तुलसी गबार्ड का बड़ा बयान: इस्लामिक जिहाद को भारत और अमेरिका मिलकर हराएंगे

Tulsi Gabbard's big statement: India and America will together defeat Islamic Jihad

अशोक भाटिया

अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेने के लिए इस समय भारत में हैं। गबार्ड भारत-प्रशांत क्षेत्र के दौरे के तहत भारत आई हैं। इस यात्रा के दौरान जापान और थाईलैंड भी वो जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी प्रशासन के किसी शीर्ष अधिकारी ने पहली बार भारत की उच्चस्तरीय यात्रा की है। गौरतलब है कि पिछले महीने उन्हें अमेरिका की डीएनआई के पद पर नियुक्त किया गया था। यह एक ऐसी भूमिका है जो सीआईए, एफबीआई और एनएसए सहित 18 अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की देखरेख करती है। हालांकि इस नियुक्ति के बाद भी विवाद देखने को मिला था। आलोचकों ने तुलसी के पास इस पद के लिए जरूरी अनुभव नहीं होने की बात कही थी पर भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी बातों व कार्य परायणता से न केवल मोदी का अपितु देश वासियों का भी दिल जीत लिया ।

तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया ब्यूरो की प्रमुख हैं और वह हिंदू धर्म को मानती हैं, गीता पर उनका बहुत विश्वास है, हालांकि वह भारतीय मूल की नहीं हैं, लेकिन हिंदू धर्म से बेहद जुड़ाव के कारण ही उनका नाम तुलसी रखा गया। उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में राजनीति में कदम रखा और चार बार सांसद बनीं। उन्होंने डेमोक्रेट के तौर पर अपना राजनैतिक कैरियर प्रारंभ किया था, लेकिन 2024 में वह रिपब्लिक पार्टी से जुड़ गईं। एक समय पर उनका नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के तौर पर भी उभर रहा था। 2024 में अमेरिकी चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उन्हें अमेरिका के खुफिया ब्यूरो के निदेशक पद पर नियुक्ति के लिए सीनेट में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा प्रस्ताव लाया गया था, सीनेट से पास होने के बाद वह खुफिया ब्यूरो के प्रमुख के पद के नियुक्त हुईं, उन्होंने इस पद की शपथ गीता हाथ में लेकर ली थी। राजनीति में आने से पहले तुलसी गबार्ड इराक युद्ध के समय बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल सेवा दे चुकी हैं।

उन्होंने भारत के साथ कई विषयों पर मिल कर सुलझाने पर सहमती प्रकट की । उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने अमेरिका और भारत के अलावा बांग्लादेश, सीरिया, इजरायल और कई मिडिल ईस्ट देशों को प्रभावित किया है। तुलसी गबार्ड ने कहा, “यह एक ऐसा खतरा है जिसे प्रधानमंत्री मोदी भी गंभीरता से लेते हैं और हमारे दोनों देश इसके निदान के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।”

उन्होंने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है और वहां अल्पसंख्यकों का लंबे समय से हो रहे उत्पीड़न और हिंसा पर नाराजगी जाहिर की। लेकिन बांग्लादेश इससे भड़क गया है।तुलसी गबार्ड ने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यको का उत्पीड़न और उनकी हत्या और देश में इस्लामिक आतंकियों का खतरा इस्लामी खलीफा के साथ शासन करने की विचारधारा में डूबा हुआ है। राष्ट्रपति ट्रंप इस्लामिक आतंकवाद को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का लंबे समय से दुर्भाग्यपूर्ण उत्पीड़न, हत्या और दुर्व्यवहार अमेरिकी सरकार और राष्ट्रपति ट्रंप और उनके प्रशासन के लिए चिंता का विषय रहा है। उन्होंने कहा कि कैसे वैश्विक स्तर पर चरमपंथी तत्व और आतंकवादी समूह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामिक आतंकवादियों का खतरा और विभिन्न आतंकवादी समूहों के वैश्विक प्रयास एक ही विचारधारा और उद्देश्य के लिए हैं। ये एक इस्लामी खिलाफत के आधार पर शासन करना चाहते हैं।

तुलसी गबार्ड के बयान पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सरकार ने बयान जारी कर कहा कि हम तुलसी गबार्ड की टिप्पणियों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। उनका बयान पूरी तरह से भ्रामक और बांग्लादेश की छवि और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला है। एक ऐसा राष्ट्र जिसकी पारंपरिक इस्लाम प्रथा समावेशी और शांतिपूर्ण रही है और जिसने उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रगति की है।बयान में कहा गया कि गबार्ड का बयान किसी भी तरह के ठोस प्रमाणों पर आधारित ना होकर पूरी तरह से बेतुके आरोप हैं, जिसने पूरे देश को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दुनिया के कई देशों की तरह बांग्लादेश भी चरमपंथ का सामना कर रहा है। लेकिन हम अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

गौरतलब है कि रायसीना डायलॉग का शुरुआत 2016 में हुई थी। इसे शांगरी-ला डायलॉग की तर्ज पर शुरू किया गया था। शांगरी-ला रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन है जबकि रायसीना में विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होती है।इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) मिलकर करते हैं। विदेश मंत्रालय का ऑफिस रायसीना हिल्स पर होने की वजह से इसे रायसीना डायलॉग कहा जाता है। इसका आयोजन हर साल होता है। ‘रायसीना डायलॉग’ के जरिए भारत दुनियाभर के नेताओं और नीति-निर्माताओं को एक ऐसा प्लेटफऑर्म मिलता है, जहां वो अतंरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा कर सकें।इस बार रायसीना डायलॉग का थीम- कालचक्र- पीपुल, पीस एंड प्लैनेट है। ‘रायसीना डायलॉग’ में शामिल होने वाले 20 विदेश मंत्रियों में से 11 यूरोप से हैं। इनमें यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रई सिबिहा का भी नाम है।

तुलसी गबार्ड ने सोमवार को रक्षामंत्री राजनाथ से भी मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की गई। इसके अलावा सोमवार को ही तुलसी गबार्ड और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बीच भी द्विपक्षीय वार्ता हुई, इसी बीच डोभाल ने दुनियाभर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता भी की। सम्मेलन के दौरान आतंकवाद और और सुरक्षा चुनौतियों को लेकर देशों के मध्य सहयोग बढ़ाने को लेकर प्रमुख चर्चा हुई।तुलसी गबार्ड ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों पर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने इसपर जोर देते हुए कहा कि “कट्टरपंथियों का आतंकवाद” एक ऐसा खतरा है जिसने न सिर्फ भारत और अमेरिका को प्रभावित किया है, बल्कि कई मिडिल ईस्ट देशों को भी प्रभावित किया है। गबार्ड ने नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान यह बात कही।मीडिया ने जब उनसे यह पूछा कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान से हो रहे भारत पर हमलों को कैसे देखता है, तो गबार्ड ने कट्टरपंथियों के आतंकवाद के खतरे की तरफ इशारा किया। गबार्ड ने बताया कि आतंकवाद के इस खतरे को समाप्त करने के लिए अमेरिका और भारत एक साथ मिलकर रणनीति बना रहे हैं। पीएम मोदी और ट्रंप के इस सहयोग से न सिर्फ दोनों देशों में, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निजात पाकर सुरक्षित माहौल तैयार करने में मदद मिलेगी।

इसके आलावा तुलसी गबार्ड के सामने खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ पर प्रतिबंध लगाने और इसकी भारत-विरोधी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है। सूत्रों के मुताबिक, यह मुद्दा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड के सामने रखी। सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड से इस संगठन की गतिविधियों पर अमेरिका से ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। भारत का कहना है कि ‘सिख फॉर जस्टिस’ अमेरिकी धरती से भारत के खिलाफ उकसावे वाली और हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है, जो दोनों देशों के संबंधों के लिए भी खतरा बन सकता है। भारत ने इस संगठन को पहले ही गैरकानूनी घोषित कर रखा है। ‘सिख फॉर जस्टिस’ एक ऐसा संगठन है जो खुद को सिख समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने वाला बताता है, लेकिन भारत सरकार इसे खालिस्तानी अलगाववादी समूह मानती है। इसकी स्थापना 2007 में अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू ने की थी। संगठन का मुख्य लक्ष्य पंजाब को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र खालिस्तान राष्ट्र की स्थापना करना है। इसके लिए यह ‘रेफरेंडम 2020′ जैसे अभियानों के जरिए दुनिया भर के सिख समुदाय को जोड़ने की कोशिश करता रहा है। भारत ने इस संगठन को 2019 में गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व में खालिस्तानी आतंकी समूह सिख फॉर जस्टिस ने भारत के खिलाफ हमलों की साजिश रची है और लंबे समय से अमेरिका से काम कर रहा है। वह एक अमेरिकी नागरिक भी है। भारतीय वाणिज्य दूतावासों और राजनयिक मिशनों को अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी अलगाववादियों के हमलों का सामना करना पड़ा है।20 मार्च 2023 को खालिस्तान समर्थकों ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ की। भारत के तिरंगे की जगह खालिस्तान का झंडा लगा दिया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। 2 जुलाई, 2023 को इसी वाणिज्य दूतावास में आगजनी की कोशिश की गई थी। इससे मामूली नुकसान हुआ था। उस समय अमेरिकी विदेश विभाग ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की थी।

तुलसी गबार्ड की यात्रा की सबसे बड़ी हाई लाइट रही जब सोमवार शाम दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड से मुलाकात होना । मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने गबार्ड को प्रयागराज में हाल ही में खत्म हुए महाकुंभ मेले से गंगा नदी का जल भरा एक कलश गिफ्ट में दिया। वहीं, तुलसी गबार्ड की ओर से पीएम मोदी के रिटर्न गिफ्ट के तौर पर तुलसी की माला भेंट की गई। उन्होंने उन्हें तुलसी की माला भेंट करते हुए कहा, ‘यह मेरी ओर से मेरे नए पद की ओर से एक उपहार है। यह तुलसी की ओर से है, एक तुलसी की माला।’प्रधानमंत्री मोदी और गबार्ड ने साइबर सिक्योरिटी और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में सहयोग को मजबूत करने की रणनीतियों पर चर्चा की। यह मुलाकात भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी खुफिया प्रमुख के बीच दूसरी मुलाकात थी। दोनों के बीच फरवरी में वाशिंगटन में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान बातचीत हुई थी। अपनी पिछली यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कैबिनेट के अन्य अहम सदस्यों से भी मुलाकात की थी।

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार