भारत आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर बन रहा है

India is becoming a global leader in disaster management

पर्यावरण संरक्षण के बिना शत-प्रतिशत आपदा से बचना असंभव

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

भारत आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए एक ग्लोबल लीडर बन रहा है । नरेन्द्र मोदी की भैरव सरकार ने आपदाओं में न्यूनतम मौतों के लक्ष्य पर चलते हुए पिछले 10 वर्षों में जीरो कैजुअलिटी के लक्ष्य को प्राप्त कर पूरे विश्व को अचंभित किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नई दिल्ली में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों और आपदा मोचन बलों के वार्षिक सम्मेलन में कहा कि जब भी भारत के डिजास्टर रिस्पांस का इतिहास लिखा जाएगा, तो नरेन्द्र मोदी सरकार के 10 वर्षों को परिवर्तनकारी दशक के रूप में दर्ज किए जायेगा। उन्होंने दावा किया कि 10 वर्षों में मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन में क्षमता, दक्षता, गति और सटीकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इस अवसर पर गृह राज्यमंत्री श्नित्यानंद राय और केन्द्रीय गृह सचिव गोविन्द मोहन सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

शाह ने इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी कि पर्यावरण संरक्षण के बिना शत-प्रतिशत आपदा से बचना असंभव है, अगर हम पर्यावरण की चिंता नहीं करेंगे तो आपदाओं को रोक नहीं पाएंगे। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण आज पूरा विश्व आपदाओं से जूझ रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन के बाद हर राहत आयुक्त 90 दिन में अपने राज्य में हर जिले की ज़िला आपदा प्रबंधन योजना बनाएं क्योंकि जब तक ज़िले की आपदा प्रबंधन योजना नहीं होगी तब तक हम आपदा के सामने तेज़ी से नहीं लड़ सकते। उन्होंने कहा कि आकाशीय बिजली की कार्ययोजना को भी जल्द बनाने की ज़रूरत है और कई राज्यों द्वारा इंसीडेंट रिस्पॉंस सिस्टम लागू करना भी अभी बाकी है।

अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में आपदा प्रबंधन को लेकर हमारी अप्रोच में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। पहले राहत केन्द्रित अप्रोच आधारित होती थी, लेकिन आज हमारा दृष्टिकोण केन्द्रित राहत से बदलकर समग्र और एकीकृत हुआ है। आने वाले समय की आपदाओं की संभावनाओं को भांपकर एडवांस में ही उसके लिए रिसर्च करना, दुनियाभर में इस क्षेत्र में मौजूद अलग-अलग विचारों को संकलित करना और देश की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इन्हें देश के अनुकूल बनाकर आपदा प्रबंधन को लागू करना बहुत महत्वपूर्ण है।

शाह ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ ) की संरचना में राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) की भी बहुत बड़ी भूमिका रही है। एसडीआरएफ के जवानों को एनडीआरएफ की तर्ज पर प्रशिक्षित करने के लिए भी एनडीआरएफ ने बहुत बड़ा काम किया है। हमने न सिर्फ क्षमता को बढ़ाया बल्कि उसे संवर्धित कर तहसील तक पहुंचाने का काम भी किया है। हमने गति का भी ध्यान रखा है क्योंकि समय पर आपदा से लोगों को बचाना सबसे महत्वपूर्ण बात होती है। देश में आधुनिक तकनीक और समर्पित स्वभाव वाले अपने आपदा मोचन बल के कारण कार्य दक्षता में भी वृद्धि हुई है और सटीकता के साथ पूर्वानुमान और अग्रिम सूचना पहुंचाकर समाज को जागृत कर उसे आपदा प्रबंधन में राहत और बचाव के काम में जोड़ने में सफलता प्राप्त की गई है।भारत ने पूर्व चेतावनी प्रणाली के विकास में बहुत कुछ हासिल किया है औऱ आपदा जोखिम के न्यूनीकरण में भी बड़ी सफलता प्राप्त की है। 1999 में ओडिशा में सुपर साइक्लोन आया था जिसमें 10 हज़ार लोगों की मृत्यु हुई थी,लेकिन 2019 में ओडिशा में आए चक्रवात फानी में सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी और उसके बाद गुजरात में आए बिपरजॉय तूफान में ज़ीरो कैज़ुअल्टी के साथ एक पशु तक की मृत्यु नहीं हुई। यह बताता है कि अगर किसी एक प्रयास के तहत स्थानीय इकाइयां,जनता, राज्य, केन्द्र, सभी विभाग और वैज्ञानिक और सुरक्षाकर्मी मिलकर काम करते हैं तो कितनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन के लिए हमने ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सफलतापूर्वक काम किया है। साथ ही एनडीआरएफ का सशक्तीकरण किया गया है और 2006 में इसकी 8 बटालियन से बढ़ाकर आज इस बल की 16 बटालियन गठित की गई हैं।

अमित शाह ने कहा कि 2004 से 2014 तक एसडीआरएफ का बजट 38 हज़ार करोड़ रूपए था जो 2014 से 2024 तक बढ़कर 1 लाख 44 हज़ार करोड़ रू हुआ। इसी प्रकार, एन डी आर एफ का बजट 2004 से 2014 तक 28 हज़ार करोड़ रू ही था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाकर आज 84 हज़ार करोड़ रूपए तक पहुंचा दिया है। कुल मिलाकर ये बजट 66 हज़ार करोड़ रू से लगभग तीन गुना बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रूपए किया गया है। इस वित्तीय सशक्तिकरण ने हमारे सारे प्रयासों को गांवों तक पहुंचाने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। 15वें वित्त आयोग में 14वें आयोग के अनुपात में हमने बजट में 4 गुना वृद्धि की है। राष्ट्रीय स्तर पर भी 68 हज़ार करोड़ रूपए से पहली बार राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन कोष की रचना की गई है।अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए भी भारत सरकार ने अच्छा बजट दिया है। अंतराज्यीय मॉक ड्रिल को हम वार्षिक कार्यक्रम बनाना चाहते हैं और ये राज्यों की सहायता के बिना संभव नहीं है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लेह-लद्दाख में रात्रिकालीन मॉक ड्रिल की भी शुरूआत की है। स्टार्ट-अप इंडिया को भी आपदा राहत तकनीक के विकास के साथ जोड़ना चाहते हैं। एक लाख कम्युनिटी वॉलंटियर्स को तैयार करने का काम भी किया गया है औऱ इसमें 20 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसके साथ ही, 470 करोड़ की लागत से हमने युवा आपदा मित्र योजना भी बनाई गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही गुजरात के अहमदाबाद में हुए दर्दनाक विमान हादसे के दौरान भी एनडीआरएफ और एनडीआरएफ बलों ने हादसे के हद में आए मेडिकल कॉलेज और हॉस्टल के घायलों के लिए राहत और बचाव कार्यों में सक्रियता दिखा कर अपनी उपयोगिता और प्रासंगिकता को साबित किया है।