तनवीर जाफ़री
लगभग दस वर्ष पूर्व मेरी नज़र मेरे घर की पहली मंज़िल के वरांडे के ऊपरी हिस्से में एक कोने में पड़ी। उस स्थान पर गीली मिट्टी के कुछ छींटे पड़े नज़र आये। शुरू में इस प्रकार लगभग दस फ़िट की ऊंचाई पर मिटटी कीचड़ के छींटे देखना अत्यंत रहस्यमयी लगा। धीरे धीरे इस कीचड़ मिट्टी ने एक आकार लेना शुरू कर दिया। अब यह समझ में आ ही गया कि यह कोई चमत्कार या करिश्मा अथवा रहस्यमयी घटना नहीं बल्कि किसी पशु पक्षी अथवा कीड़े मकोड़े द्वारा किया जाने वाला प्रयास है। कुछ ही दिनों में दीवार पर चिपका हुआ एक शंकुआकर घोंसला तैयार हो गया। अभी तक घोंसले के निर्माता के दर्शन नहीं हो सके थे। दिन में न जाने किस समय इस घोंसले के ‘निर्माता इंजीनियर्स’ आते और रोज़ अपना आशियाना कुछ और आगे निर्मित कर कहीं और चले जाते। अचानक एक रात मेरा ऊपरी मंज़िल पर जाना हुआ। तो देखा कि दो पक्षी दीवार से चिपककर बनाये गये मिट्टी के बने अपने उसी घोंसले में बैठे हैं। अध्य्यन करने से पता चला कि यह अबाबील नामक पक्षी है जो गीली मिट्टी और भूसे में अपनी लार के गारे से अपना घोंसला बनाती है। खड़ी,सीधी,पक्की व पेंट की हुई दीवार पर लगभग दो किलो मिट्टी का मलवा शंकुआकर चिपका देना और वह भी दस वर्षों से अधिक समय तक चिपके रहना और अपने इसी स्थायी मकान में रहते हुये अब तक अपने ख़ानदान में निरंतर वृद्धि करते रहना निश्चित तौर पर आश्चर्य जनक है। सुरक्षा की दृष्टि से भी यह घोंसला बिल्ली,इंसान,कौव्वा,उल्लू,सांप आदि सभी की पहुँच से दूर है। चमगादड़ के हमले से बचने के लिये अबाबील अपने घोंसले में अजवाईन की पत्तियां लाकर रखती हैं। इसकी सुगंध से चमगादड़ नहीं आती।
ख़ैर,धीरे धीरे इन पक्षियों का दिन में भी घोंसले में आवागमन शुरू हुआ। काली सफ़ेद धारियों वाले और मूछों की तरह लंबी घुमाव दार पूंछ वाले इस पक्षी के विषय में जब शोध किया तो पता चला कि यही रहस्यमयी अबाबील पक्षी है जोकि अपना स्थायी घोंसला बनाता है । दस वर्षों से इनका यह घोंसला उसी जगह क़ायम है। दो वर्ष पूर्व एक बार उस घोंसले की ऊपरी हिस्से की मिट्टी किसी कारण टूट कर गिर गयी। मात्र दो दिनों में इन्होंने उसकी मुरम्मत कर उसे पहले से भी मज़बूत कर लिया। पिछले दिनों इन्हीं की शारीरिक संरचना से मिलते जुलते परन्तु भूरे व काले रंग की धारियों वाले पक्षियों का जोड़ा इनके घोंसले में आता जाता दिखाई दिया। वह भी इन्हीं के परिवार के चाची-मौसी हैं। साथ ही पहले से रह रहे सफ़ेद काली धारी वाली अबाबील भी सक्रिय थी। कुछ समय बाद दोनों ने इसी घोंसले में अंडे दिये। अब उसमें दोनों परिवारों के बच्चे एक साथ पल रहे हैं। उन्होंने उड़ना भी शुरू कर दिया है। इनका चहचहाना व चौकड़ी भरने वाली उड़ान अत्यंत मनमोहक लगती है। इसे दुनिया में सबसे अधिक और सबसे तेज़ उड़ने वाले पक्षियों में एक माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इनकी सबसे लंबी निरंतर उड़ान अवधि का पिछला रिकॉर्ड 6 महीने का था।
अबाबील का ज़िक्र क़ुरआन शरीफ़ में भी मिलता है। कहा जाता है कि काबा पर हमला करने आयी सेना पर करोड़ों अबाबील के झुंड ने पत्थरों की बारिश कर उन्हें मार डाला था। अबाबील के बारे में यह भी कथन प्रचलित है कि जिस घर में इनका घोंसला रहता है वहाँ हराम व भ्रष्टाचार की कमाई प्रवेश नहीं करती। अबाबील का घोंसला सिंगापुर तथा हांगकांग के बाज़ारों में लगभग डेढ़ लाख रुपए प्रति किलोग्राम है। जबकि अमेरिका में इसकी क़ीमत चार लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक है। अबाबील के घोंसले का सूप बनाया जाता है जिसे चीनी लोग सबसे महंगा खाद्य पेय मानते हैं। प्रत्येक वर्ष इसका व्यापार अरबों डॉलर में होता है। महंगे चीनी रेस्तरां तथा अमीर लोगों के घरों में भोजन के साथ विशेष अवसरों पर अबाबील के घोंसले से बने सूप का सेवन किया जाता है। चीन, थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ अन्य देशों में इन घोंसलों का इतने व्यापक पैमाने पर दोहन किया जाता है कि अब इस पक्षी का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ गया है।
बहरहाल हम स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं कि यह विलक्षण प्रतिभा का पक्षी लंबे समय से हमारा मेहमान है। वरांडे में रोज़ाना इनकी बीट फैली होने के बावजूद हमारे लिये इनकी उपस्थिति इनका दिनभर आना जाना अत्यंत सुकून बख़्शता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि हम रहें या न रहें परन्तु इनका यह बेशक़ीमती घोंसला यूँही सदा आबाद रहे और इनकी संख्या निरंतर बढ़ती रहे।