लघुकथा विकास के इतिहास में अपनी भूमिका दर्ज करता राष्ट्रीय लघुकथा उत्सव -2023

रावेल पुष्प

कोलकाता यूं तो भले बंगाल की राजधानी है, लेकिन साहित्य , संस्कृति की गंगा का प्रवाह यहां साल भर होता रहता है और दिसंबर का महीना को पूरे उफ़ान पर होता है, इसीलिए तो इसे पूरे देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। उसी उफ़ान में इस साल पहली बार पश्चिम बंगाल के सूचना एवं संस्कृति विभाग के अन्तर्गत पश्चिमबंग हिंदी अकादमी आयोजित ने आयोजित किया द्विदिवसीय –

राष्ट्रीय लघु कथा उत्सव- 2023

जिसमें देश के प्रतिष्ठित लघुकथाकार उपस्थित हुए, वहीं बंगाल के भी अधिकतर लघुकथाकार शामिल हुए। उपस्थित होने वाले लघुकथाकारों में शामिल थे – सर्वश्री अशोक भाटिया (करनाल), कान्ता सिंह (भोपाल), सिद्धेश्वर (पटना), मार्टिन जान, रविशंकर सिंह,पंकज साहा, डॉ पूरन सिंह, सेराज खान बातिश, जसबीर चावला,शिखर चन्द जैन, विद्या भंडारी,कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, रावेल पुष्प,पूनम आनन्द,श्यामल भट्टाचार्य, तृष्णा बसाक, दिनेश वढेरा, अशोक झा,विनय भूषण ठाकुर।

प्रथम दिन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे – डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर एजुकेशन यूनिवर्सिटी की उपकुलपति तथा साहित्यकार डॉ सोमा बंदोपाध्याय, हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति विजय भारती, कार्यक्रम संयोजक साहित्यकार रावेल पुष्प तथा अकादमी सचिव गिरिधारी साहा. कार्यक्रम के प्रारंभिक सत्र में विशिष्ट लघुकथाकार अशोक भाटिया(करनाल) ने ‘हिंदी लघुकथा:उपलब्धियां और संभावनाएँ ‘ विषय पर बोलते हुए बताया कि किस प्रकार लघुकथा के सामाजिक और साहित्यिक हस्तक्षेप बढ़ने के साथ उसकी स्वीकार्यता बढ़ी है।

इसके अलावे उन्होंने ‘पंजाबी मिन्नी कहानी ‘ के विकास के पीछे गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी,विशेष रूप से गुरु नानक देव और गुरु गोविंद सिंह की संकीर्णता-विरोधी सोच के दूरगामी प्रभाव का भी उल्लेख किया।मिन्नी कहानी के विकास के चरणों का ज़िक्र कर उसमें ‘मिन्नी’ पत्रिका की केंद्रीय भूमिका और प्रमुख लेखकों के मूल स्वर पर प्रकाश डाला।

लघुकथाकार सिद्धेश्वर ने कहा कि आज साहित्य की विविध विधाओं के बीच लघुकथाओं का सामाजिक मूल्यांकन भी होने लगा है ।

रचना सरन के संचालन में हुए इस सम्मेलन के दूसरे दिन भारत की चार अलग-अलग भाषाओं में लिखी जा रही लघुकथाओं पर भी चर्चा हुई जिनमें शामिल थीं – बांग्ला, पंजाबी,गुजराती तथा मैथिली।

इस मौके पर अशोक भाटिया की पुस्तक – लघुकथा में प्रयोग, रावेल पुष्प की कविताओं के श्यामल भट्टाचार्य द्वारा अनूदित पुस्तक – एक गुच्छो रावेल पुष्पो, जसबीर चावला की – नंगा कोरोना तथा बेबी कारफरमा की अनूदित पुस्तक – नोना जल का लोकार्पण भी हुआ़।

इन सब के साथ ही रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला के निर्देशन में कुछ चुनिंदा लघुकथाओं का अभिनयात्मक पाठ भी हुआ,जिसे दर्शकों की भरपूर सराहना मिली।

बंगाल में इस तरह के आयोजित राष्ट्रीय लघुकथा उत्सव ने लघुकथा विकास के इतिहास में अपनी भूमिका बखूबी दर्ज की ।