हिंदी भाषा- साहित्य में बंगालेर अवदान पुस्तक का हुआ लोकार्पण

रावेल पुष्प

कोलकाता : भारतीय विद्या मंदिर कोलकाता द्वारा प्रकाशित पुस्तक- हिंदी भाषा साहित्य में बंगालेर अवदान का लोकार्पण भारतीय संस्कृति संसद सभागार में वरिष्ठ कथाकार श्री सिद्धेश द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डॉ विट्ठलदास मूंधड़ा ने श्री सिद्धेश एवं वरिष्ठ कवियों रामेश्वर नाथ मिश्र अनुरोध,लखबीर सिंह निर्दोष, विद्या भंडारी तथा सुरेश चौधरी को शाल ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इस पुस्तक के संपादक डॉ बाबूलाल शर्मा ने बताया की 1983 में डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक हिंदी भाषा साहित्य: बंगीय भूमिका के कार्य को आगे बढ़ते हुए भारतीय विद्या मंदिर एवं भारतीय संस्कृति संसद ने एक सेमीनार आयोजित किया था, जिसमें हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में आलेख विद्वान लेखकों ने पाठ किऐ थे।वे आलेख इस पुस्तक में संकलित हैं,जिसमें उन विधाओं में हो रहा आद्यतन लेखन शामिल है।डॉ. शर्मा ने कहा कि बांग्ला भूमि को ही ये श्रेय प्राप्त है कि यहां से हिंदी को पूरे भारत की संपर्क भाषा मानकर उसे राष्ट्रभाषा के रूप में तथा देवनागरी लिपि को उसकी लिपि के रूप में मान्यता देने की मांग उठी थी।हिंदी भाषा साहित्य के आधुनिक काल का प्रारंभिक इतिहास कोलकाता में ही घटित हुआ और यहीं इसके विकास ने गति पकड़ी। हिंदी भाषा साहित्य के विकास में बंगाल का योगदान अतुलनीय है।
इस अवसर पर डॉ सिद्धेश ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस पुस्तक में संकलित आलेखों से बंगाल में हिंदी साहित्य की एक मुकम्मल तस्वीर उभरती है। इस पुस्तक के लेखकों को संस्था के सचिव शंकर लाल सोमानी द्वारा सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं- सर्वश्री डॉ ओमप्रकाश पांडे,डॉ कमला प्रसाद द्विवेदी, श्यामलाल उपाध्याय, श्रीनिवास शर्मा,विवेक गुप्त, जितेंद्र धीर, डॉ रेशमी पांडा मुखर्जी,सत्येंद्र पांडे, डॉ अभिज्ञात, डॉ रुद्राक्षा पांडेय,जीवन सिंह, डॉ जलज भादुड़ी, डॉ गीता दुबे, डॉ सूफ़िया यास्मीन, डॉ इतु सिंह, रावेल पुष्प, आनंद श्रीवास्तव, सिद्धेश, डॉ दाउलाल कोठारी, डॉ वसुंधरा मिश्र,गीतेश शर्मा,प्रो मंजूरानी सिंह तथा लक्ष्मी जायसवाल।
संस्था के अध्यक्ष डॉ विट्ठलदास मूंधड़ा ने पुस्तक के संपादक डॉ बाबूलाल शर्मा के साथ लम्बे समय के सम्बंध तथा साहित्य संस्कृति के लिए उनके अवदान के साथ ही संस्था की पत्रिका वैचारिकी के पिछले 27 वर्षों के संपादन को महत्वपूर्ण माना,जो शोधकर्ताओं के लिए मार्ग दर्शन का भी काम करता है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में एक कवि सम्मेलन हुआ जिसमें शामिल थे- सर्वश्री रामेश्वर नाथ मिश्र अनुरोध, लखबीर सिंह निर्दोष, विद्या भंडारी, सुरेश चौधरी इंदु,योगेंद्र शुक्ल सुमन, चंद्रिका प्रसाद पांडे अनुरागी, रावेल पुष्प, नंदलाल रौशन, रवि प्रताप सिंह, सविता पोद्दार, जीवन सिंह, मौसमी प्रसाद तथा मधु सिंह। संस्था के उपाध्यक्ष श्री राज गोपाल सुरेका ने सभी कवियों को सम्मानित किया।
कोलकाता महानगर के विभिन्न हिस्सों से पधारे हुए विशिष्ट कवियों ने अपनी अलग-अलग रंगों की कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

संलग्न चित्र: पुस्तक लोकार्पण में (बायें से) डॉ बिट्ठलदास मूंधड़ा, विद्या भंडारी, सिद्धेश, रामेश्वर नाथ मिश्र अनुरोध, डॉ लखबीर सिंह निर्दोष, सुरेश चौधरी इंदु, डॉ बाबूलाल शर्मा और शंकर लाल सोमानी.