ओम प्रकाश उनियाल
जी हां, अयोध्या में राम आ रहे हैं। यह जानकर किसी को यकीन होगा, किसी को नहीं और कोई भ्रमित रहेगा। अयोध्या तो राममय होगी ही पूरा देश भी राममय होगा। बस, कुछ ही दिनों की तो बात है। तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। देश के कोने-कोने में रामभक्तों द्वारा रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर जहां भारी उत्साह देखा जा रहा है वहीं अयोध्या से आए पूजित अक्षत और कलश की शोभा-यात्राएं निकाल कर व घर-घर अक्षत वितरण कर अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन करने हेतु आमंत्रित किया जा रहा है। 22 जनवरी का वह क्षण ऐतिहासिक और उल्लासपूर्ण होगा जब 500 साल बाद श्रीराम जन्मभूमि के मंदिर में भगवान राम लौटेंगे। घर-घर दीपावली मनायी जाएगी, सनातन धर्म-ध्वज हर सनातनी के घर लहराएगा। ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष हर तरफ हवा की तरंगों में सुनायी देगा। राम राज का आभास होगा। गौरवपूर्ण पलों का आनंद आस्था की कड़ी को और भी मजबूत कर देगा।
हिन्दू विरोधी संभवत: इस गौरवमयी क्षण को न पचा पाएं। लेकिन उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए कि भारत ने कभी अपनी परंपराओं और सनातनियों की आस्था व विश्वास को मिटने नहीं दिया। भारत हिन्दू राष्ट्र है। राष्ट्रवाद की भावना हिन्दुओं में कूट-कूटकर भरी हुई है। बात करें भ्रमित लोगों की। जो हिन्दू होते हुए भी भ्रमित हैं अथवा भ्रम फैलाकर लोगों की भावनाओं को भुनाते रहते हैं। आपस में एक-दूसरे पर आक्षेप लगाकर राम के नाम पर राजनीति कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं। क्योंकि देश में 2024 में ही लोकसभा चुनाव भी होने हैं। जो राजनीतिक दल यह सोचकर चल रहे हैं कि राम के नाम का उपयोग कर या विरोध कर वोट बैंक तैयार करेंगे तो उन्हें यह समझना चाहिए कि भगवान राम तो हिन्दुओं के आराध्य हैं, आदर्श हैं। उनके आदर्श सत्कार्यों की प्रेरणा देते हैं। भगवान राम के नाम पर राजनीति करना किसी भी व्यक्ति विशेष या राजनैतिक दल को शोभा भी नहीं देता। यह सरासर सनातन धर्म का अपमान है। ऐसे लोगों को धर्म का शाब्दिक अर्थ की समझ नहीं है। धर्म के महत्व से अनभिज्ञ होते हैं ऐसे लोग। एक तरफ ये हिन्दू होने का दावा करते हैं दूसरी तरफ पारस्परिक विरोध का ताना-बाना बुनते रहते हैं। धर्म का मतलब आपस में द्वेष फैलाना नहीं। जब धर्म में राजनीति को ठूंसा जाता है तो उससे समाज में वैमनस्य बढ़ता है। आस्था खंडित होती है। धर्म में प्रभु राम को हथियार बनाकर राजनीति करने का प्रयास न करें। देश में शांति रहेगी तो स्वत: ही रामराज होगा। रामराज का मतलब गलत मत समझिए। रामराज को दूसरी तरफ मोड़ने का प्रयास न करें। हमेशा राष्ट्रहित की सोच रखें।