अशोक भाटिया
कभी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना मित्र बताने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख अब बदला-सा लगता है। यूं तो अमेरिका खुद को दुनिया का चौधरी मानता है। बात-बात पर सबको टैरिफ की धमकी देता है, मगर भारत भी पहले वाला भारत नहीं है, यह नया भारत है। चुपचाप रहता नहीं, जब कोई देश आंख उठाता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब देता है। ट्रंप की टैरिफ धमकी पर भारत के विदेश मंत्रालय ने न केवल जवाब दिया, बल्कि अमेरिका और ईयू का धागा खोल दिया और कहा कि खुद करो तो ठीक, दूसरा करे तो गलत? अमेरिका के डबल स्टैंडर्ड पर विदेश मंत्रालय ने साफ लहजे में कहा कि वो देश हमें क्या नसीहत देंगे, जो खुद रूस से अरबों डॉलर का कारोबार कर रहे हैं। मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। इतना ही नहीं, खुद विदेश मंत्री जयशंकर ने भी अच्छे से सुना दिया और कहा कि दबदबे वाली व्यवस्था नहीं चलेगी। भारत अब किसी की दादागिरी नहीं मानने वाला। वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि अमेरिका उभरती बहुध्रुवीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अपने घटते दबदबे को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। कोई भी टैरिफ युद्ध या प्रतिबंध इसको नहीं रोक सकते।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को लगातार टैरिफ के नाम पर धमकाते रहे हैं। दूसरी ओर भारत को अपने सामने नहीं झूक रहा है, यही सब देखकर उनका हताश होना स्वाभाविक है। कहां दुनिया का सबसे अमीर और ताकतवर शख्स और कहां भारत एक विकासशील देश। ट्रंप को लगता है कि जिस भारत को अकाल पड़ने पर उनका देश सड़ा हुआ गेहूं भेजता था, आज वो देश उनकी बंदर घुड़की पर रिस्पांस भी नहीं करता है।।? यह उनकी चिढ़ ही है कि वह आए दिन बार-बार भारत को अपमानित करने वाला बयान देते रहते हैं। कभी-कभी तो एक ही दिन में 2-2 बार भारत के खिलाफ उन्हें जहर उगलते देखा गया है। अलबत्ता, वे भारत पर हाई टैरिफ थोपने का साहस नहीं कर पाते हैं, किसी न किसी बहाने विलंब पर विलंब करते रहते हैं ताकि कोई समाधान का रास्ता निकल सके। क्योंकि वो जानते हैं कि भारत को नाराज करके अमेरिका का काम नहीं चलने वाला है।
हम देख रहे हैं कि ट्रंप कभी भारत की इकॉनमी को डेड बोल देते हैं, तो कभी पाकिस्तान के साथ तेल की डील की बात करके भारत को अपमानित करने की कोशिश करते हैं। एक तरफ भारत की अर्थव्यवस्था मृतप्राय हो चुकी है तो दूसरी तरफ उसी भारत से ट्रेड करने के लिए मरे जा रहे हैं? मतलब कुछ भी बोल रहे हैं। पाकिस्तान के पास तेल है ही नहीं और समझौता करने जा रहे हैं। दरअसल असली कारण यह है कि ट्रंप भारत के सामने झुकना नहीं चाहते हैं। घोर सामंती व्यवहार वाले ट्रंप जानते हैं कि वो यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ जिस तरह से पेश आए थे उस तरह भारत के साथ नहीं कर सकते, यही उनका दर्द है। इसलिए आजकल नींद में भी उन्हें भारत ही नजर आता है। जबकि कई अमेरिकी विशेषज्ञ यह जता चुके हैं कि ट्रंप का भारत के साथ रवैया अमेरिका के लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है। वस्तुत: ट्रंप की चिंता भी यही है पर उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
एक ओर जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ-टैरिफ खेल रहे हैं, तो वहीं भारत ने अपने निर्यातक देशों की लिस्ट में विविधता लाई है। इसका असर भी देखने को मिला है। अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ का बड़ा असर झींगा निर्यात से लेकर टेक्सटाइल सेक्टर तक पर देखने को मिला। लेकिन भारतीय निर्यातकों ने अमेरिकी बाजार में दबाव के बीच दूसरे देशों के बाजारों का रुख किया। रिपोर्ट के मुताबिक, US Tariff Tension के बीच India-China के व्यापार संबंध सुधरे हैं और वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में भारत का चीन को निर्यात करीब 22% बढ़ा है।
रिपोर्ट्स की मानें तो India-China Trade में सुधार के चलते अप्रैल-सितंबर 2025 में चीन को भारत का निर्यात 8।41 अरब डॉलर रहा है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर 2024 के 6।90 अरब डॉलर से 22 फीसदी के आसपास की बढ़त दर्शाता है। खास तौर पर अमेरिकी टैरिफ के असर से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर्स के प्रोडक्ट्स की चीन में अच्छी खासी डिमांड देखने को मिली है। इनमें झींगा और एल्युमिनियम प्रमुख हैं। इसके अलावा और भी कई क्षेत्रों ने चीन को निर्यात में तेजी दिखाई है।
बीते दिनों आईं अन्य रिपोर्ट्स पर नजर डालें, तो अमेरिका द्वारा भारत पर 50% का टैरिफ लगाने के बाद से भारतीय झींगा निर्यात पर बुरा असर देखने को मिला है। ग्लोबल डेटा के हवाले से ट्रंप के इस टैरिफ अटैक के चलते भारत से अमेरिका को एयर कार्गो निर्यात में 14 फीसदी की तगड़ी गिरावट दर्ज की गई है, तो आंध्र प्रदेश की झींगा इंडस्ट्री करीब 25,000 करोड़ रुपये के भारी नुकसान का अनुमान लगाया गया था। इनमें कहा गया था कि अमेरिका को झींगा निर्यात के 50 फीसदी ऑर्डर 50% टैरिफ के बाद से रद्द हुए।
इसके अलावा अन्य सबसे प्रभावित सेक्टर्स में एल्युमिनियन और टेक्सटाइल रहा, जिनके लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार रहा है। बीते दिनों कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री यानी CITI के एक सर्वे में इसके प्रभाव देखने को मिले थे। सर्वे के निष्कर्षों में सामने आया था कि निर्यात पर 50% टैरिफ के चलते कपड़ा और परिधान क्षेत्र कम ऑर्डर और कारोबार में करीब 50% की गिरावट से जूझ रहा है।
भारत में चीन के राजदूत श फीहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (पहले X) पर एक पोस्ट के जरिए भी India-China Trade बढ़ने पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि, ‘वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में चीन को भारत का निर्यात 22% बढ़ा है। बीजिंग ज्यादा से ज्यादा भारतीय वस्तुओं का स्वागत करता है और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद के लिए तैयार है।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ पॉलिसी के तहत शुरुआत में भारत पर 25 फीसदी का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था। लेकिन बाद में रूसी तेल और हथियारों की खरीद को मुद्दा बनाया और भारत पर इसकी खरीद बढ़ाकर यूक्रेन युद्ध में पुतिन की मदद करने का आरोप लगाया था। इसके चलते अमेरिका की ओर से भारत पर लागू टैरिफ को दोगुना करते हुए 50% कर दिया गया था, जो 27 अगस्त से लागू है।





