गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल

आर.के. सिन्हा

बीती 15 अगस्त को जब देश के अधिकतर राज्यों के स्कूल बंद थे, उस दिन गोवा की सड़कों पर स्कूली बच्चे सुबह 11 बजे के बाद अपने स्कूल में आयोजित हुये स्वाधीनता दिवस समारोह में भाग लेकर निकल रहे थे। उनके हाथों में तिरंगे और मिठाई के पैकेट थे। यह देखकर बहुत सुखद लग रहा था। बहुत से राज्यों के स्कूलों में 14 अगस्त को ही देश का स्वाधीनता दिवस समारोह मना लिया जाता है। यह सही नहीं है। कायदे से सारे देश के स्कूलों को 15 अगस्त को खुलना चाहिये। उस दिन वहां स्वाधीनता दिवस समारोह आयोजित किये जाने चाहिये।

गोवा क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा राज्य होने पर भी कई मामलों में बड़े-बड़े राज्यों से बहुत आगे है। गोवा क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। गोवा का क्षेत्रफल 3702 वर्ग किलोमीटर है। गोवा की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा यहाँ के प्रसिद्ध समुद्र तट और सूर्य की धूप पर्यटकों को गोवा की ओर खींचती है। यहां के स्थानीय लोगों का पर्यटकों के प्रति व्यवहार वास्तव में बहुत ही दोस्ताना रहता है। इस कारण भी पर्यटक इधर बार-बार आना चाहते हैं। गोवा में आप पांच-सात दिन रहते हुए अखबारों को ध्यान से देखिए। आपको एक भी अपराध का समाचार नहीं मिलेगा। यूपी, बिहार, दिल्ली से गोवा जाने वाले पर्यटकों के लिए यह एक बड़ा ही सुखद अनुभव होता है।

चूंकि गोवा पर पुर्तगाली शासन रहा, तो इसका असर यहां पर अब भी गिरिजाघरों, घरों और दूसरी इमारतों के आर्किटेक्चर को देखकर ही समझ में आने लगता है। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया। गोवा के दक्षिण भाग में ईसाई समाज का ज्यादा प्रभाव है। पुर्तगाली वास्तुकला के नमूने ज्यादा दिखाई देते है। चूंकि गोवा पुर्तगाली शासन के अधीन रहा, इस कारण यहाँ यूरोपीय संस्कृति का प्रभाव महसूस होता है। हालाँकि पुर्तगालियों ने यहाँ के संस्कृति का नामोनिशान मिटाने के लिए भरसक बहुत सारे प्रयास किए, लेकिन यहाँ की मूल संस्कृति इतनी मजबूत थी, कि धर्मांतरण के अनेकों प्रयासों के बाद भी वो मिट नहीं पाई।

शायद ही भारत का कोई अन्य पर्यटन स्थल गोवा की तरह से साफ-सुंदर हो। यहां के अनेकों समुद्र तट का ‘बीच’ में आनंद करने के लिए इसलिए ही तो सारे संसार से टूरिस्ट सालों भर आते रहते हैं। गोवा एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही गोवा वासियों के सुसंस्कृत व्यवहार से लेकर सड़कों पर व्यवस्थित ट्रैफिक को देखकर समझ आने लगता है कि ये अलग मिजाज का शहर है। रात के 10 बजे भी यहाँ की सडकों पर स्कर्ट पहनकर लड़कियां और महिलाएं आ जा रही होती है। मजाल है कि उन्हें कोई टेढ़ी नजर से देख भी ले। यानी यूं ही गोवा खास नहीं हो गया। गोवा की मनमोहक सुंदरता और गोवा के मंदिरों, गिरजाघरों और पुराने निवास स्थानों का आर्किटेक्चर गोवा को बाकी जगहों से अलग करता है। एक बात और, गोवा की संस्कृति काफी प्राचीन भी है। कहा जाता है कि एक हजार साल पहले गोवा “कोंकण काशी” के नाम से जाना जाता था।

महाभारत में गोवा का उल्लेख “गोपराष्ट्र” यानी गाय चरानेवालों के देश के रूप में मिलता है। अरब के मध्युगीन यात्रियों ने इस क्षेत्र को चंद्रपुर और चंदौर के नाम से इंगित किया है। 1510 में, पुर्तगालियों ने एक स्थानीय सहयोगी, तिमैया की मदद से सत्तारूढ़ बीजापुर सुल्तान यूसुफ आदिल शाह को पराजित किया। उन्होंने गोवा में एक स्थायी राज्य की स्थापना की। भारत ने 1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की। तब भारत ने पुर्तगाल सरकार से अनुरोध किया कि वह गोवा को आजाद कर दे। पर पुर्तगाल ने भारत के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के नाम से सैन्य संचालन किया और इसके परिणामस्वरूप गोवा, दमन और दीव भारत का एक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बना। 30 मई 1987 में केंद्र शासित प्रदेशों को पुनर्गठित किया गया था, और गोवा भारत का पच्चीसवां राज्य बनाया गया । जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश ही बने रहे।

गोवा और पर्यटन का चोली-दामन का साथ है। पर्यटन की वज़ह से बाकी उद्योग जो पर्यटन पर निर्भर करते है वो भी यहाँ पर जोर शोर से चालू हैं। गोवा में अभी तक सिर्फ़ एक ही एयरपोर्ट है और दूसरा अभी बनने वाला है। पर्यटन के अलावा गोवा में लौह खनिज भी विपुल मात्रा में पाया जाता है। गोवा मछली उद्योग के लिए भी जाना जाता है लेकिन यहाँ की मछली निर्यात नहीं की जाती, बल्कि स्थानीय बाजारों में ही बेची जाती है। यहाँ के बागों में उत्पादित काजू सउदी अरब, ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय राष्ट्रों को निर्यात होता है।

गोवा की लगभग 60 फीसद जनसंख्या हिंदू और लगभग 28 फीसद जनसंख्या ईसाई है। गोवावासी धाऱाप्रवाह हिन्दी भी बोलते हैं। इसके अलावा वे अपनी कोंकणी भाषा तो बोलते ही हैं। यानी कि उत्तर भारत से गोवा जाने वाले पर्यटकों के सामने भाषा कोई मसला नहीं खड़ा करती।

गोवा अपने खास व्यंजन फिश करी चावल के लिए प्रसिद्ध है। मैं इस तरह के बहुत से भारतीय मूल के लोगों को जानता हूं,जो हर साल गोवा में कुछ समय बिताने के लिए आते ही हैं। उन्हें यहां की कई डिशेज पसंद हैं। गोवा के जायके अद्भुत है, इसके जायके को शब्दों में बयां कर पाना आसान नहीं है। आपको यहां पर जगह-जगह सस्ते होटल और रेस्तरां मिलते हैं जहाँ आप नान-वेज और वेज भोजन का स्वाद ले सकते हैं। उत्तर भारत का भोजन भी आराम से उपलब्ध रहता है। गोवा के लोग बेहतरीन शेफ होते हैं गोवा के भोजन को अनूठा बनाने में यहां के मिर्च और मसालों की अहम भूमिका है।

गोवा में बिताया समय पर्यटकों को सदैव याद रहता है। गोवा एक नशा है। एक बार जाने के बाद आप वहां पर बार-बार जाना चाहते हैं। गोवा में अनगिनत स्वच्छ ‘समुद्र तट’ हैं, जहाँ का स्वच्छंद व उन्मुक्त जीवन जीने का तरीका पर्यटकों को गोवा की ओर खींच लाता है। गोवा में इतने अधिक समुद्र तट हैं कि पर्यटकों को गोवा के सभी तटों को देखने में एक महीने से भी अधिक वक़्त लग जाएगा। गोवा के इन समुद्र तटों पर आप समुद्र की लहरों पर वाटर सर्फिंग, पैरासेलिंग, वाटर स्किइंग, स्कूबा डाइविंग, वाटर स्कूटर आदि का लुत्फ उठा सकते हैं।

बेशक, देश के सभी पर्यटन स्थलों को गोवा जैसा सुंदर तथा सुरक्षित बनाना होगा। भारत के पर्यटन क्षेत्र को बहुत गति दी जा सकती है। सिर्फ जरूरत इस बात की है कि सभी पर्यटन स्थल इस दिशा में गोवा को अपना आदर्श समझकर अपनी योजनाएं बनायें।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)