ललित मोहन बंसल, लॉस एंजेल्स से
अमेरिका में प्रेसिडेंशियल डिबेट को ले कर डॉनल्ड ट्रंप ने इसमें हार-जीत को एक और बहस का मुद्दा बना लिया है। उन्होंने अपने समर्थकों में यह कहना शुरू कर दिया है कि उनके साथ धोखा हुआ है। ए बी सी टी वी नेटवर्क की टीम के दो और कमला हैरिस, तीनों ने साँठ-गाँठ कर उनके साथ धोखाधड़ी की, फिर भी जीते वही हैं । साथ ही उन्होंने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि ‘बस, अब वह कमला के साथ और डिबेट नहीं करेंगे।‘ असल में डॉनल्ड ट्रंप सोच कर तो यह चले थे कि वह एक नवागंतुक कमला हैरिस पर कड़े आक्षेप लगा कर डिबेट जीत लेगें, हुआ उलट। कमला मंच पर आते ही जैसे ही शिष्टाचारवश हाथ मिलाने ट्रंप तक पहुँची, उन्होंने यह कह कर उपहास उड़ाने की कोशिश की, ‘———-डिबेट का मज़ा लें। इसके बाद तो क़रीब डेढ़ घंटे तक ए बी सी नेटवर्क के दोनों संवाददाताओं के सवालों पर कैलिफ़ोर्निया में स्टेट अटारनी जनरल रहीं कमला हैरिस ने अपने सीधे-सपाट जवाबों से ट्रंप को कटघरे में खड़ा कर दिया।यह तो साथ साथ तथ्यों की सच्चाई से पता चला कि ट्रंप ने जोई बाइडन-कमला हैरिस शासन की कथित बदहाली और अपने ही देश की अस्मिता पर जो जो घिनौने आरोप लगाए , ज़्यादातर तथ्यहीन निकले। और तो और डॉनल्ड ट्रंप के मुरीद एक फ़ॉक्स न्यूज़ संवाददाता को कहना पड़ा कि डॉनल्ड ट्रंप कसौटी पर खरे उतरने में विफल रहे। डॉनल्ड ट्रंप की बाड़ी लैंग्वेज बता रही थी कि वह डिबेट सारा समय असहज रहे। उनका चेहरा तमतमा रहा था। अब तो चुनाव के परिणामों को लेकर ज्योतिषगण भी ट्रंप की जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसका नतीजा यह सामने आ रहा है कि ‘ट्रंप सोशल मीडिया कंपनी’ के शेयर डिबेट के बाद से नीचे गिर रहे हैं।
इस प्रेसिडेंशियल डिबेट को लेकर लोगों में बड़ा उत्साह था। इसे एक ‘उत्सव’ की तरह न मनाएँ, ऐसा हो नहीं सकता। इसके दो प्रमुख कारण रहे। एक, इस बार दूसरी टर्म के लिए राष्ट्रपति जोई बाइडन (81 ) के पहली डिबेट (27 जून) में मात खाने और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के मैदान में उतरने से डिबेट और भी बहुचर्चित हो गई थी। इसके लिए ट्रंप बड़ी मुश्किल से ‘एबीसी’ टी वी नेटवर्क पर डिबेट के लिए तैयार हुए थे। शुरू में तो यही कहते रहे कि फ़ॉक्स नेटवर्क पर करा लें। बहरहाल पिछले मंगलवार (10 सितंबर) को हुई इस डिबेट को क़रीब सात करोड़ लोगों ने देखा। डिबेट की ख़ास बात यह थी कि इसे देखने-सुनने के लिए अमेरिका के बड़े शहरों में बाज़ार सुनसान थे, पीक आवर्स में सड़क पर अपेक्षाकृत कम वाहन थे. हम ‘रामायण’ सीरियल के शुरुआती दिनों को याद करें, तो ठीक वैसा नजारा प्रेसिडेंशियल डिबेट का दिखाई पड़ रहा था। फ़िलेडेल्फ़िया ( पूर्वी क्षोर, रात 9 बजे) के नेशनल कांस्टीचूशन सेंटर में हुई । इस डिबेट में पंजीकृत मतदाताओं को प्रवेश की अनुमति थी, सेंटर के बाहर ख़ासा चल-पहल थी।
ट्रम्प के तथ्यहीन, गोल-मोल जवाब और अवैध इमिग्रेंट्स के पालतू बिल्ली कुत्ते खाने की मनघड़ंत कहानी से बड़ी थू-थू हो रही है। ट्रंप के बार बार मौजूदा प्रशासन में प्रत्येक ज़िम्मेदारी के लिए जोई बाइडन के साथ कमला हैरिस पर ज़िम्मेदारी थोपने का औचित्य भी लोगों को रास नहीं आया। कमला हैरिस ने उन्हें याद दिलाया, वह राष्ट्रपति नहीं, उपराष्टपति हैं, और वह उपराष्ट्रपति की ज़िम्मेदारियों बखूबी जानते हैं। कमला हैरिस ने डॉनल्ड ट्रम्प को अमेरिका के ज्वलंत मुद्दों में गर्भपात, इम्मिग्रेशन, अपराध और आये दिन बंदूक़ हिंसा, इन्फ्लेशन, बेरोज़गारी तथा विदेश नीति के अन्तर्गत नाटो में अमेरिका की भूमिका आदि मुद्दों पर भी खूब लपेटा। ऐसे में डॉनल्ड ट्रंप को अनेक मौक़ों पर ग़ुस्से में तमतमाते और उनके अपने तर्क बेमाने सिद्ध होते देखा गया। गर्भपात पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में ट्रंप को अपने बयान बदलने पड़े और कहना पड़ा कि उनकी राष्ट्रीय स्तर गर्भपात बंद कराए जाने की कोई योजना नहीं है। बंदूक़ हिंसा पर सवाल आया तो ट्रंप को अपनी बात ही बेमाने लगी । कमला ने ज़ोर देकर कहा कि संविधान प्रदत आत्म रक्षा के लिए बंदूक़ पर प्रतिबंद का उनका कोई प्रस्ताव नहीं है। आत्म सुरक्षा के लिए उनके ख़ुद के पास बंदूक़ है। एक क्षण ऐसा भी आया जब डॉनल्ड ट्रंप के इज़राइल-फ़िलिस्तीन और रुस-यूक्रेन युद्ध को चौबीस घंटों में समाप्त किए जाने के दावे के बारे में पूछा गया तो वह युद्ध समाप्ति का कोई फ़ार्मूला नहीं दे पाये सिवा इसके कि उनके रुस, चीन और यूक्रेन के राष्ट्रपति से अच्छे संबंध हैं। इसके विपरीत कमला हैरिस ने अमेरिका की नाटो देशों से अच्छे संबंधों और इज़राइल-फ़िलिस्तीन युद्ध के तत्काल युद्ध विराम और दो राष्ट्र के सिद्धांत पर ज़ोर दिया। ‘टाईम’ पत्रिका की ताज़ा रिपोर्ट पर नज़र दौड़ाएँ तो इस कड़े मुक़ाबले में भारतीय मूल की कमला हैरीस ने आशा के विपरीत डानल्ड ट्रम्प को झिंझोड़ने में एक बड़ी सफलता अर्जित कर ली है. अभी मतदान के 55 दिन (5 नवंबर) बचे हैं. कमला हैरिस-टिम वाल्ज की जोड़ी चुनावी फंड में बाज़ी मार चुकी हैं। अब काँटे की टक्कर वाले सात राज्यों में मूलतः:अधिकाधिक श्वेत मत बटोरने की कोशिशें हो रही हैं, जबकि ट्रंप और उनके साथियों का सारा दारोमदार अपने इवेंजिलिस्ट श्वेत मतों के अलावा अश्वेत, हिस्पैनिक और एशियाई वोटों पर है। ट्रंप को यहूदी मत मिल रहे हैं, तो कमला फ़िलिस्तीनी मुस्लिम मतों को रिझाने में लगी हैं। इस तरह रेड और ब्यू राज्यों में अपने अपने डेलीगेट के साथ जो भी कुल 538 डेलीगेट मतों में 270 डेलीगेट मत बटोर पाने में सफल हो जाएगा, उसी के सिर सेहरा बंधना तय है। ‘इकोनॉमिस्ट’ न्यूज़ मीडिया की माने तो इस बार विजयी सेहरा बँधना भी सहज नहीं होगा, बशर्ते हारजीत का फ़ैसला बड़ा न हो। दोनों ओर से तलवारें चमकाई जा रही हैं। पिछली 6 जनवरी 2021 की हिंसा के साथ साथ अदालती मुक़दमों की बाढ़ आना तय है।
सत्ता हस्तांतरण जोखिम भरा खेल : डॉनल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच फ़िलहाल काँटे की टक्कर बनी हुई है। कमला हैरिस ने आश्वस्त किया है कि सत्ता हस्तांतरण में उनकी ओर से किसी अप्रिय घटना की उम्मीद न करें । लेकिन साथ ही उन्होंने देशवासियों को सचेत किया है, ‘ एक बात ग़ौर कर लें कि आपराधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट से ‘इम्युनिटी’ मिलने के बाद डॉनल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में पुनः: पदार्पण करते हैं, तो उन पर कोई अंकुश नहीं रह जाएगा। डॉनल्ड ट्रंप यह बार बार कह चुके हैं कि उनके विरुद्ध सभी आपराधिक मामले राजनैतिक विद्वेष के फलस्वरूप लगाए गए थे। वह सत्ता में आते हैं तो डेमोक्रेट के विरुद्ध भी वह वैसा ही सलूक करने को स्वतंत्र होंगे। हालाँकि उन्होंने उपद्रव में किसी तरह के हाथ होने से इनकार किया है। उन्होंने तो उपद्रवियों को शांत रहने की अपील की थी। डेमोक्रेट की ओर से शंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं कि ‘एक बार सत्ता में आने के बाद डोनाड ट्रंप अपने अटारनी जनरल को आदेश दे कर अपने विरुद्ध आपराधिक मामले वापस लेने का आदेश दे सकते हैं।
अमेरिका ग्रेट अगेन का राग अलापने और चीन से सीमाशुल्क के रूप में अरबों डालर अर्जित करने में डॉनल्ड ट्रंप ने अपनी पीठ थपथपाने में कोई कमी नहीं छोड़ी, वहीं जोई बाइडन -कमला हैरिस प्रशासन में आर्थिक स्थिति के बिगड़ने और इमिग्रेंट्स के रूप में अपराधियों को शरण दिए जाने के ढेरों आरोप लगाए। उन्होंने देश में बढ़ती बेरोज़गारी और इन्फ्लेशन की दरें बढ़ने से मध्यम आय वर्ग की समस्याओं का चित्र खींचने की भरपूर कोशिशें की। लेकिन कारपोरेट समुदाय और उच्च वर्ग की आय पर करों में कटौती का प्रस्ताव रुचिकर नहीं था। डॉनल्ड ट्रंप की ओर से भुखमरी के शिकार अवैध इमिग्रेंट्स के बिल्ली आदि खाने के निरर्थक आरोप मढे जाने की बात भी किसी के गले नहीं उतरी । बता दें, पिछली 27 जून को जोई बाइडन और डॉनल्ड ट्रंप के बीच पहली नेशनल टी वी डिबेट में राष्ट्रपति के लड़खड़ाने और उम्मीदवारी से हटाने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को नाटकीय दौर में डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया था। इसके पश्चात कुछेक डेमोक्रेट को छोड़ कर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, बिल क्लिंटन और कांग्रेस में प्रतिनिधि सभा की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी सहित सीनेटर ने कमला को समर्थन दिया है। इस समय कमला काँटे की टक्कर वाले सात राज्यों में कड़ी टक्कर में हैं।इनमें तीन राज्यों में कमला हैरिस बढ़त बना चुकी हैं। इस डिबेट के तुरंत बाद अमेरिका की प्रख्यात गायिका स्विफ्ट टेलर ने जिस तरह कमला हैरिस का समर्थन किया है, उस से उनके मुरीद दो करोड़ से अधिक युवाओं से कमला हैरिस को राहत मिली है।
आपराधिक मामले: इस डिबेट में एक क्षण वह भी आया जब ट्रंप ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में आपराधिक वृत्ति के लाखों अवैध इमिग्रेंट्स घुस आये हैं। इस पर कमला ने यह कह कर ट्रंप का मुँह बंद कराने में कोई चूक नहीं की कि वह तो ख़ुद न्यू यॉर्क ‘हुश मनी’ सिलसिले में 34 विभिन्न मामलों में दोषी हैं? यह कोई छोटी बात नहीं है कि एक ऐसा व्यक्ति जो ख़ुद राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक अपराधों, चुनाव में हस्तक्षेप और यौन आपराधिक मामलों में दोषी हो, उसके ख़ुद के अपराधों के बारे में क्या कहेंगे? ट्रंप ने शुरुआत में ही कमला हैरिस को एक एक मार्क्सवादी, आर्थिक और विदेश नीति में नई नवेली डेमोक्रेट के रूप में चित्रित करना शुरू किया। वह यह कहते भी नहीं चूके कि जोई बाइडन-कमला हैरिस के पिछले साढ़े तीन साल के कालखंड में अमेरिका ऐसी बुरी स्थिति में आ गया है कि यह तीसरे विश्व युद्ध को रोक पाने में असमर्थ है, जबकि उनके नेतृत्व में यूक्रेन-रुस युद्ध हो अथवा इज़राइल हमास युद्ध, वह चौबीस घंटों में समाप्त कराने की क्षमता रखते हैं, हालाँकि डिबेटर डेविड के पूछे जाने पर डॉनल्ड ट्रंप के पास कोई फ़ार्मूला नहीं था।
यक्ष प्रश्न यह कि ‘क्या चुनाव मतदान के लिए बचे शेष समय में शीर्ष डेमोक्रेट अपनी उम्मीदवार कमला के पक्ष में कथित ‘ग्लास सीलिंग’ से ग्रस्त श्वेत महिला-पुरुषों को मतदान के दिन राष्ट्रपति जैसे उच्च पदस्थ पद के लिए वोट बैंक में तब्दील कर पाएँगे। प्रथम महिला और पूर्व में विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन श्वेत समुदाय में ख़ासी परिचित होने के बावजूद आठ साल पहले इसी ‘ग्लास सीलिंग’ वाली हताशपूर्ण मनोवृत्ति की मार झेल चुकी हैं। अश्वेत बराक हुसैन ओबामा एक मात्र ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं, जिन्हें मुस्लिम, अश्वेत-श्वेत, लैटिन अमेरिकन और एशियाई मतदाताओं का स्विंग स्टेट में एकमुश्त समर्थन मिला है। भारत के संसदीय प्रणाली के विपरीत अध्यक्षीय प्रणाली में परोक्ष रूप से होने वाले इस चुनाव में ५३८ में से २७० प्रतिनिधि मेटो चाहिए। राष्ट्रपति चुनाव में पहले से विभक्त और विषैले माहौल में राष्ट्रपति तभी कारगर हो सकेगा जब उसे कांग्रेस (संसद) के निचले 435 सदस्यीय सदन के लिए हो रहे चुनाव मतदान में बहुमत और सीनेट की एक तिहाई (34 ) सीटों के लिए इस मतदान में भी बहुमत मिले। यों राबर्ट एफ़ कनेडी (निर्दलीय), प्रो कार्नल वेस्ट (निर्दलीय), जिल स्टेन (ग्रीन पार्टी) और लिब्रेशन पार्टी से चेज़ ओलिवर चुनाव मैदान में हैं, जो एक से पाँच प्रतिशत मत बटोर पाएँगे, मुश्किल है।