एमपॉवरिंग माइंड्स समिट 2025 में’ परिवर्तनकारी कंसोर्टियम लॉन्च किया

‘Transformational Consortium’ launched at Empowering Minds Summit 2025

अनिल बेदाग

मुंबई : “आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट (एबीईटी) के तहत संचालित एमपावर की एक पहल ‘एमपावरिंग माइंड्स समिट 2025’ में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, मेंटल हेल्थ फर्स्ट एड (एमएचएफए) ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों तथा प्रतिष्ठित मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं प्रमुख नीति निर्माताओं को युवाओं के बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बुलाया गया। शिखर सम्मेलन ने भारत में अब सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल बन चुके इस संकट से निपटने के लिए, हर सेक्टर के हस्तक्षेप की तत्काल जरूरत को रेखांकित किया। भारत एक ऐसा देश है, जिसका आर्थिक भविष्य उसके युवाओं की भलाई के साथ गुंथा हुआ है।”

शिखर सम्मेलन का एक बड़ा आकर्षण था- “अनवीलिंग द साइलेंट स्ट्रगल: एमपॉवर रिसर्च रिपोर्ट”- जो युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ावा देने के लिए, पूरे भारत के कॉलेजी छात्रों में व्याप्त अकेलापन, अनिद्रा और तनाव का सहसंबंध स्थपित करती है। रिपोर्ट का अनावरण आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की संस्थापक एवं अध्यक्ष श्रीमती नीरजा बिड़ला के साथ मिलकर महाराष्ट्र सरकार के उद्योग एवं मराठी भाषा मंत्री माननीय श्री उदय सामंत, स्वास्थ्य सचिव श्री निपुण विनायक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ. भाविसकर ने किया। यह रिपोर्ट युवाओं में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, जिसमें बताया गया है कि 50% लक्षण 14 वर्ष की आयु तक उभर आते हैं और प्रारंभिक हस्तक्षेप पर्याप्त नहीं होता। प्रमुख निष्कर्षों में शामिल हैं: 38% छात्र शैक्षणिक चिंता का सामना करते हैं, 50% छात्रों के प्रदर्शन में गिरावट आ जाती हैं, 41% सामाजिक अलगाव अनुभव करते हैं, और 47% नींद की समस्या से जूझते हैं, छात्राओं पर इसका बहुत ज़्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चिंताजनक रूप से, 9% को नींद की गंभीर समस्याएँ झेलनी पड़ती हैं, 8.7% ने तो शैक्षणिक दबाव के चलते आत्महत्या के बारे में सोचा, और केवल 2% छात्र ही पेशेवर लोगों की मदद माँगते हैं। इस अध्ययन में भी यह खुलासा भी हुआ है कि अकेलेपन और नींद की गड़बड़ी (35% सहसंबंध) तथा तनाव (47% सहसंबंध) के बीच बहुत गहरा संबंध है, जो प्रणालीगत मानसिक स्वास्थ्य सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है।

स्थायी महत्व का बहुत बड़ा कदम उठाते हुए, श्रीमती नीरजा बिड़ला ने ग्लोबल मेंटल हेल्थ कंसोर्टियम को लॉन्च करने का ऐलान किया, जो भारत और उसके बाहर मानसिक स्वास्थ्य के परिदृश्य में प्रणालीगत बदलाव लाने की दृष्टि से एक सहभागिता वाली पहल है।