फोड़, और पुलिस पर लाठीचार्ज जैसी घटनाएँ घटीं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए भारी बल तैनात किया है और शांति बनाए रखने के लिए गश्त की जा रही है।
बहरहाल, महाराष्ट्र की बीजेपी गठबंधन की सरकार के लिए यह मामला संवेदनशील बन चुका है। कुछ नेताओं का कहना है कि औरंगजेब का मकबरा महाराष्ट्र की धरती पर नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह एक आक्रमणकारी सम्राट था। भाजपा विधायक राम कदम ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने औरंगजेब के महिमामंडन के लिए लोगों को खुली छूट दी थी, और यह सब उनके कार्यकाल में शुरू हुआ था। इन आरोपों के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है और कई नेताओं ने इस मकबरे को समाप्त करने की सख्त आवश्यकता जताई है।
बात इतिहासकारों की कि जाये तो उनके अनुसार, औरंगजेब को औरंगाबाद में दफनाया गया था क्योंकि इस क्षेत्र से उन्हें एक गहरी आध्यात्मिक और धार्मिक जुड़ाव था। बताया जाता है कि उन्होंने यहां जैनुल्लाह शिराजी के बारे में जानकारी हासिल की थी और यह स्थान उनके लिए बहुत मायने रखता था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद उनके शव को इस स्थान पर दफनाने का निर्णय लिया गया। यह मकबरा आज भी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, लेकिन स्थानीय और राजनीतिक हलकों में यह लगातार विवाद का कारण बनता है।
पुलिस प्रशासन ने इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर सुरक्षा कड़े कर दिए हैं और अब खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब के मकबरे में सीधे प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। पुलिस का मानना है कि यदि भीड़ ने मकबरे तक पहुँचने की कोशिश की, तो स्थिति बिगड़ सकती है। वर्तमान में, यह मकबरा संभाजीनगर शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और प्रशासन ने इस क्षेत्र को पूरी तरह से सुरक्षा घेरे में ले लिया है। अगले आदेश तक किसी को भी सीधे तौर पर मकबरे में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
यह विवाद न केवल एक ऐतिहासिक और धार्मिक प्रतीक के रूप में उभरा है, बल्कि यह राजनीति और समाज में सांप्रदायिक तनाव का भी कारण बन चुका है। औरंगजेब के शासनकाल को लेकर विभिन्न विचारधाराएँ हैं। जबकि कुछ लोग उन्हें एक कठोर और आक्रामक शासक के रूप में देखते हैं, वहीं कुछ उन्हें एक धार्मिक शासक के रूप में भी याद करते हैं, जिन्होंने इस्लाम के नियमों का पालन करने का प्रयास किया। इस विवाद ने औरंगाबाद और उसके आसपास के इलाकों में माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया है, और पुलिस बल की तैनाती यह संकेत देती है कि स्थिति और भी बिगड़ सकती है।