जारी रहे संयुक्त राष्ट्र में भारत की कानून के राज की बात

सीता राम शर्मा ” चेतन “

बात पारिवारिक-सामाजिक व्यवस्था की हो या राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की, यह सुव्यवस्था अर्थात सक्षम, प्रभावी, शक्तिशाली और सफल व्यवस्था में तभी बदल सकती है, जब वहां कानून का राज हो । कानून का राज स्थापित करने के लिए सबसे पहले एक तरफ जहां वर्तमान समय की स्थिति-परिस्थिति के साथ भविष्य की संभावित स्थिति-परिस्थिति और चुनौतियों के अनुसार आवश्यक संवैधानिक नियम-कानूनों का होना जरुरी होता है तो दूसरी तरफ उसे पूरी सफलता से अत्यंत प्रभावशाली तरीके से लागू करने की व्यवस्था बनाने की भी जरूरत पड़ती है । भारत में मोदी सरकार ने पिछले आठ वर्ष के अपने शासनकाल में कानून का राज स्थापित करने के लिए इसी समझ, दूरदर्शिता और सक्रियता के साथ काम करने का प्रयास किया है और अच्छी बात यह है कि अब भारत वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए वैश्विक संगठन संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी विश्व में कानून का राज लागू करने की बात को बहुत स्पष्टता से कह रहा है । संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रूचिरा कंबोज ने विश्व में कानून के राज पर 12 जनवरी को जापान की अध्यक्षता में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में हिस्सा लेते हुए बहुत स्पष्टता से कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून के शासन को लागू कर आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद से पूरी आक्रामकता के साथ सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की जानी चाहिए । जो देश संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सीमा पार आतंकवाद की नीति का इस्तेमाल करते हैं उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए । आतंकवाद को लेकर सभी सदस्य देशों से कंबोज ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद के साझा खतरे के खिलाफ हमें एकजुट होने की जरूरत है ।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून का राज सभी क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और बहूपक्ष वादी व्यवस्था के कारगर संचालन की आधारशिला है । उन्होंने इसे संपूर्ण यूएन प्रणाली की बुनियाद के रूप में परिभाषित करते हुए सदस्य देशों से आग्रह किया कि कानून के राज को बढ़ावा देकर संयुक्त राष्ट्र को मजबूती प्रदान की जानी चाहिए । महासचिव ने कहा कि एक बेहद छोटे गांव से लेकर वैश्विक मंच तक केवल कानून का राज ही शांति, स्थिरता और ताकत व संसाधनों के लिए बर्बर संघर्ष के बीच खड़ा है ।

अब सवाल यह उठता है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव यदि सचमुच विश्व में शांति के लिए जरुरी कानून के राज को कमजोर पड़ते देख और समझ रहे हैं तो फिर इस दिशा में सुधार के लिए वे त्वरित कौन से प्रयास कर रहे हैं ? या करना चाहते हैं ? वो सुधार कैसे होगें ? कौन या कौन-कौन उसकी अगुवाई करेगा या करने के लिए चिंतित और जिम्मेवार है ? गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास के लिए एक जिम्मेवार संगठन माना अवश्य जाता है, पर अभी तक का उसका इतिहास यही है कि दो या कुछ देशों के बीच टकराव और युद्ध की स्थिति में वह पूरी तरह नाकाम और नाकारा सिद्ध हुआ है और उसका वह नकारापन अभी भी जारी है । रुस युक्रेन के बीच जारी युद्ध, चीन का निरंकुश साम्राज्यवाद और बेखौफ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के तमाम ताजा घटनाक्रम इसके ताजा उदाहरण हैं । ऐसे में स्वाभाविक रुप से सवाल यह उठता है कि क्या आज भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जा रही ऐसी चिंता और चर्चा पूरी ईमानदारी और जिम्मेवारी के उसके अहसास का नतीजा है या फिर महज औपचारिकता, दिखावा या किसी विशेष कारण और विशिष्ट देशों के द्वारा प्रायोजित षड्यंत्र का नतीजा ? यह सर्वमान्य सत्य है कि एक व्यक्ति, समाज और देश से लेकर पूरे विश्व की शांति, सुरक्षा और विकास के लिए जो सबसे पहली और जरुरी आवश्यकता है, वह है उसमें कानून के राज का पूरी तरह से लागू होना । भारत के लिए यह अच्छी बात है कि संयुक्त राष्ट्र आज चाहे जिस मंशा, मजबुरी या षड्यंत्र के तहत कानून के राज पर गंभीर चिंता और चर्चा कर रहा है, उसका महत्व उसके लिए बहुत ज्यादा है । भारत के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शांति और सुरक्षित भविष्य के लिए कानून के राज के महत्व पर औपचारिकता निभाते हुए या फिर प्रायोजित रुप से तब गंभीरतापूर्वक चिंतन और चर्चा कर रहा है जब भारत जी 20 जैसे प्रमुख वैश्विक संगठन की अध्यक्षता कर रहा है ! भारत को चाहिए कि वह संयुक्त राष्ट्र की इस चिंता और चर्चा को माध्यम बना अपनी अध्यक्षता के इस वर्ष में जी 20 के मंच से भी विश्व और विश्व के हर देश की भलाई और उसके सुरक्षित तथा सर्वांगीण विकास के लिए कानून का राज लागू करने की नीति पर प्रमुखता के साथ वैश्विक चिंतन और चर्चा करते हुए उसका हर संभव व्यापक प्रचार-प्रसार करे । गौरतलब है कि यदि विश्व समुदाय के सामने भारत कानून के राज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर वैश्विक समर्थन और स्वीकार्यता का माहौल बनाता है कि कोई भी देश हो या दुनिया, उसे अपनी शांति, सुरक्षा और विकास के लिए बिना किसी रोकटोक और बाधा के गलत और आपराधिक लोगों के खिलाफ कठोर नियम कानून बनाने के साथ कठोर कार्रवाई करने की भी जरूरत पड़ेगी ही, तो स्वाभाविक रूप से भविष्य में इसका व्यापक लाभ भारत को भी मिलेगा । सच्चे मायने में किसी भी देश और दुनिया को वैश्विक मानवता तथा अपनी आंतरिक और बाह्य व्यवस्था के लिए कानून का राज स्थापित करने का पूरा अधिकार है और होना ही चाहिए । कानून के राज के सिद्धांत और स्थिति को सर्वमान्य वैश्विक स्वीकार्यता दिलाना हर दृष्टिकोण से भारत और पूरे विश्व के हित में है । सही मायने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का कानून के राज पर चिंतन और चर्चा करना भारत के लिए एक सही समय पर सामने आया बड़ा सुअवसर है, जिसका भारत सरकार को पूरा लाभ उठाना चाहिए । सार यह कि भारत के लिए बहुत जरुरी है कि वह कानून के राज पर प्रारंभ हुए इस वैश्विक चिंतन और चर्चा को हर मंच से पूरी ताकत और चतुराई के साथ जारी रखे – – –