लक्ष्मी जी को पूजिए , लक्ष्मी पुत्रों को भी सम्मान दीजिए

अशोक मधुप

दीपावली का माहौल है।इस अवसर पर हम घर की सफाई करते हैं।अंधकार को दूर करने के लिए दीप जलाते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। लक्ष्मी की पूजा इसलिए करते हैं कि हमारे घर धन− संपदा से परिपूर्ण रहे। हमारे घर धन संपदा से भरपूर रहें, इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।अपने शहर ,प्रदेश और देश के बारे में नही सोचते।हमें यह भी सोचना चाहिए कि कैसे हमारा शहर, प्रदेश और देश संपन्न हो।कैसे लक्ष्मी पुत्र उनमें कल कारखाने लगाकर विकास का रास्ता खोलें। कैसे अपने लोगों को रोजगार मिले। हम दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं,किंतु लक्ष्मी पुत्रों का निरादर करते हैं। जबकि लक्ष्मी के पुत्र देश और समाज को बनाने , उसके विकास करने में बड़ा योगदान करते हैं।दीपावली पर लक्ष्मी को पूजने के साथ−साथ हमें लक्ष्मी पुत्रों का सम्मान भी करें। लक्ष्मी पुत्रों का विश्व,देश और समाज के निर्माण में सदा बड़ा योगदान रहा है।उस योगदान को हम सभी को स्वीकारना चाहिए।उनका अपमान नही करना चाहिए।

हाल ही में देश के बड़े उद्योगपति और वेदान्ता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की एक पोस्ट प्रसिद्ध हो रही है। इसमें पोस्ट में उन्होंने राष्ट्र के निर्माण में उद्योगपतियों की भूमिका पर प्रकाश डाला है। वह कहते हैं कि वे जब अमेरिका ,ब्रिटेन या जापान आदि किसी लोकतांत्रिक देश को देखते हैं, तो इस बात का अहसास करते हैं कि जहां राजनेता देश का नेतृत्व करते और उसे शक्तिशाली हैं, वहीं उद्यमी उस देश को बनाते हैं।वे अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अमेरिका

का निर्माण पांच उद्यमी रॉकफेलर,एंड्रयू कार्नेगी, जेपी मार्गन,फोर्ड और वेंडर बिल्ट ने किया।इस सभी उद्योगपतियों ने अधिकांश संपत्ति परोपकार के लिए दान कर दी। अमेरिका ,ब्रिटेन और जापान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए वह कहतें हैं कि हमारे भारत में घरेलू उद्यमियों की भूमिका को कभी− कभी कम करके आंका जाता है।लेकिन देश के लिए वह जो कर सकतें हैं,वह कोई और नही कर सकता।वे विदेशी तकनीक और फंडों के साथ मजबूत गठजोड़ कर सकतें हैं। पोस्ट के अंत में वह कहते हैं कि अगर घरेलू उद्यमियों की कमाई होगी तो वह अमेरिकी उद्यमियों की तरह ही परोपकार के लिए अपनी कमाई का हिंस्सा दान कर सकेंगे।उनकी राय है कि सरकार को घरेलू कारोबारियों को अधिक सम्मान और मान्यता देनी चाहिए, जिससे उन्हें प्रोत्साहन मिले।उनकी धारणा है कि व्यापारी मुकदमें बाजी आडिट और लंबी सरकारी प्रक्रियाओं से डरते हैं। उद्यमियों पर भरोसा करना और लाभ देना महत्वपूर्ण है।प्रत्येक लोकतांत्रिक देश जो अमीर बना है,वह ऐसा इसलिए कर पाया कि क्योंकि उन्होंने उद्यमियों पर विश्वास रखा ।उन्हें मान्यता दी और प्रेरित किया।

आज सरकारें राजनैतिक हित के लिए किसानों की ही बात करती हैं। उनके लाभ के बारे में सोचती हैं।उन्हें खेती में प्रयोग होने वाला कच्चा माल, बिजली, कीटनाशक सस्ते दाम पर उपलब्ध कराती हैं। उनकी फसल का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती हैं।क्या कोई प्रदेश या देश अकेले किसानों के बूते तरक्की कर सकता है। कभी नही।किसी देश के विकास में जितना योगदान किसान का है, उतनी ही व्यापारी का।इनके बराबर ही मजदूर का। किसी को भी कमतर नहीं किया जा सकता।

देश के विकास में प्रत्येक व्यापारी का योगदान है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। उनकी जरूरत और सुविधा का धयान रखा जाना चाहिए। सम्मान किया जाना चाहिए।किंतु ऐसा होता नही।हम व्यापारी को चोर और बेईमान बताने में लगे रहतें हैं।कांग्रेस के एक नेता का तो सदा आरोप रहता है कि प्रधानमंत्री एक व्यापारी को अपने साथ लिए घूमते हैं।वे ये नही देखते कि जिस व्यापारी को लेकर वह ये बात करते हैं,उनके देश में कितने कारखाने हैं। उन्होंने कितने करोड़ का निवेश किया हुआ है। कितने लाख लोगों का रोजगार दिया हुआ है।उनसे संपर्क बनाकर ,उन्हें सुविधाएं देकर हम देश का और कितना विकास कर सकतें हैं।

पिछले दिनों दिल्ली के आसपास चले किसान आंदोलन के दौरान तो व्यपारी को बड़े पैमाने पर चोर और बेईमान बताने का अभियान चला। मोबाइल टावरों पर तोड़फोड़ की गई।उद्योगों का घेराव किया गया। रास्तों पर धरना देकर आपूर्ति और माल की निकासी बाधित की गई। बंगाल में ममता दीदी द्वारा नेनों के सिंगूर में कारखाना लगने के स्थान पर दिए धरने का प्रभाव रहा कि वे मुख्यमंत्री तो बन गईं किंतु बंगाल के विकास का रास्ता अवरूद्ध कर गईं। 2008 में शुरू हुए विवाद के बाद से अब तक कोई भी बड़ा प्राइवेट उद्योग बंगाल में नही लगा।प्रदेश और देश के विकास के लिए उद्योगपतियों को सुविधा और सुरक्षित माहौल देना होगा।पिछले दिनों पंजाब में भी उद्योगों के विरूद्ध भी कुछ विपरीत सोच दिखाई दिया।परिणाम यह है कि आज व्यपारी वहां भी जाने से बच रहा है।

पुराने समय से व्यापारियों का विकास में योगदान रहा है।वे पहले से सड़क ,स्कूल और धर्मशालाएं बनवाते रहे हैं। अपितु राज गंवा चुके महाराणा प्रताप को अपनी सेना खड़ी करने के लिए भामाशाह ही मदद करते हैं। हल्दीघाटी के युद्ध के पश्चात महाराणा प्रताप जब अपने परिवार के साथ जंगलों में भटक रहे थे, तब भामाशाह ने उन्हें खोजकर अपनी सारी जमा पूंजी समर्पित कर दी। भामाशाह ने अपनी निजी सम्पत्ति में इतना धन दान दिया था कि जिससे २५००० सैनिकों का बारह वर्ष तक निर्वाह हो सकता था। भामाशाह से सहयोग से महाराणा प्रताप में नया उत्साह उत्पन्न हुआ। उन्होंने पुन: सैन्य शक्ति संगठित कर मुगल शासकों को पराजित करा और फिर से मेवाड़ का राज्य प्राप्त किया। भामाशाह का ये काम आज भी जारी है। देश के बड़े उद्योगपति रतन टाटा हर साल 1100 करोड़ रुपये डोनेट करते हैं। साल 2022 में सबसे बड़े दानवीर बनकर उभरे एचसीएल के फाउंडर शिव नादार ने पूरे वित्त वर्ष में 1161 करोड़ रुपये की बड़ी रकम दान की थी। यही बात विप्रो के स्वामी अजित प्रेम जी के बारे में प्रसिद्ध है। इस बड़े व्यापारी द्वारा जो काम बडे सतर पर हो रहा है, वही काम छोटे व्यापारी अपने स्तर पर करते हैं।

आज गुजरात के विकास का ये ही कारण है।अपने मुख्यमंत्री काल में नरेंद्र मोदी ने सिंगूर के विवाद के दौरान टाटा अकेले को गुजरात में कारखाना लगाने का आमंत्रण नही दिया, अपितु उनके माध्यम से अपृत्यक्ष रूप से अन्य उद्योगपतियों के भी गुजरात आने का रास्ता खोला। इसीका फल है कि गुजराज आज विकास के क्षेत्र में बहुत आगे हैं।यहीं काम आज उत्तर प्रदेश में हो रहा है।यहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में सुरक्षा का माहौल पैदा करने से व्यापारियों में विश्वास बढ़ा है। आज योगी जी के आहवान पर प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है।

हम अमेरिका गए हुए थे। क्रूज पर न्यूयार्क घूम रहे थे।कूज के चालक की उस समय की बात मैं आज तक नही भूला।उन्होंने कहा था कि वे जो विशाल भवन,बड़े उद्योग सामन देख रहे हैं। ये सब आपके −हमारे पूर्वजों की देन हैं।भारत, बंगला देश, पाकिस्तान,श्रीलंका अफ्रीका से आप से सब के पूर्वज यहां आए ।उन्होंने ये सब खड़ा किया।

ऐसा ही सब जगह है। किंतु भारत में हम देश को विकास में आगे बढ़ाने वाले व्यापारी को गाली देते हैं। कहते हैं कि बैंको का पैसा लेकर भाग रहे हैं। ध्यान रहे कि बैंक ऋण मूल्य से ज्यादा की व्यापारी की संपत्ति गिरवीं रखकर कर्ज देते हैं। व्यापार में नफा नुकसान होता रहता है।घपला करने वाले तो दो चार ही हैं,उनके आचरण का दोष पूरे समाज को तो नही दिया जा सकता। भारत को आगे बढ़ाने के लिए देश के विकास के लिए व्यापारियों को हमे चोर और बेईमान कहना छोड़ ना होगा। वे भामाशाह के वंशज हैं।उन्हें विकास पुत्र या विकास पुरूष की संज्ञा देनी होगी।उन्हें भी सम्मान देना होगा।सुविधाएं देनी होंगी। । दीपावली पर लक्ष्मी का आह्वान करने के साथ इन विकास पुरूषों के स्वागत के लिए नगर प्रदेश और देश में रंगोली सजानी होगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)