अशोक मधुप
इस्राइल पर हमास ने हमला किया।इस हमले में 20 मिनट में पांच हजार के आसपास राकेट दागे गए।इतना ही नहीं यह इस्राइल का सुरक्षा घेरा और दीवार तोड़कर अपनी सुरक्षा और मारक क्षमता के लिए विख्यात इस्राइल में घुंस गए।उन्होंने इस्राइल में भारी तबाही मचाई। इस हमले में इस्राइल के एक हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए। तीन हजार के आसपास घायल हुए हैं। सूचनाएं हैं कि 150 के आसपास महिला और बच्चों सहित इस्राइल के नागरिकों का अपहरण कर लिया।हमास के आंतकियों ने महिलाओं का निवस्त्र कर उनके सम्मान को तार− तार करने कोई कसर नही छोड़ी।
इस्राइल की सुरक्षा व्यवस्था, सेना और गुप्तचर व्यवस्था पूरी दूनिया में विख्यात हैं।इस सबके बावजूद वहां इतना बड़ा नुकसान हुआ। ईश्वर न करे ,काश कभी ऐसा हमला हम पर ,भारत पर हो तो क्या हम इसके लिए तैयार हैं?हमें इस पर सोचना होगा। साथ ही आने वाली प्रत्येक परिस्थिति के मुकाबले के लिए हमें अपने को अभी से तैयार करना होगा।
इस्राइल के पास दुनिया का आधुनिकतम सुरक्षा, प्रतिरक्षा और विश्व विख्यात सूचनातंत्र है।फिर भी वह इस हमले के सामने विफल होकर रह गया। 20 मिनट में पांच हजार मिजाइल छोड़ने, और टैंको से दीवार तोड़कर इस्राइल की सीमा में जल, थल और ग्लाइडर से एक साथ घुंसने की तैयारी एक दिन में नही हुई होगी।लंबा समय लगा होगा, किंतु इस्राइल के सुरक्षा और गुप्तचर तंत्र को इसकी भनक तक नही लगी। इस्राइल ही नही उसके मित्र देश अमेरिका तक को भी इस हमले की भनक तक नही हुई।ऐसा ही अमेरिका पर हमले के समय हुआ था।
रोज दुनिया बदल रही है।युद्ध बदल रहा है।युद्ध का मैदान बदल रहा है। अल-कायदा के आतंकियों ने 11 सितंबर 2001 की सुबह चार अमेरिकी विमानों को हाईजैक कर लिया था। इन सभी का मकसद विमानों को अलग-अलग ऐतिहासिक स्थलों पर क्रैश कराने का था। सबसे पहला क्रैश अमेरिकन एयरलाइन फ्लाइट 11 का हुआ था, जो कि न्यूयॉर्क शहर में सुबह 8.46 बजे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर से टकराई थी। इसके 17 मिनट बाद ही यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 बिल्डिंग के दक्षिणी टावर से टकराई। हाई अलर्ट जारी होने के बावजूद सुबह 9.37 बजे अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 77 वॉशिंगटन स्थित अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से टकराई। चौथे हाईजैक हुए विमान यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93 का लक्ष्य व्हाइट हाउस या यूएस कैपिटल बिल्डिंग को निशाना बनाने का था, लेकिन यात्रियों से भिड़ंत की वजह से आतंकियों के हाथ से विमान का नियंत्रण छूट गया और यह पेन्सिलवेनिया के शैंक्सविल में मैदानी इलाके में गिर गया। अमेरिका में हुए इस हमले तक को सोच भी नही सकता था कि यात्री विमानों को शस्त्र के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।रूस यूक्रेन युद्ध लगभग 20 माह से जारी है।रूस के पास परमाणु हथियार हैं, किंतु यह हथियार दिखाने और अपनी शक्ति बताने के लिए है। दुनिया की बड़ी शक्ति होते भी 20 माह से युद्धरत रूस कुछ ज्यादा नही कर पा रहा।यूक्रेन के द्रोण रूस की मिजाइल पर भारी पड़ रहे हैं।
भारत में मुंबई पर आतंकी हमला हमने देखा हैं।दिल्ली में संसद पर हुए हमले के घाव हम भूले नहीं हैं। आंतकियों के खुराफाती दिमाग किस तरह घटना का अंजाम दें, कुछ कहा नही जा सकता।इन सब के लिए सिर्फ मजबूत रक्षा तंत्र बनाने की जरूरत है। अभी खालिस्तानी गुरपतवंत पन्नू ने धमकी दी है कि खालिस्तान के लिए भारत पर हमास जैसे हमले किये जाएंगे। पाकिस्तान के कुछ कट्टर मुल्ला धमकी दे रहे हैं कि वह इस्राइल से लड़ने के लिए हमास को परमाणु बम देंगे।
दुनिया के देश आधुनिक युद्धास्त्र बनाने में लगे हैं।परमाणु बम, हाइड्रोजन बम के आगे के विनाशक बम पर काम चल रहा है। सुपर सोनिक मिजाइल बन रही हैं, किंतु लगता है कि आधुनिक युद्ध इन सबसे अलग तरह के अस्त्र− शस्त्रों के लड़ा जाएगा। अलग तरह के युद्ध होंगे। लगता है कि आने वाले युद्ध सीमा पर नहीं, शहरों में लड़े जाएगे।घरों में लड़े जाएगे। गली –मुहल्लों में लड़े जाएंगे ।अभी से हमें इसके लिए सोचना और तैयार होना होगा।
30अक्तूबर 2021 को पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित ‘पुणे डॉयलॉग’ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि भविष्य में खतरनाक जैविक हथियार दुनिया के लिए गंभीर परिणाम साबित हो सकता है। दुनिया के लिए किसी भी जानलेवा वायरस को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना गंभीर बात है। एनएसए डोभाल ने अपने बयान में कोरोना वायरस का उदाहरण देते हुए जैविक हथियारों का मुद्दा उठाया। ‘आपदा एवं महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों ’ पर बोलते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि आपदा और महामारी का खतरा किसी सीमा के अंदर तक सीमित नहीं रहता और उससे अकेले नहीं निपटा जा सकता । इससे होने वाले नुकसान को घटाने की जरूरत है।
अभी तक पूरी दुनिया इस खतरे से जूझ रही है कि परमाणु बम किसी आंतकवादी संगठन के हाथ न लग जाए। उनके हाथ में जाने से इसे किस तरह रोका जाए? उधर आतंकवादी नए तरह के हथियार प्रयोग कर रहे हैं। शिक्षा बढ़ी है तो सबका सोच बढ़ा है। दुनिया के सुरक्षा संगठन समाज का सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं।आंतकवादी घटनाएं कैसे रोकी जांए, ये योजनाएं बना रहे हैं। आंतकवादी इनमें से निकलने के रास्ते खोज रहे हैं। वे नए−नए हथियार बना रहे हैं। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सैंटर पर हमले से पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि विमान को भी घातक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसमें विमानों को बम की तरह इस्तेमाल किया गया।माचिस की तिल्ली आग जलाने के लिए काम आती है । बिजनौर में कुछ आंतकवादी इन माचिस की तिल्लियों का मसाला उतार कर उसे गैस के सिलेंडर में भर कर बम बनाते विस्फोट हो जाने से घायल हुए।
हम विज्ञान और कम्यूटर की ओर गए। हमारे युद्धास्त्र कम्यूटरीकृत हो रहे हैं।उधर शत्रु इस सिस्टम को हैक करने के उपाए खोज रहा है। लैसर बम बन रहे हैं। हो सकता है कि हैकर शस्त्रों के सिस्टम हैक करके उनका प्रयोग मानवता के विनाश के लिए कर बैठे। बनाने वालों के निर्देश छोड़ से बने बनाए शस्त्र हैकर के इशारे पर चलने लगें।
रोगों के निदान के लिए वैज्ञानिक रोगों के वायरस पर खोज रहे हैं। उनके टीके बना रहे हैं। दवा विकसित कर रहे हैं,तो कुछ वैज्ञानिक इस वायरस को शस्त्र के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। साल 1763 में ब्रिटिश सेना ने अमेरिका पर चेचक के वायरस का इस्तेमाल हथियार की तरह किया । 1940 में जापान की वायुसेना ने चीन के एक क्षेत्र में बम के जरिये प्लेग फैलाया था। 1942 में जापान के 10 हजार सैनिक अपने ही जैविक हथियारों का शिकार हो गए थे। हाल ही के दिनों में आतंकी गतिविधियों के लिए जैविक हथियार के इस्तेमाल की बात सामने आई है।इससे हमें सचेत रहना होगा। सीमाओं की सुरक्षा के साथ इन जैविक शास्त्रों से निपटने के उपाए खोजने होंगे।
इस्राइल दूसरे विश्व युद्ध से संघर्ष झेल रहा है। इसने प्रत्येक परिस्थिति के लिए अपने को तैयार किया हुआ है।ढाला हुआ है।इस तरह के हमलों के लिए उसने प्रत्येक घर में बंकर बनाए हुए हैं।वहां का लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंव महिला युद्ध के लिए हर समय तैयार रहते हैं।वहां सैन्य प्रशिक्षण आवश्यक है।
हमास के हमले का सबसे बड़ा सबक यह है कि दुनिया का कोई भी देश इस तरह के हमले नही रोक सकता।बस इस तरह के हमलों को रोकने की व्यवस्था कर सकता है।इस्राइल का सुरक्षा चक्र आइरन डोम पांच हजार मिजाइल के हमले के सामने कारगर नही रहा। हमारे पास रूस का बना एस 400 मिजाइलरोधी सिस्टम हैं। हमें सोचना होगा कि क्या यह इस तरह के भारी मिजाइल हमलों को रोकने में सक्षम है। या कोई अन्य सिस्टम चाहिए।हमें राष्ट्रीय आपदा या इस प्रकार के आतंकी हमले की हालत में अपना सहायता तंत्र विकसित करना होगा।उन्हें सभी प्रकार के हमलों या राष्ट्रीय आपदा के समय जनता की सुरक्षा , मदद, उपचार आदि देने के लिए तैयार करना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)