- इस्सयोग’-प्रवर्त्तक के दो दिवसीय महानिर्वाण महोत्सव अखण्ड साधना,हवन-यज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ
- परम वैज्ञानिक थी महात्मा सुशील की आध्यात्मिक दृष्टि : बड़े भैया
- और थाईलैंड की दो इस्सयोगी बालिकाओं को दिया गया ‘महात्मा सुशील माँ विजया पुरस्कार
विनोद तकियावाला
पटना : गुरुदेव की वाणी में अद्भुत शक्ति थी।वे वैज्ञानिक दृष्टि से अध्यात्म की व्याख्या करते थे।वे कहा करते थे कि हर एक व्यक्ति ऊर्जा की घनीभूत इकाई है।संपूर्ण ब्रह्माण्ड ही विराट ऊर्जा का पूँज है।वही परमात्मा है।परम वैज्ञानिक थी ब्रह्मलीन सदगुरुदेव की आध्यात्मिक दृष्टि, जो आधुनिक संसार को आकर्षित करती है।आज दुनिया के वैज्ञानिक भी वही बात कहने लगे हैं, जो हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे संत-ऋषि कह चुके,जो हमारे सदगुरु कहा करते थे।
यह बातें बुधवार को,बी-108, कंकड़बाग हाउसिंग कौलोनी स्थित गुरुधाम में,’अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज’ के तत्त्वावधान में,’इस्सयोग’ के प्रवर्त्तक और अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक ब्रह्मलीन सद्ग़ुरुदेव महात्मा सुशील कुमार के २२वें महानिर्वाण महोत्सव में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए,संस्था के उपाध्यक्ष पूज्य बड़े भैया श्रीश्री संजय कुमार ने कही।उन्होंने कहा कि परमात्मा कुछ चुने हुए लोगों को किसी सक्षम सदगुरु का सान्निध्य प्रदान करते हैं।हम सभी सौभाग्यशाली है,जिन्हें सदगुरु एवं सदगुरुमाँ का दिव्य-सान्निध्य प्राप्त हुआ है।दो दिनों के इस उत्सव में अद्भुत दिव्यता व्याप्त थी। मौसम को भी अनुकूल होना पड़ा।यह इस्सयोगियों की आत्म -शक्ति का परिचायक है।अपने आशीर्वचन में संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रहनिष्ठ सदगुरुमाता माँ विजया जी ने कहा कि परमात्मा और सदगुरु की दृष्टि से कोई भी ओझल नहीं है।सब पर उनकी दृष्टि होती है। हमारा कुछ भी उनसे छुपा नहीं होता।इसलिए हमारा मन शुद्ध रूप से सदगुरु परमात्मा में लगा होना चाहिए।माताजी ने कहा कि मन्दिर अथवा मूर्ति चेतन नहीं होते,हमारा मन चेतन होता है। हम चेतन हैं।एक श्रद्धालु जिस भाव से किसी मूर्ति के समक्ष खड़ा होकर प्रार्थना करता है,उसी अनुरूप उसे प्राप्ति होती है।उन्होंने कहा कि सुख और दुःख और कुछ नहीं, मन की अवस्थाएँ हैं।एक ही बात से कोई व्यक्ति दुखी तो कोई प्रसन्न हो सकता है,और,किसी पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ‘इस्सयोग’ की साधना एक साधक को मन पर अधिकार करने की शक्तियाँ प्रदान करती है।इसलिए प्रत्येक साधक को प्रतिदिन कमसेकम एक घंटे की सूक्ष्म आंतरिक साधना श्रद्धापूर्वक अवश्य करनी चाहिए।सदगुरुदेव ने ‘इस्सयोग’के रूप में जो वरदान दिया है,उसके प्रसार का समय आ चुका है।
इसके पूर्व माताजी के निर्देश पर पूज्य बड़े भैया ने अमेरिका की इस्सयोगी बालिका सुभी राज तथा थाईलैंड की इस्सयोगी बालिका आकर्षा पाण्डेय को, उसकी विशेष प्रतिभा के लिए, इस वर्ष का ‘महात्मा सुशील कुमार माँ विजया प्रोत्साहन पुरस्कार’ प्रदान किया।
यह जानकारी देते हुए,संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि ,कल दूसरे पहर के पश्चात आरंभ हुई २२ घंटे की अखंड-साधना और भजन- संकीर्तन का आज प्रातः साढ़े नौ बजे समापन हुआ।साढ़े दस बजे से 12 बजे तक हवन-यज्ञ कर सदगुरुदेव को तर्पण दिया गया।यज्ञ-प्रसाद के पश्चात12 इस्सयोगियों ने अपने उद्गार व्यक्त किए,जिनमें रौबिन समुंदर (मौरिशस),अजीत कुमार (अमेरिका),सूर्य भूषण(दुबई),रेणु धिमिरे (नेपाल),डा जेठानंद सोलंकी( लंदन),सुनील कुमार झा(काठमांडू),अजय कुमार पाण्डेय (थाईलैंड),स्नेहा पांडु (बैंगलुरु),सौरभ कुमार,शालिनी कुमारी और सुनिता कुमारी (बिहार)तथा रेणु कुमारी(दिल्ली) के नाम सम्मिलित हैं। उद्गार-कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा ने किया।संध्या में संस्था के संयुक्त सचिव संदीप गुप्ता और बहन संगीता झा के निर्देशन में,सदगुरुदेव पर तैयार एक सुंदर लघु-चलचित्र का प्रदर्शन किया गया,जिसमें गुरदेव के सत्संग के दृश्य भी समाहित किए गए थे।संध्या-सत्संग एवं जगत-कल्याण के निमित्त की गयी ब्रह्माण्ड-साधना के साथ दो दिवसीय यह महोत्सव संपन्न हो गया।इस अवसर पर,इस्सयोगी साधिका और सांसद रमा देवी, संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार,रेणु गुप्ता,सरोज गुटगुटिया,नीना दूबे गुप्ता,शिवम् झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू,काव्या सिंह झा,दीनानाथ शास्त्री,माया साहू,डा द्राशनिका पटेल, ई वीरा राम,वंदना वर्मा,नितिन साहू,योगेन्द्र प्रसाद,सुशील प्रजापति,श्रीप्रकाश सिंह, कपिलेश्वर मंडल,विजय रंजन, रजिया समुंदर,डा मनोज राज, प्रभात झा,रवि मूलचंद आदि बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी एवं स्वयंसेवक सक्रिए रहे।